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एनईए ने नोएडा प्राधिकरण की औद्योगिक भूखण्डों की ऑक्शन नीति का मुख्यमंत्री के सामने विरोध दर्ज कराया

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नोएडा, 12 सितम्बर।

नोएडा एंटरप्रेन्योर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नोएडा शहर के उद्योग से जुड़ी हुई समस्याओं के बारे में विस्तार से चर्चा की है एनी के अध्यक्ष विपिन मल्हन ने नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा बंद कमरे में बैठकर उद्योगों से जुड़े हुए फैसले लेने पर आपत्ति जताते हुए कई मुद्दों पर असहमति व्यक्त की है उनका कहना है औद्योगिक भूखंडों का ऑक्शन के जरिए आवंटन गलत नीति है अगर प्राधिकरण की इन नीतियों के कारण उद्योगों पर नकारात्मक असर पड़ता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा

मुख्यमंत्री को दिए ज्ञापन में नोएडा एंटरप्रेन्योर एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन मल्हन ने कहां है कि नौएडा एन्ट्रेप्रिनियोर्स एसोसिएशन का गठन 1978 में हुआ तब से आज तक विगत 44 वर्षो में इस संस्था ने उद्योगों के विकास में अपनी बहुत सकारात्मक भूमिका निभाई है | विगत कुछ वर्षों से भारतीय जनता पार्टी सरकार की यहाँ के उद्योगों के प्रति बहुत सकारात्मक सोच रही है परन्तु साथ ही बडा आश्चर्य होता है कि अधिकारियों द्वारा जो नीति बनाई जाती है उसमें उद्योगों के प्रति नकारात्मक रवैया अपनाया जा रहा है। आज अगर कोई प्रा०लि० कम्पनी में अगर 1% की भी शेयर होल्डिंग बदलनी हो तो नौएडा प्राधिकरण उसके चार्ज लेता है और स्टांप विभाग भी चार्ज लेता है प्रा०लि० कम्पनी अपनी आप में एक पहचान होती है। भारत सरकार के कम्पनी निगमित मामलों के नियमों के अनुसार भी यदि किसी कम्पनी के शेयर होल्डर बदलते रहते है तब भी उस कम्पनी की संरचना पर कोई असर नही होता है कम्पनी एक ही बार बनाई जाती है जिसमें आवश्यकतानुसार शेयर होल्डर्स बदलते रहते हैं  उन्होंने इस मामले कोमुख्यमंत्री से संज्ञान में लेकर उचित निर्णय का आग्रह किया है।

एनईए अध्यक्ष ने बताया कि यह बड़े आश्चर्य वाली बात है कि आज नौएडा, ग्रेटर नौएडा यमुना में अगर किसी ने अपना उद्योग लगाना है तो इन प्राधिकरणों द्वारा जो सम्पत्तियां लीज पर दी जाती है उस पर बोली लगाने का प्रावधान कर दिया गया है ऐसा लगता नही इन अधिकारियों द्वारा यहाँ पर उद्योग लगवाया जा रहा है ऐसा लगता है इन अधिकारियों द्वारा ऐसा निर्णय पास करके शायद भूमि से पैसा कमाने की इच्छा हो गई है।

कहीं पर भी उद्योग लगाने के लिए हमेशा सरकार ऐसी जमीन देती है जहाँ पर कम से कम पैसा जमीन पर लगे और उद्योगपति का ध्यान अपनी पूजी का निवेश उद्योग चलाने पर करे। यदि सारा पैसा ही जमीन पर लग जाएगा तो उद्योग क्या चलायेगा । हमारा निवेदन है इस पर विचार विमर्श किया जाए।

नौएडा प्राधिकरण की जितनी सम्पत्ति है वे सब लीज पर है हम अगर प्राधिकरण से उद्योगो के लिए जमीन लेते हैं उसका 90 वर्ष तक की लीज देते है चाहे वन टाईम लीज रेंट के रूप में दें चाहे प्रत्येक वर्ष दें । किसी कारण से अगर हम चलाने में असफल हो जाए तो हम उस बिल्डिंग / भूखंड को किराये पर देकर अपनी जिविका चलाते है । आपको आश्चर्य होगा कि नौएडा प्राधिकरण द्वारा यदि हमें अपने औद्योगिक परिसर पर किरायेदार रखते हैं उस पर भी प्राधिकरण द्वारा निर्मित क्षेत्र फल पर ३०० वर्ग मीटर के रेंट परमिशन चार्ज की गणना पर किराया अनुबंध लेना शुरू कर दिया है। औद्योगिक भूखंड का हम लीज रेंट भी दें और उसके बाद हम किसी को किराये पर रखते है उसके लिए भी उसके चार्जेज प्राधिकरण को दें यह सकारात्मक रवैया नजर नही आता कृप्या इस पर विचार करें ।’

पत्र के अनुसार किसी औद्योगिक क्षेत्र में औद्यौगिक संगठन बने हुए होते हैं तो कोई भी प्राधिकरण कोई भी नीति लेकर आता है उससे पहले जो यहाँ पर औद्यौगिक संगठन है उनके साथ बैठक कर विचार विमर्श कर लिया जाए ताकि ये नीतियां भविष्य में उद्योगों के लिए ठीक रहेंगी या नही उसके बारे में चर्चा कर ली जाए । बंद कमरे में बैठक कर यदि अधिकारी कुछ भी अपने विवेक से नीति बनाकर पास कर देगें और भविष्य में उन नीतियों से उद्योगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। यदि अधिकारियों द्वारा उद्योगों से संबंधित नीति बनाने हेतु औद्योगिक संगठनों से विचार-विमर्श नहीं किया जाता तो किसी संगठन के रूप स्वरूप की कोई जरूरत ही नहीं रह जाती कृप्या इस पर भी अपना मार्गदर्शन देने की कृपा करें।

 

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