नोएडा: श्रीमद्भागवत कथा में कृष्ण सुदामा की मित्रता की कथा सुन भावुक हुए श्रद्धालु
1 min readनोएडा, 21 अप्रैल।
श्रीमद भागवत कथा के सातवें दिन आचार्य राजेंद्रा नन्द सरस्वती ने भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनाया और समापन दिवस के मुख्य अतिथि कैलाश अस्पताल समूह की निदेशक और डॉ महेश शर्मा की सुपुत्री डॉ पल्लवी शर्मा और दामाद डॉ श्रीकांत शर्मा जी ने कथा में उपस्थित हो कर व्यास पीठ से आशीर्वाद लिया।
इन सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन कथा व्यास श्री राजेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि सातवें दिन कृष्ण की अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया गया। मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मां देवकी को वापस देना। सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास जी ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं । उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र से सखा सुदामा मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे।
उन्होंने कहा कि सुदामा जी ने द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया दोनों की ऐसी मित्रता देखकर सभा में बैठे सभी लोग अचंभित हो गए। कृष्ण सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया हुआ।
उन्हें कुबेर का धन देकर मालामाल कर दिया। जब जब भी भक्तों पर विपदा आ पड़ी है। प्रभु उनका तारण करने अवश्य आए हैं।
यह कथा श्री गौरी शंकर वैदिक धर्मार्थ ट्रस्ट के तत्वाधान मैं कुशवाहा और मौर्य परिवार के निवेदन से जेपी विशटाउन सेक्टर 134 चल रही थी जिसका समापन शांतिपूर्ण माहौल में हुआ जिसकी जानकारी ट्रस्ट के राष्ट्रीय महासचिव और प्रभारी भानू प्रताप लवानिया द्वारा दी गई।
कथा समापन के मुख्य अतिथि डॉ पल्लवी और डॉ श्रीकांत जी ने सेक्टर 134 जेपी विशटाउन के निवासियों के साथ बैठ कथा श्रवण की ओर अपने पिता डॉ महेश शर्मा सांसद गौतम बुद्ध नगर जो भाजपा के प्रत्यासी भी है आगामी चुनाव 2024 मैं उनकी जीत की मंगलकामना करते हुए जनता से सत्य और धर्म का साथ देने लिए कहा तथा जय श्री राम नारे का मंच से उद्घोष किया!
महाराज जी ने बताया कि भागवत कथा में चार वेद, पुराण, गीता एवं श्रीमद् भागवत महापुराण की व्याख्या महाराज जी के मुखारवृंद से उपस्थित भक्तों ने श्रवण किया।
श्री सुखदेव जी ने राजा परीक्षित को भागवत महापुराण सात दिन के अंदर सुना कर उन्हें भगवत धाम का अधिकारी बनाया। मरने वाले व्यक्ति को क्या करना चाहिए, इस प्रश्न के उत्तर में श्री सुखदेव जी ने राजा परीक्षित को सात दिन तक भागवत सुनाई। जब तक्षक नाग राजा परीक्षित को डसने आया, उससे पहले राजा परीक्षित भगवान के धाम में मन लगा कर बैठ गए और तक्षक का स्पर्श होने से केवल शरीर नष्ट हुआ आत्मा को कोई कष्ट नहीं। इतना दिव्य ज्ञान श्री सूतजी महाराज ने ऋषियों को दिया!
सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा का शनिवार यानि 20 अप्रैल को समापन हुआ। भागवत महापुराण का सदा श्रवण करना चाहिए, बार-बार करना चाहिए यह भगवान की अनंत कथा है, जो कभी समाप्त नहीं होती है। यह निरंतर चलती रहती है। समापन के साथ ही रविवार 21 अप्रैल को पूर्ण आहुति के बाद विशाल भंडारे का भी शुभारंभ हो जाएगा।
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