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नोएडा, 25 नवम्बर।

नोएडा शहर तो 1976 में स्थापित हुआ था लेकिन उससे पहले इस क्षेत्र में शिक्षा की अलग जगाने वाले कई महत्वपूर्ण लोग हुए हैं और इनमें गढ़ी चौखंडी में श्री कृष्णा इंटर कॉलेज को बनाने की रोचक दास्तान आपके लिए प्रस्तुत है  noidakhabar.com में, कैसे शिक्षा को लेकर लोगों ने समर्पण भाव से शिक्षा के मंदिर को स्थापित किया।

श्री कृष्ण इंटर कॉलेज गढ़ी चौखंडी की 4 अहम कड़ी

रामफल-शिवचरण-लज्जाराम और चेतराम
1960 से 65 के बीच में गढ़ी चौखंडी में श्री कृष्ण जूनियर हाई स्कूल की स्थापना हुई थी। इस स्कूल में कार्यवाहक प्रधानाचार्य के रूप में काम कर चुके मास्टर धीर सिंह के अनुसार इस स्कूल की स्थापना में दो लोगों का महत्वपूर्ण रोल रहा है।
इनमें रघुवर प्रधान के पिताजी शिवचरण ने गांव में अपनी 5 बीघा जमीन स्कूल के लिए दी थी इसके बदले में ग्रामीणों की सहमति से 10 बीघा जमीन उन्हें मामूरा और गढ़ी चौखंडी के बीच में दी गई थी। इनके साथ ही स्कूल बनाने में सबसे बड़ी भूमिका परथला गांव के चौधरी लज्जाराम की थी वह उस जमाने के 900 बीघा के जमींदार थे परथला के वह सरपंच भी रहे । उनके भतीजे प्रधान भी रहे और उनके एक भाई अंग्रेजों के जमाने में ऑनरेरी मजिस्ट्रेट थे।
 शुरुआती दौर में इस स्कूल की स्थापना के समय रामफल मास्टर जी की भूमिका महत्वपूर्ण रही उन्होंने स्कूल शुरू किया। उसके बाद नत्थू सिंह और ब्रह्मदत्त मास्टर भी इसी स्कूल में पढ़ाते थे। चेतराम शर्मा जूनियर हाई स्कूल में हेड मास्टर थे, क्लास 12वी तक भी चलती थी। इसके बाद 1975 में स्कूल को हाई स्कूल एडेड के रूप में मान्यता मिली। इससे पहले स्कूल के भवन निर्माण से लेकर स्कूल प्रबंधन तक का कार्य चंदा से चला था लज्जाराम की भूमिका इतनी महत्वपूर्ण थी कि वह 24 घंटे स्कूल के बारे में सोचते थे और घर बार छोड़कर वहीं रहते थे जब भी कोई त्यौहार आता था तो स्कूल के टीचर अपने घर नहीं आते थे बल्कि नाटक के जरिए स्कूल का चंदा एकत्र करने का कार्य करते थे।
एक बार ऐसा भी मौका आया जब श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर आयोजित श्री कृष्ण पर आधारित नाटक में चेतराम शर्मा ने भी भूमिका निभाई थी उस समय से स्कूल में सर्फाबाद बहलोलपुर हैबतपुर चौड़ा बिशनपुर सदरपुर निठारी घडोली होशियारपुर तक के बच्चे पढ़ने आते थे यही नहीं बिसरख तक के बच्चे नाव से स्कूल आते थे। जब भी स्कूल में बोर्ड की क्लास होती थी तो रात की ट्यूशन पढ़ने के लिए बच्चे स्कूल में ही नाइट क्लास में ठहरते थे और वही पढ़ते थे। बाढ़ के दौरान यमुना और हिंडन दोनों एक हो जाती और स्कूल के आसपास पानी भरा रहता था स्कूल के तीन साइड में एक ऑफिस था जिसमें एक बाबू बैठते थे और दूसरे तीन साइड में प्रिंसिपल बैठे थे इस तरह से स्कूल का संचालन होता था।
विनोद शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार
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