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उच्च न्यायालय के आदेश पर स्कूल फीस कैसे होगी समायोजित ? जो स्कूल छोड़ चुके उनका क्या ?

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नोएडा, 17 जनवरी।

उत्तर प्रदेश की उच्च न्यायालय द्वारा प्रदेश के प्राइवेट स्कूलो द्वारा कोविड-19 के संक्रमण काल के दौरान ली गई पूरी फीस में कोई छूट नहीं देने पर कुछ अभिभावक की याचिका पर उनको 2019-20 की फीस पर 15% की फीस को वापिस करने या आगे की फीस में समायोजित करने का आदेश दिया है।
गौतमबुद्धनगर पेरेंट्स वेल्फेयर सोसाइटी (जीपीडब्ल्यूएस) के संस्थापक मनोज कटारिया ने  बताया कि उच्च न्यायालय द्वारा फीस में 15 प्रतिशत की कटौती के आदेश के आते ही अभिभावकों में उल्लास उमड़ता नजर आया। यह अभिभावकों के लिए एक छोटी सी राहत है। उस भयानक दौर में जहां सभी के काम धंधे ठप्प पडे हुए थे वहां अभिभावक राज्य सरकार से फीस कम करने की गुहार लगा रहे थे। हम सभी अभिभावक 50 प्रतिशत की छूट की मांग कर रहे थे। इसके बाद राज्य सरकार ने 2022-23 के कार्यकाल में स्कूलों को 10 प्रतिशत तथा 2023-24 के सेशन के लिए 11.69 प्रतिशत फीस में वृद्धि करने की इजाज़त दे दी है जो कि व्यावहारिक रूप से सही नहीं है अभिभावकों की आय इस अनुपात में नहीं बढ़ पाई हैऔर यह फीस वृद्धि शुल्क अधिनियम 2018 की धाराओं का गलत उपयोग है। कोरोना काल अभी पूरी तरह से गया नहीं है । ऐसे में सरकार को स्कूलो के पिछले छह वर्ष के ऑडिट मांगने चाहिए और उसी समानुपात के अनुसार फीस को निर्धारित करनी चाहिए।
कटारिया ने आगे कहा कि 20 मई 2021 में उत्तर प्रदेश शासन की अपर मुख्य सचिव सुश्री आराधना शुक्ला ने भी स्कूलो को फीस कम करने का आदेश दिया था जिसका पालन मुश्किल से किसी स्कूल ने किया होगा। हमारा पहला प्रश्न यह है कि क्या इस आदेश का पालन यहां का प्रशासन उसी प्रकार से करवाएगा जैसा 20 मई 2022 में करवाया था जो कि पूर्ण रूप से विफल था तथा दूसरा प्रश्न यह है कि क्या जो विद्यार्थी 2020-21 के सेशन के बाद स्कूल छोड़कर जा चुके हैं उनको भी स्कूल छूट उनके अकाउंट में डालेगा या अपने पास ही रख लेगा ?

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