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लखनऊ, 3 जनवरी।

उत्तर प्रदेश सरकार छोटी इकाइयों को प्रोत्साहन के साथ-साथ एमएसएमई विभाग को भी राहत देगा। एमएसएमई नीति के तहत कई अहम बदलाव किए गए हैं इसके अंतर्गत शहरी क्षेत्र में आने वाले औद्योगिक भूखंडों को कमर्शल भूखंडों में बदला जा सकेगा। इस फैसले से एक तरफ शहरी क्षेत्र के बीच में आने वाली इकाइयां बाहर होंगी वहीं कमर्शियल भूखंड का दर्जा मिलने से उद्यमियों को राहत मिलेगी। पिछले 10 साल से उद्यमी इसकी मांग कर रहे थे विकास प्राधिकरण की सहमति के बाद इसे अमल में लाया जाएगा।

उत्तर प्रदेश के एमएसएमई मंत्री राकेश सचान के अनुसार प्रदेश में छोटी इकाइयों को प्रोत्साहन देने के लिए लाई गई नीति में एमएसएमई सेक्टर का कायाकल्प हो रहा है उद्यमियों के लिए सब्सिडी और सिंगल विंडो सिस्टम की प्रभावी निगरानी की जा रही है भूखंड उपयोग का परिवर्तन भी इसी का हिस्सा है नई इकाइयों की स्थापना पूंजी निवेश के लिए राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित कर 15% की विकास दर का लक्ष्य रखा गया है।

प्रदेश सरकार की नई नीति के मुताबिक प्रदेश के जिलों में स्थापित औद्योगिक स्थान आज शहरी क्षेत्र के बीच में आ गए हैं। आबादी में आने के बाद हजारों भूखंडों में फैक्ट्री नहीं चल पा रही हैं। अब शहर के बीच में आ गए ऐसे भूखंडों में सेवा क्षेत्र या व्यावसायिक गतिविधियों को प्रोत्साहन दिया जाएगा एमएसएमई विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद के अनुसार इस संबंध में जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं हालांकि यह नीति तंबाकू गुटखा पान मसाला अल्कोहल कार्बोनेटेड पर पदार्थ पटाखे 40 माइक्रोन से कम प्लास्टिक बैग आदि की इकाइयों पर लागू नहीं होगी।

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