नोएडा : एमिटी में दो दिवसीय अंतराष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ शुभारम्भ
1 min readनोएडा, 15 दिसम्बर।
एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड फाइनेंस द्वारा ‘‘स्थायित्व उद्यमिता और मूल्य सृजन के लिए व्यवसाय परिवर्तन’’ विषय पर दो दिवसीय 6 वें अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन एफ ब्लाक सभागार में किया गया।
इस सम्मेलन का शुभारंभ यूएनडीपी इंडिया के एक्शन फॉर क्लाइमेट एंड एनवांयरमेंट के प्रमुख डा आशीष चतुर्वेदी, एसीसीए इंडिया के प्रमुख श्री कुश अहूजा, बेल्जियम के ल्यूवेन विश्वविद्यालय के ल्यूवेन सेंटर फॉर ग्लोबल गर्वनेंस स्टडीज के उप निदेशक डा एक्सल मार्क्स, दुबई के मिडिलसेक्स विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सप्लाई चेन एक्सलेंस के प्रमुख डा श्रीजीत बालासुब्रमण्यम, लंदन के किग्सटन विश्वविद्यालय के डा मोहम्मद नुरूल्लाह, एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमैन डा डी के बंद्योपाध्याय और एमिटी कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड फाइनेंस की निदेशक डा सुजाता खंडाई द्वारा किया गया। इस अवसर पर एमिटी कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड फाइनेंस के बी कॉम प्रोग्राम को एसीसीए मान्यता का सर्टिफिकेट भी प्रदान किया गया।
सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए यूएनडीपी इंडिया के एक्शन फॉर क्लाइमेट एंड एनवांयरमेंट के प्रमुख डा आशीष चतुर्वेदी ने कहा कि इस प्रकार के सम्मेलन छात्रों के लिए बेहद लाभदायक होते है। स्थिरता की दिशा में व्यवसाय परिवर्तन की अनिवार्यता स्पष्ट है ग्रह के भविष्य की सुरक्षा करना और उद्यमों की स्थायी सफलता सुनिश्चित करना है। डा चतुर्वेदी ने कहा ऐसी दुनिया जहां व्यवसाय पर्यावरण और समाजिक चिंताओ को दूर करने के बढ़ते दबाव से जुझ रहे है यह सम्मेलन ज्ञान व नवाचार और सहयोग के प्रतीक के रूप में खड़ा है। परिवर्तन का नेतृत्व करने और स्थायी उद्यमिता और स्थायी मूल्य निर्माण के रास्ते खोजने का अनुभव प्रदान करेगा।
एसीसीए इंडिया के प्रमुख श्री कुश अहूजा ने कहा कि एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा छात्रो ंको जागरूक करने के लिए किया जा रही सम्मेलन की पहल उनकी छात्रों के विकास प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होनें छात्रों को समास्यओं के निवारण हेतु समाधान को प्राप्त करने के लिए शोध करने और कड़ी मेहनत से सफलता हासिल करने सलाह दी।
बेल्जियम के ल्यूवेन विश्वविद्यालय के ल्यूवेन सेंटर फॉर ग्लोबल गर्वनेंस स्टडीज के उप निदेशक डा एक्सल मार्क्स ने कहा कि स्थायित्व के लिए पर्यावरण, प्रदूषण, स्वास्थय और सुरक्षा के मुद्दे और वेतन आदि मुख्य चुनौतियां है। स्थायित्व चुनौतियां, व्यापार संबंधो को परिभाषित करता है जहां चुनौतियों के साथ अवसर भी व्याप्त है। डा मार्क्स ने कहा कि स्वैच्छिक स्थिरता मानक भी एक तरह का जुड़ाव है। यूरोपीयन कमीशन के वनों की कटाई वस्तुओं का विनियमन का उददेश्य वनो की कटाई को नियत्रित करना और रोकना है। व्यापारियों से यहु सुनिश्चित करने की अपेक्षा की जाती है कि आयतित वस्तुएं वनीकरण में योगदान न करें। उन्होनें जबरन श्रम उत्पाद पर रोक सहित व्यापार एंव निवेश एग्रीमेंट के स्थायीत्व प्रोविजन, पर्यावरणीय प्रावधान, श्रम प्रावधान आदि की जानकारी भी दी।
दुबई के मिडिलसेक्स विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सप्लाई चेन एक्सलेंस के प्रमुख डा श्रीजीत बालासुब्रमण्यम ने आपूर्ति श्रृखंला और जलवायु परिवर्तन के मध्य संबंध को बताते हुए कहा कि लंबे समय में तापमान में परिवर्तन, वर्षा पैटर्न, समुद्र स्तर और चरम मौसम की घटनाएं सहित ओजोन की कमी जैसे अन्य प्रभाव ही जलवायु परिवर्तन है जो अर्थव्यवस्था, समाज और पर्यावरण को प्रभावित करते है। कार्बन उत्सर्जन ने बता दिया है कि जलवायु परिवर्तन के हर व्यक्ति जिम्मेदार है और अगर हम अभी सामूहिक एव व्यक्तिगत प्रयास करते है तो हो सकता है यह बढ़ता तापमान 2 से 2.5 डिग्री सेल्सीयस पर रूक जाये नही तो यह 4 डिग्री सेल्सीयस पहुंच जायेगा। उन्होनें जलवायु परिवर्तन के एक कारण के रूप आपूर्ति श्रृखंला को बताते हुए उसके समाधान की जानकारी भी दी।
लंदन के किग्सटन विश्वविद्यालय के डा मोहम्मद नुरूल्लाह ने कहा कि एसडीजी 4.0 भौतिक और साइबर विश्व के अभिसरण ने व्यावसायिक स्थिरता के लिए अवसरों के साथ साथ चुनौतियां भी पैदा की है। उन्होेनें कहा कि व्यापार स्थिरता के लिए नये व्यापार स्तर पर रेखीय अर्थव्यवस्था को वृतीय अर्थव्यवस्था, कौशल व व्यवसायिक विकास, हरित अर्थव्यवस्था, नवाचार, प्रबंधन परिवर्तन आवश्ययक है और सरकार के स्तर पर सक्रिय कार्य नीति आवश्यक है।
एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमैन डा डी के बंद्योपाध्याय ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि वर्तमान में स्थायित्व व्यापार के साथ नये व्यापारिक मॉडल का विकास होना आवश्यक है जिसमें पर्यावरण को नुकसान पहंुचाये बगैर किस प्रकार विकास हो इसका मार्गदर्शन इस सम्मेलन में छात्रों को विशेषज्ञों के माध्यम से प्राप्त होगा। डा बंद्योपाध्याय ने कहा कि आज विश्व में सभी बड़ी समस्या जलवायु परिवर्तन है कि जिससे हर देश जुझ रहा है। वर्तमान में हो रही कॉप्स 28 में इसमें गंभीर परिचर्चा हो रही है। युवा देश का भविष्य है और वैश्विक युग में युवाओं द्वारा किये प्रयास से ही समस्या का निवारण संभव है।
एमिटी कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड फाइनेंस की निदेशक डा सुजाता खंडाई द्वारा अतिथियों का स्वागत करते हुए सम्मेलन के विभिन्न सत्रों की जानकारी प्रदान की गइ। कार्यक्रम के दौरान अतिथियों द्वारा सम्मेलन आधारित पुस्तिका का विमोचन भी किया गया।
इस अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन के अंर्तगत आयोजित तकनीकी सत्र मेें विशेषज्ञों और विद्वानों स्थायित्व वित्त, स्थायित्व संचालन, स्थायित्व मार्केटिंग पर अपने विचार रखें। इस अवसर पर स्थायित्व उद्यमिता पर कार्यशाला का आयोजन भी किया गया।
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