नोएडा खबर

खबर सच के साथ

विनोद शर्मा

नई दिल्ली, 23 जून।

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बिहार के पटना में विपक्षी दलों की शुक्रवार को महत्वपूर्ण बैठक चल रही है बैठक के दौरान ही आम आदमी पार्टी की तरफ से कांग्रेश की मंशा पर सवाल उठाए जाने लगे हैं और इसके पीछे आम आदमी पार्टी की वह रणनीति है जिसे विधेयक के विरोध की नीति के तहत साधा जा रहा है।

इससे एक बात स्पष्ट हो रही है कि क्या अरविंद केजरीवाल देश के तीसरे राष्ट्रीय दल के रूप में अपनी पार्टी का विस्तार और समर्थक दलों की संख्या बढ़ाने जा रहे हैं या क्षेत्रीय दलों का नेतृत्व करने की तैयारी कर रहे हैं। दरअसल अभी तक की नीति से यह स्पष्ट है कि वह कांग्रेस के नेतृत्व में गठबंधन का हिस्सा नहीं बनना चाहती और कांग्रेस में भी अधिकतर नेता नहीं चाहते कि आम आदमी पार्टी गठबंधन का हिस्सा हो।

कांग्रेस और बीजेपी के विरोध में ही आप का विस्तार

विपक्ष के गठबंधन की राजनीति में आम आदमी पार्टी देश की तीसरे बड़ी पार्टी है। गुजरात मे 5 विधायक चुने जाने के बाद पहली ऐसी पार्टी है जिसकी दो राज्य में सरकार है पंजाब और दिल्ली। इसके अलावा गोवा और गुजरात मे भी आप की परफॉरेमेंस ने आप को राष्ट्रीय दल बना दिया। अभी तक आम आदमी पार्टी की रणनीति कांग्रेस और बीजेपी की विरोधी की रही है और वह ऐसे राज्यों में ही चुनाव लड़ने गई है जहां पर कांग्रेसी और बीजेपी आमने-सामने हैं।

तीसरे विकल्प की शून्यता भरकर विस्तार की तैयारी

आम आदमी पार्टी के पदाधिकारी ने बताया कि जिस राज्य में कांग्रेस और बीजेपी की लंबे समय से सरकार रही है वहां तीसरे विकल्प की शून्यता भरना ही आम आदमी पार्टी का लक्ष्य है और इसमें कहीं ना कहीं कामयाबी मिली है जैसे पंजाब में कांग्रेस बनाम अकाली दल का मुकाबला रहता है वहां बीजेपी अभी तक अकाली दल के साथ थी। पंजाब में बीजेपी मजबूत भी नहीं थी अब अकाली दल बीजेपी फिर से 2024 चुनाव से पहले एक साथ आ रहे हैं ऐसे में आम आदमी पार्टी चाहती है कि कांग्रेस पंजाब और दिल्ली उसके लिए छोड़ दें ताकि वह अन्य राज्यों में अपना दावा कम कर दे जहां पर कांग्रेस की सरकार है।

निगाहें राजस्थान और मध्यप्रदेश पर

हालांकि कई विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ चुकी है और वहां खास कामयाबी नहीं मिल पाई है इनमें हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड और राजस्थान आदि राज्य हैं अब क्योंकि इसी साल अंत में राजस्थान में और मध्य प्रदेश में चुनाव होने हैं आम आदमी पार्टी इन दोनों राज्यों में यह अवसर नहीं खोना चाहती कि वह इन दोनों राज्यों में चुनाव ना लड़े। क्योंकि इन दोनों राज्यों में ही कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने हैं।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का भी मानना है कि जहां पार्टी मजबूत है वहां दूसरे दलों के लिए अवसर देकर वह अपनी जमीन को कमजोर नहीं होने देना चाहेगी बस यही से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच दरार बढ़ती नजर आ रही है पटना की बैठक में आम आदमी पार्टी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस पहले विधेयक का समर्थन करें उसके बाद विपक्षी एकता के मुद्दे पर बात करें जबकि विपक्ष की नेताओं का कहना है यह बैठक बीजेपी के खिलाफ 2024 के चुनाव की तैयारी में विपक्ष को एक करने की तरफ एक कदम है और इसके बाद कई और बैठक होगी।

खास बात यह है कि विपक्ष में इस समय जो लोग मुहिम चला रहे हैं उनमें अधिकतर पूर्व में कांग्रेसी भी रहे हैं इनमें ममता बनर्जी और शरद पवार मुख्य नेता हैं जबकि बाकी घटक दलों में सपा, राजद जेडीयू शिवसेना आदि कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं ऐसे में कांग्रेस के घटक दलों की संख्या ज्यादा है और क्षेत्रीय दल अपने-अपने राज्यों में मजबूत स्थिति में हैं तब ये सब कांग्रेस के साथ मिलकर अपनी रणनीति तय करेंगे और ऐसे में आम आदमी पार्टी अलग-थलग हो सकती है वैसे भी कांग्रेस के अधिकतर नेताओं को आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल पर भरोसा कम ही है उन्हें यह भी लगता है दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों को वह आम आदमी पार्टी के हवाले नहीं कर सकते यही सब वजह है कि विपक्षी एकता में आम आदमी पार्टी शायद ही गठबंधन का हिस्सा बने।

महाराष्ट्र में वीर सावरकर के मुद्दे पर कांग्रेस और शिवसेना में मतभेद सामने आ चुके हैं। कांग्रेस में अम्बानी विरोध की राजनीति पर शरद पवार ने रोक लगा दी है, अम्बानी ने पिछले दिनों शरद पवार से मुलाकात कर अपनी स्थिति स्पष्ट की है।

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के वामपंथियों को साथ लेने के मुद्दे पर और कांग्रेस विधायक को टीएमसी में शामिल करने पर कांग्रेस ममता से नाराज है। अब देखना होगा कि कांग्रेस देश भर में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए उन दलों को साथ लेकर चलेगी जिनसे दोनो पार्टियों को फायदा होगा या वह अपनी वोट बैंक की राजनीति में आप को भी साथ जोड़ने में कामयाब होगी।

विनोद शर्मा,( वरिष्ठ पत्रकार )

 58,093 total views,  2 views today

More Stories

Leave a Reply

Your email address will not be published.

साहित्य-संस्कृति

चर्चित खबरें

You may have missed

Copyright © Noidakhabar.com | All Rights Reserved. | Design by Brain Code Infotech.