नोएडा में “अपना घर” ने बदल दी प्रवेंद्र की जिंदगी, घरवालों ने कभी जंजीर में बांध कर रखा था
1 min readनोएडा, 4 सितंबर।
जिसको 10 वर्षो से परिवारजनों नें जंजीरों से बाँध कर रखा, वो आज अपना-घर में बन गया दुसरो का सहारा, यह कहानी है अपना घर की रसोई सम्भाल रहे प्रवेंद्र की।
जी हां यह एक दिल को छू लेने वाली कहानी अपना-घर में रह रहें एक आवासी प्रभुजन श्री प्रवेन्द्र की है जो अपने आप में रोचक हैं, एक जवान सा लड़का जिसको परिवारवालों नें जंजीरों से बाँध रखा , जब प्रवेन्द्र की इस दयनीय अवस्था के बारे में अपना-घर की टीम को सुचना में मिली तो अपना-घर की टीम नें परिवारवालों से संपर्क किया। तब पारिवारिक लोगों नें बताया था कि प्रवेन्द्र के पिताजी का केंसर से स्वर्गवास हो गया हैं, माताजी भी मानसिक रूप से बीमार हैं, प्रवेन्द्र की मानसिक स्थति के बारे में उन्होंने बताया की यह इतना एग्रेसिव हैं कि अगर हम इसको जंजीरों से खोल दें, तो कुछ भी तोड़-फोड़ कर सकता हैं साथ ही यह खुद को भी चोट पँहुचा सकता हैं.
श्री प्रवेन्द्र को अपना-घर लाकर उपचार शुरू करवाया, धीरे धीरे श्री प्रवेन्द्र के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होने लग गया, वर्तमान में प्रवेन्द्र लगभग पूर्ण स्वस्थ हैं एवं रसोई के कार्य में सेवाएँ देते हैं. जो परिजन श्री प्रवेन्द्र को अनुपयोगी एवं बोझ समझ रहें थे, आज वही प्रवेन्द प्रभुजी का खाना बनवाते हैं। पूरी निष्ठा से काम मे लगे रहते हैं।
(अपना घर नोएडा से बलराज जी द्वारा भेजी कहानी पर आधारित)
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