स्पेशल स्टोरी- सबवेंशन स्कीम : नोएडा-ग्रेटर नोएडा में बिल्डर-बैंक गठजोड़ पर सीबीआई का शिकंजा: 22 मामलों में सीबीआई जल्द करेगी एफआईआर जल्द, होगी कार्रवाई

नई दिल्ली,(नोएडा खबर डॉट कॉम)
नोएडा, ग्रेटर नोएडा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बिल्डरों और बैंकों के बीच कथित गठजोड़ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कड़ा रुख अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई 2025 को सीबीआई को 22 नियमित मामले (एफआईआर) दर्ज करने की अनुमति दी, जिसके बाद जांच एजेंसी ने ये मामले दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि अगले सप्ताह से इन मामलों में औपचारिक जांच तेज हो जाएगी। यह कदम हजारों होमबायर्स के लिए राहत की उम्मीद लेकर आया है, जो सबवेंशन स्कीम के तहत धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं।
क्या है मामला?
सबवेंशन स्कीम के तहत, बैंकों ने होम लोन की राशि सीधे बिल्डरों के खातों में जमा की, जिन्हें प्री-ईएमआई (पूर्व-मासिक किस्त) का भुगतान करना था जब तक कि प्रोजेक्ट पूरा न हो या होमबायर्स को पजेशन न मिल जाए। लेकिन कई बिल्डरों ने प्री-ईएमआई का भुगतान नहीं किया, जिसके कारण बैंकों ने होमबायर्स से ईएमआई की वसूली शुरू कर दी, भले ही प्रोजेक्ट अधूरे थे। इससे होमबायर्स को दोहरी मार पड़ी—उन्हें अधूरे फ्लैट्स के लिए ईएमआई और किराए दोनों का बोझ उठाना पड़ा।

सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप:

सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल 2025 को सीबीआई को सात प्रारंभिक जांच (Preliminary Enquiries – PEs) शुरू करने का निर्देश दिया था, जिसमें से एक विशेष रूप से सुपरटेक लिमिटेड पर केंद्रित थी। इन जांचों में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे, गुरुग्राम, और गाजियाबाद सहित एनसीआर के 80 से अधिक प्रोजेक्ट्स शामिल हैं। सीबीआई ने छह जांच पूरी कर लीं और सुप्रीम कोर्ट को एक अंतरिम रिपोर्ट सौंपी, जिसमें गंभीर अनियमितताएं सामने आईं। इसके आधार पर, कोर्ट ने 22 नियमित मामलों को दर्ज करने की अनुमति दी। सातवीं जांच, जो गैर-एनसीआर क्षेत्रों (मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, मोहाली, और इलाहाबाद) से संबंधित है, अभी जारी है।
सीबीआई की कार्रवाई:
सीबीआई ने अब तक 1,000 से अधिक लोगों से पूछताछ की और 58 प्रोजेक्ट साइट्स का दौरा किया। जांच में पाया गया कि बैंकों ने बिना निर्माण प्रगति की जांच किए 60-70% लोन राशि बिल्डरों को जारी की, जो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और नेशनल हाउसिंग बैंक (NHB) के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है। सुपरटेक लिमिटेड, जिसके खिलाफ 799 होमबायर्स ने 84 याचिकाएं दायर कीं, पर विशेष ध्यान है। कंपनी ने 1998 से 5,157.86 करोड़ रुपये के लोन लिए, जिनमें से कॉर्पोरेशन बैंक ने 2,700 करोड़ रुपये से अधिक की राशि दी।

प्रमुख प्रोजेक्ट्स और बिल्डर:
जांच के दायरे में सुपरटेक के केपटाउन, इकोविलेज 2 और 3, लोगिक्स के ब्लॉसम जेस्ट, महागुन मेज़ारिया, जेपी ग्रीन्स ऑर्चर्ड, और ओएसिस रियलटेक के ग्रैंडस्टैंड जैसे प्रोजेक्ट्स शामिल हैं। सुपरटेक के अलावा, लोगिक्स सिटी डेवलपर्स, जेपी इन्फ्राटेक, और अन्य बड़े बिल्डर भी जांच के घेरे में हैं। नोएडा, ग्रेटर नोएडा, और यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटीज के अधिकारियों पर भी लापरवाही और बिल्डरों को अनुचित रियायतें देने का आरोप है।

होमबायर्स की पीड़ा:
1,200 से अधिक होमबायर्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर कीं, जिसमें देरी से पजेशन और बैंकों द्वारा जबरन ईएमआई वसूली की शिकायत की गई। एक होमबायर, अयोग कुमार रस्तोगी ने बताया कि उन्होंने 2010 में सुपरटेक के इकोविलेज 3 में 3बीएचके बुक किया था, लेकिन 15 साल बाद भी पजेशन नहीं मिला। उन्होंने 70% लोन लिया था और 16% ब्याज के साथ पूरा भुगतान किया, फिर भी प्रोजेक्ट अधूरा है।

मनी लॉन्ड्रिंग का कोण:
सीबीआई के साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के कोण से जांच कर रहा है, क्योंकि करोड़ों रुपये के दुरुपयोग और संभावित विदेशी निवेश की आशंका है।

आगे की राह:
सुप्रीम कोर्ट इस मामले की मासिक निगरानी कर रहा है और सीबीआई को शीघ्र कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन होमबायर्स ने पजेशन की पेशकश ठुकराकर मुकदमेबाजी चुनी, उन्हें इस मंच का दुरुपयोग नहीं करने दिया जाएगा।

होमबायर्स की उम्मीद:
होमबायर्स ने इस कार्रवाई को न्याय की दिशा में बड़ा कदम बताया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भी लोग इस कदम का स्वागत कर रहे हैं, साथ ही पूरे देश में ऐसी जांच की मांग उठ रही है। एक यूजर ने लिखा, “यह सिर्फ एनसीआर का मामला नहीं, पूरे देश में बिल्डर-बैंक गठजोड़ की जांच होनी चाहिए।”
सीबीआई की इस कार्रवाई से नोएडा-ग्रेटर नोएडा के हजारों होमबायर्स को न्याय की उम्मीद जगी है, और यह रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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