क्या यूपी में बसपा -कांग्रेस मिलकर लड़ेगी लोकसभा चुनाव ?, माया का सपा पर हमला जारी
1 min readविनोद शर्मा
लखनऊ/नई दिल्ली, 8 जनवरी।
सपा-बसपा के बीच चुनाव से पहले तीखे तीर का दौर जारी है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा को दलित विरोधी करार देते हुए कहा कि गठबंधन के समय सपा की शर्त यही होती की बसपा को साथ ना लिया जाए। ऐसे में कांग्रेस- बसपा के साथ मिलकर फायदा लेने की तैयारी कर रही है मगर बसपा अकेले ही चुनाव लड़ने की तैयारी में है। इसके पत्ते 15 जनवरी को मायावती के जन्म दिन पर खुलेंगे।
उधर मायावती ने लगातार दूसरे दिन अखिलेश यादव पर हमला किया। उन्होंने कहा कि सपा अति-पिछड़ों के साथ-साथ जबरदस्त दलित-विरोधी पार्टी भी है, हालाँकि बीएसपी ने पिछले लोकसभा आमचुनाव में सपा से गठबन्धन करके इनके दलित-विरोधी चाल, चरित्र व चेहरे को थोड़ा बदलने का प्रयास किया। लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद ही सपा पुनः अपने दलित-विरोधी जातिवादी एजेण्डे पर आ गई।
मायावती ने कहा कि अब सपा मुखिया जिससे भी गठबन्धन की बात करते हैं उनकी पहली शर्त बसपा से दूरी बनाए रखने की होती है, जिसे मीडिया भी खूब प्रचारित करता है। वैसे भी सपा के 2 जून 1995 सहित घिनौने कृत्यों को देखते हुए व इनकी सरकार के दौरान जिस प्रकार से अनेकों दलित-विरोधी फैसले लिये गये हैं।
जिनमें बीएसपी यूपी स्टेटआफिस के पास ऊँचा पुल बनाने का कृत्य भी है जहाँ से षड्यन्त्रकारी अराजक तत्व पार्टी दफ्तर, कर्मचारियों व राष्ट्रीय प्रमुख को भी हानि पहुँचा सकते हैं जिसकी वजह से पार्टी को महापुरुषों की प्रतिमाओं को वहाँ से हटाकर पार्टी प्रमुख के निवास पर शिफ्ट करना पड़ा।
इस असुरक्षा को देखते हुए सुरक्षा सुझाव पर पार्टी प्रमुख को अब पार्टी की अधिकतर बैठकें अपने निवास पर करने को मजबूर होना पड़ रहा है, जबकि पार्टी दफ्तर में होने वाली बड़ी बैठकों में पार्टी प्रमुख के पहुँचने पर वहाँ पुल पर अतिरिक्त सुरक्षा की जरूरत पड़ती है।
ऐसे हालात में बीएसपी यूपी सरकार से वर्तमान पार्टी प्रदेश कार्यालय के स्थान पर अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर व्यवस्था करने का भी विशेष अनुरोध करती है, वरना फिर यहाँ कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है। साथ ही, दलित-विरोधी तत्वों से भी सरकार सख़्ती से निपटे, पार्टी की यह भी माँग है।
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