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विनोद शर्मा

नई दिल्ली/ नोएडा, 11 अप्रैल।

पश्चिम उत्तर प्रदेश में पहले और दूसरे चरण के चुनाव में राजपूत मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाए जा रहे हैं। खास बात यह है कि बसपा ने सपा-कांग्रेस गठबंधन से अलग चुनाव लड़कर न केवल अपने वोट बैंक को बरकरार रखने की कोशिश की है बल्कि गाजियाबाद गौतम बुद्ध नगर और फरीदाबाद में राजपूत प्रत्याशी खड़ा करके भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है। देखना होगा कि क्या बसपा बीजेपी के विजय रथ को रोकने में कामयाब हो पाएगी? हालांकि बीजेपी ने जयवीर ठाकुर को मैनपुरी सीट से टिकट देकर कुछ सन्देश देने की कोशिश की है।

बीजेपी के दिग्गजों की नजर पश्चिमी यूपी की ऐसी लोकसभा सीटों पर ज्यादा है जहां जातीय समीकरण को लेकर राजनीति ज्यादा तेज है। इसकी शुरुआत बीजेपी के चर्चित नेता संगीत सोम के सुर और गाजियाबाद में जनरल वी के सिंह का टिकट काटने से हुई। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी तेज हुई कि दिल्ली में बीजेपी शीर्ष नेतृत्व यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कद को कम करने की कोशिश कर रही है। ऐसे समय मे बसपा ने ऐसा दांव चला है जिससे राजपूत लामबंद होते नजर आने लगे। बसपा ने गाजियाबाद से हेमचन्द पुंडीर, गौतमबुद्धनगर से राजेन्द्र सोलंकी और फरीदाबाद से किशन ठाकुर को टिकट देकर तिकड़ी के जरिये राजपूतों में गम्भीर सन्देश दे दिया। तीनों संसदीय क्षेत्र की सीमा आपस मे लगती हुई है। जबकि बीजेपी ने गाजियाबाद से  अतुल गर्ग को, गौतमबुद्धनगर से डॉ महेश शर्मा और फरीदाबाद से कृष्णपाल गुर्जर पर भरोसा जताया है।

खास बात यह है कि गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर लोकसभा का मतदान 26 अप्रैल को और फरीदाबाद में 26 मई को मतदान होगा। गौतमबुद्धनगर में बीजेपी के दो विधायक राजपूत हैं इनमे नोएडा से पंकज सिंह और जेवर से धीरेन्द्र सिंह हैं। जेवर विधायक धीरेन्द्र सिंह और बीजेपी प्रत्याशी डॉ महेश शर्मा के बीच सियासी मतभेद जगजाहिर हैं। हालांकि चुनाव की घोषणा से पहले डॉ महेश शर्मा ने धीरेन्द्र सिंह के घर जाकर दोनो के बीच एकता के सन्देश की कोशिश की थी इसके बावजूद जेवर विधायक धीरेन्द्र सिंह के नजदीकी और कई समर्थक बसपा प्रत्याशी राजेन्द्र सोलंकी के साथ चुनाव प्रचार में लगे हैं। वे खुलकर बीजेपी प्रत्याशी डॉ महेश शर्मा पर हमले करते नजर आ रहे हैं,उधर गाजियाबाद व गौतमबुद्धनगर में 60 गांव राजपूतों के हैं। उन गांवों में भी बसपा प्रत्याशी के माध्यम से यह सन्देश देने की कोशिश कर रही है कि बसपा के प्रत्याशी यदि राजपूत  वोट बैंक को अपने पक्ष में मोड़ने में कामयाब होते हैं तो ना केवल बीजेपी का वोट बैंक बसपा की तरफ मुड़ेगा बल्कि दलित वोटर्स के साथ ही मुस्लिम वोटर भी प्रत्याशी की मजबूत स्थिति देखकर बसपा को वोट देगा। ऐसी स्थिति में बसपा के तीनों प्रत्याशी बीजेपी के सामने मुकाबले में नजर आएंगे। बिसाहड़ा गांव से लेकर धौलाना गांव तक के क्षेत्र में बसपा के लिए राजपूत समाज व करणी सेना के लोग खुद जुट गए हैं।

सोशल मीडिया के जरिये राजपूतों की लामबंदी आक्रामक नजर आ रही है। उधर बीजेपी इसकी काट के जरिये सहारनपुर व मुजफ्फरनगर में राजनाथ सिंह व योगी आदित्यनाथ का चुनाव प्रचार में उतारकर सीधे राजपूत वोटरों को लेकर चल रही लामबंदी को कम करने की कोशिश में है। यह तो 4 जून को रिजल्ट के बाद ही पता चलेगा कि बसप्प का राजपूतों को लेकर दांव कितना सही होगा ?

(नोएडा खबर डॉट कॉम के लिए राजनीतिक विश्लेषण)

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