बबिता नागर: गौतमबुद्धनगर की गोल्डन गर्ल और प्रेरणादायी कहानी

विनोद शर्मा
नोएडा(नोएडा खबर डॉट कॉम)
बबिता नागर उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर जिले के सादुल्लापुर गांव की रहने वाली एक प्रख्यात महिला पहलवान और दिल्ली पुलिस की सब-इंस्पेक्टर हैं। उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ, जहां संसाधनों की कमी थी, लेकिन उनके सपनों और जुनून की कोई सीमा नहीं थी। बबिता ने 1999 में कुश्ती में अपने करियर की शुरुआत की और तब से उन्होंने अपनी मेहनत, लगन और दृढ़ संकल्प के दम पर कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का नाम रोशन किया है।
वह 2001 से दिल्ली पुलिस में कार्यरत हैं और अपनी ड्यूटी के साथ-साथ कुश्ती में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करती रही हैं। बबिता ने न केवल खेल के क्षेत्र में, बल्कि सामाजिक कार्यों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने अपने गांव में एक प्रशिक्षण संस्थान शुरू किया, जहां सैकड़ों लड़कियों को कुश्ती और आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देकर उन्हें सशक्त बनाने का काम कर रही हैं।
विश्व पुलिस चैंपियनशिप 2025 में स्वर्णिम सफलता

हाल ही में, जुलाई 2025 में अमेरिका के बर्मिंघम में आयोजित विश्व पुलिस एंड फायर गेम्स में बबिता नागर ने 68 किलोग्राम भार वर्ग में कुश्ती में स्वर्ण पदक जीतकर एक बार फिर भारत का गौरव बढ़ाया। यह उनकी लगातार दूसरी बड़ी अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि थी, क्योंकि इससे पहले 2022 में नीदरलैंड में आयोजित विश्व पुलिस गेम्स में भी उन्होंने स्वर्ण पदक जीता था। नीदरलैंड में उन्होंने मात्र 24 सेकंड में अपनी प्रतिद्वंद्वी को हराकर सबको चौंका दिया था।

बबिता की इस उपलब्धि ने उनके गांव सादुल्लापुर और पूरे गौतमबुद्धनगर में खुशी की लहर दौड़ा दी। उनके स्वागत में गांव में ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाया गया, और लोग उनके घर मिठाइयां बांटने पहुंचे। जेवर के विधायक धीरेंद्र सिंह और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी बबिता को सम्मानित किया।
प्रेरक कहानी

बबिता नागर की कहानी किसी भी साधारण व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है। एक छोटे से गांव से निकलकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचना, वह भी एक ऐसे खेल में जहां पुरुषों का दबदबा रहा है, कोई आसान काम नहीं था। बबिता ने न केवल सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ा, बल्कि अपनी मेहनत और समर्पण से यह साबित किया कि मेहनत और जुनून के सामने कोई बाधा टिक नहीं सकती।उनके करियर की शुरुआत में संसाधनों की कमी और सामाजिक दबाव जैसे कई चुनौतियां थीं। फिर भी, उन्होंने हार नहीं मानी। 2005 में राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीतकर उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। इसके बाद 2013 से 2018 तक उन्होंने अखिल भारतीय पुलिस खेलों में लगातार पदक जीते। उनकी उपलब्धियों को देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें यूथ आइकन अवार्ड से सम्मानित किया, और दिल्ली पुलिस ने भी उन्हें सीपी गोल्ड मेडल प्रदान किया।

सामाजिक योगदान
बबिता ने केवल अपनी सफलता तक सीमित नहीं रहीं। उन्होंने अपने अनुभव और संसाधनों का उपयोग दूसरों को प्रेरित करने के लिए किया। ग्रेटर नोएडा के सादुल्लापुर में उनके द्वारा संचालित प्रशिक्षण संस्थान में करीब 100 लड़कियां कुश्ती और आत्मरक्षा का प्रशिक्षण ले रही हैं। बबिता का मानना है कि लड़कियों को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाना जरूरी है, ताकि वे किसी भी चुनौती का सामना कर सकें। उनका लक्ष्य है कि कोई भी लड़की प्रशिक्षण के लिए लंबी दूरी तय न करे, जैसा कि उन्हें अपने शुरुआती दिनों में करना पड़ा था।
  • 2005 राष्ट्रमंडल खेलों: रजत पदक।
  • 2013-2018 अखिल भारतीय पुलिस खेल: लगातार पदक।
  • 2022 विश्व पुलिस एंड फायर गेम्स, नीदरलैंड: स्वर्ण पदक (68 किलोग्राम वर्ग में, 24 सेकंड में जीत)।
  • राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप: सीनियर और जूनियर वर्ग में रजत और कांस्य पदक।
  • पुरस्कार: यूथ आइकन अवार्ड (उत्तर प्रदेश सरकार), सीपी गोल्ड मेडल (दिल्ली पुलिस)।
    प्रेरणा का संदेश

बबिता नागर का कहना है, “लड़कियों को कम समझना गलत है। मेरी इस उपलब्धि के पीछे मेरे परिवार, गुरु और शुभचिंतकों का बड़ा योगदान है।” उनकी कहानी यह सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी, यदि आपके पास सपने और मेहनत करने का जज्बा है, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। वह अब ओलंपिक जैसे बड़े मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करने की तैयारी कर रही हैं।

बबिता नागर न केवल एक उत्कृष्ट पहलवान और पुलिस अधिकारी हैं, बल्कि एक ऐसी शख्सियत हैं जो अपनी सफलता को दूसरों के लिए प्रेरणा का माध्यम बनाती हैं। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि मेहनत, समर्पण और सकारात्मक सोच के साथ कोई भी अपने सपनों को साकार कर सकता है। गौतमबुद्धनगर की इस बेटी ने न केवल अपने गांव और जिले, बल्कि पूरे देश को गर्व का अनुभव कराया है।

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