गौतमबुद्धनगर, 14 दिसम्बर।
नोएडा, ग्रेटर नोडा और यमुना समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों को मिलाकर रीजनल कांप्रेहेंसिव मोबिलिटी प्लान बनाने की तैयारी की जा रही है। इस प्लान के लिए सलाहकार कंपनियों के चयन की दोबारा से प्रक्रिया शुरू की जाएगी। सलाहकार के चयन को पहली बार जारी की गई रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल में दो कंपनियां आईं जबकि नियमों के तहत तीन कंपनियों का आना जरूरी है। इस वजह से दोबारा आरएफपी जारी की जाएगी।
प्लान के तहत नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना विकास एरिया, गाजियाबाद, हापुड, बुलंदशहर व न्यू नोएडा के लिए यातायात योजना तैयार की जाएगी। इन शहरों की कनेक्टिविटी राजधानी दिल्ली से बेहतर हो इस पर फोकस किया जाएगा। इस रीजनल प्लान का मकसद पश्चिमी यूपी में इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ावा देना है। रीजनल प्लान तैयार करने के प्रस्ताव पर 13 अगस्त 2023 को हुई बोर्ड बैठक में मुहर लग गई थी। जिले के तीनों प्राधिकरण अधिकारियों की एक समिति गठित कर दी गई है जिसका अध्यक्ष नोएडा प्राधिकरण के सीईओ को बनाया गया है।
प्राधिकरण अधिकारियों ने बताया कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना, डीएनजीआईआर(दादरी-नोएडा-गाजियाबाद-निवेश क्षेत्र) क्षेत्र का ट्रैफिक एंड ट्रांसपोर्टेशन मोबिलिटी प्लान बनाया जाएगा। इन क्षेत्रों में आने वाले समय में यातायात की कोई समस्या न उत्पन्न हो, इसको देखते हुए यह योजना तैयार होगी इसके साथ-साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों से कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए रीजनल प्लान तैयार करने के लिए सलाहकार कंपनी की नियुक्ति की जाएगी।
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दिल्ली के चिल्ला रेगुलेटर से नोएडा के महामाया फ्लाईओवर तक बनने वाले एलिवेटेड रोड को बनाने के लिए छह कंपनियां आगे आई हैं। अब इन कंपनियों की तकनीकी बिड खोली जाएगी। इसके बाद फाइनेनशियल बिड खुलेगी। अगर इस टेंडर प्रक्रिया में कंपनी का चयन हो गया तो फरवरी-मार्च से काम शुरू हो सकता है।
चिल्ला एलिवेटेड रोड का निर्माण करने के लिए पिछले महीने सेतु निगम ने टेंडर जारी किया था। टेंडर में हिस्सा लेने के लिए 12 दिसंबर तक का समय दिया गया था। सेतु निगम के अधिकारियों ने बताया कि टेंडर प्रक्रिया में छह कंपनियों ने हिस्सा लिया है। अब इन कंपनियों के तकनीकी बिड से संबंधित अनुभव, कहां-कहां किस स्तर का काम किया है इन सभी का मूल्यांकन किया जाएगा। इसके बाद फाइनेनशियल बिड खोली जाएगी। इस बिड में कंपनी की आर्थिक स्थिति देखी जाएगी। अगर कोई कंपनी इन दो प्रक्रिया में सभी मानकों को पूरा कर लेती है तो उसे काम का जिम्मा दे दिया जाएगा।
अगर संबंधित कंपनियां मानक पूरे न कर सकीं तो दोबारा से टेंडर जारी किया जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत काम शुरू होने में वक्त लगेगा।