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आल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन की मांग, कोयला आयात का खर्चा केंद्र सरकार उठाए

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नई दिल्ली/लखनऊ, 26 अक्टूबर।

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने केंद्रीय विद्युत मंत्रालय द्वारा देश के ताप बिजली घरों के लिए कोयला आयात करने की अवधि मार्च 2024 तक बढ़ाए जाने का विरोध किया है। ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने आज यहां जारी बयान में कहा कि कोयला मंत्रालय के अनुसार कोयले का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ा है। ऐसे में कोयला आयात करना जारी रखने का निर्देश केंद्रीय विद्युत मंत्रालय को वापस लेना चाहिए।
फेडरेशन ने यह भी कहा है कि यदि केंद्रीय विद्युत मंत्रालय कोयला आयात करने का आदेश वापस नहीं लेता तो आयातित कोयले का अतिरिक्त खर्च केंद्रीय विद्युत मंत्रालय को वहन करना चाहिए। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने कोयला मंत्रालय के द्वारा जारी आंकड़े देते हुए बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में 21 अक्टूबर तक 71.35 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया गया है जो इसी अवधि में पिछले वर्ष 60.44 मिलियन टन कोयला उत्पादन की तुलना में 12.73 प्रतिशत अधिक है। इसके अतिरिक्त कोयला मंत्रालय ने यह भी कहा है कि बिजली की बढ़ी मांग को देखते हुए बिजली घरों को जरूरत के हिसाब से कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिएआवश्यकता से अधिक कोयले का उत्पादन किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में केंद्रीय विद्युत मंत्रालय द्वारा सभी ताप बिजली घरों के लिए 6% कोयला आयात करने का निर्देश अगले वर्ष 31 मार्च 2024 तक जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है।
उन्होंने कहा कि आयातित कोयला भारतीय कोयले की तुलना में 7 से 10 गुना तक महंगा होता है। ऐसे में 6% आयातित कोयला इस्तेमाल करने से बिजली की उत्पादन लागत 70 पैसे से ₹1 10 पैसे प्रति यूनिट तक बढ़ जाएगी। स्वाभाविक है बिजली की इस बढ़ी हुई लागत का भुगतान अंततः सामान्य उपभोक्ताओं को करना पड़ेगा।
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ,केंद्रीय कोयला मंत्रालय और रेल मंत्रालय के मध्य समन्वय की जबरदस्त कमी है जिसके चलते ताप बिजली घरों तक कोयला नहीं पहुंच पा रहा है। 24 अक्टूबर को केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार देश के 74 ताप बिजली घरों में कोयल का स्टॉक क्रिटिकल स्टेज में पहुंच गया है।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रालयों के मध्य सामंजस्य ना होने का खामियाजा आम बिजली उपभोक्ताओं को भुगतना पड़े यह उचित नहीं है। अतः केंद्रीय विद्युत मंत्रालय को कोयला आयात जारी रखने का निर्णय वापस लेना चाहिए। अन्यथा की स्थिति में आयातित कोयले का अतिरिक्त खर्च केंद्रीय विद्युत मंत्रालय को वहन करना चाहिए जिससे राज्यों की बिजली वितरण कंपनी के ऊपर आर्थिक बोझ न पड़े और आम उपभोक्ताओं बिजली का अधिक दाम न देना पड़े।

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