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रिकॉल एप्लिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश, नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और 40 हजार फ्लैट्स बायर्स को मिलेगी राहत

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नोएडा, 8 नवम्बर।

सुप्रीम कोर्ट ने रिट याचिका संख्या-940/2017 बिक्रम चटर्जी एवं अन्य बनाम यूनियन ऑफ इण्डिया एवं अन्य में पारित आदेश दिनांक 10.6.2020, 10.7.2020, 19.8.2020 एवं 25.8.2020 के विरूद्ध नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों द्वारा दायर रिकॉल एप्लीकेशन पर 7 नवम्बर को आदेश पारित करते हुए 40 हजार फ्लैट्स बायर्स के सब लीज का रास्ता खोल दिया है। इससे दोनों प्राधिकरण की लगभग 19,301 करोड़ रुपये की बकाया राशि भी वसूली की राह आसान हो गई है।

नोएडा प्राधिकरण की आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार रिट याचिका संख्या-940/2017 बिकम चटर्जी एवं अन्य बनाम यूनियन ऑफ इण्डिया एवं अन्य में माननीय सर्वोच्च न्यायालय में ACE Group of Companies द्वारा दायर IA No. 49139/2020 एवं 59400/2020 में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिनांक 10.6.2020, 10.7.2020 19.82020 एवं 25.8. 2020 को पारित आदेशों में यह निर्देश दिये गये कि नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों में ग्रुप हाउसिंग की विभिन्न परियोजनाओं की देयताओं की गणना प्राधिकरण के पट्टा प्रलेख की शर्तों के स्थान पर दिनांक 1.1.2010 से SBI के MCLR दरों के आधार पर ब्याज लगाते हुए / बिना दण्डात्मक व्याज व बिना कम्पाउन्डिंग करते हुए की जाए एवं संशोधित धनराशि का 25 प्रतिशत धनराशि बिल्डर्स तीन माह के अन्दर एवं अवशेष 75 प्रतिशत धनराशि 1 वर्ष के अन्दर जमा कराएं।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय के उक्त आदेश का व्यापक वित्तीय प्रभाव देखते हुए इस आदेश के विरूद्ध नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों द्वारा प्राधिकरण बोर्ड के माध्यम से प्रस्ताव पारित कराते हुए माननीय उच्चतम न्यायालय में दिनांक 26.10.2020 को रिकॉल एप्लीकेशन दाखिल की गई। रिकॉल एप्लीकेशन पर माननीय उच्चतम न्यायालय में प्रभावी पैरवी करने हेतु प्राधिकरणों द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरीश साल्वे ( पूर्व सॉलिसिटर जनरल), श्री मुकुल रोहतगी (पूर्व अटॉर्नी जनरल) एवं श्री रविन्द्र कुमार (वरिष्ठ अधिवक्ता) को नियुक्त किया गया। प्रकरण में दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात माननीय उच्चतम न्यायालय ने दिनांक 13:11.2021 को अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया गया था। आज दिनांक 7.11.2022 को माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा इस रिकॉल एप्लीकेशन पर अपना निर्णय पारित करते हुए प्राधिकरणों के रिकॉल एप्लीकेशनों को स्वीकार कर लिया गया तथा पूर्व में पारित आदेश दिनांक 10.6.2020, 10.7.2020 एवं 25.8.2020 को निष्प्रभावी (quash) कर दिया गया। उ0प्र0 सरकार द्वारा निर्गत शासनादेश दिनांक 9.6.2020 के क्रम में दिनांक 09.06.2020 के बाद से ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं हेतु भी अन्य परियोजनाओं की भाँति एम०सी०एल०आर० + 1 प्रतिशत ब्याज दर लिये जाने के आदेश भी दिये गये।

माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश दिनांक 10.06.2020, 10.07.2020, 19.08.2020 एवं 25.08. 2020 के प्रभाव से नौएडा प्राधिकरण की ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं के सापेक्ष देयताओं पर लगभग रू0 12.776 करोड़ की वित्तीय हानि सम्भावित थी। इसी प्रकार ग्रेटर नौएडा प्राधिकरण की समस्त ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं के सापेक्ष देयताओं पर लगभग रू0 6,525 करोड की वित्तीय हानि सम्भावित थी। इस प्रकार माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश दिनांक 10.6.2020, 10.72020 तथा 25.8.2020 के निष्प्रभावी होने से दोनों प्राधिकरणों को कुल रू0-19,301 करोड़ का वित्तीय लाभ हुआ है। उल्लेखनीय है कि यदि माननीय उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन यूनिटेक एवं अन्य परियोजनाओं की देयताओं को पृथक कर दें तो भी नौएडा प्राधिकरण के लगभग रू0 5880 करोड़ तथा ग्रेटर नौएडा प्राधिकरण के लगभग रू0 3838 करोड़ अर्थात दोनो प्राधिकरणो के कुल रू0 9698 करोड़ के वित्तीय हित आज के आदेश से सुरक्षित हो गये है।

माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित आदेशों के पश्चात ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं के विकासकर्ताओं के अतिरिक्त अन्य बिल्डर्स द्वारा इन आदेशों का हवाला देते हुए अन्य परियोजनाओं यथा वाणिज्यिक, संस्थागत, स्पोर्टस सिटी, औद्योगिक आदि परियोजनाओं में भी इन आदेशों का लाभ दिये जाने की मांग की जा रही थी तथा विभिन्न न्यायालयों में बाद भी दायर किये जा रहे थे। इस प्रकार यदि इन सभी परियोजनाओं को इसका लाभ मिल जाता तो प्राधिकरणों को होने वाली क्षति में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हो जाती। इस क्षति से प्राधिकरण क्षेत्र में विकास परियोजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव सम्भावित था। इन आदेशों के पश्चात बिल्डर्स द्वारा देयताओं को जमा नही करायें जाने के फलस्वरूप विभिन्न परियोजनाओं के फ्लैट बायर्स के पक्ष में उप पट्टा प्रलेख का कार्य भी प्रभावित हो रहा था। आज के निर्णय से दोनों प्राधिकरणों मे राजस्व प्राप्ति के साथ-साथ लगभग 40 हजार फ्लैट बायर्स के पक्ष में उप पट्टा प्रलेख का मार्ग भी प्रशस्त हो गया है।

इस प्रकार उ०प्र० के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ जी की प्रेरणा से उ०प्र० शासन के मार्गदर्शन में नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों द्वारा दायर की गई रिकॉल एप्लीकेशन पर प्रभावी पैरवी के परिणाम स्वरूप माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा 7.11.2022 को पारित आदेश से नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों के वित्तीय हित सुरक्षित रहे। माननीय न्यायालय के इस आदेश से जन सामान्य में दोनों प्राधिकरणों के प्रति धारणा में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा तथा प्राधिकरण की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।

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