नोएडा : 200 करोड़ के एफडी घोटाले में लिप्त अफसरों की जांच हो-भूपेंद्र जादौन, जिलाध्यक्ष, आप
1 min read-आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री को नोएडा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में हुए घोटालों के दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग के लिए लिखा पत्र
नोएडा, 6 जुलाई।
नोएडा प्राधिकरण में 200 करोड़ की FD तोड़कर करोड़ों रुपए निकाले गए हैं इसकी निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर सख़्त कार्रवाई होनी चाहिए । आप ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे पत्र में पूर्व में हुए घोटालों की भी जाँच में तेज़ी लाने की माँग की है जिलाध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह ने पत्र के माध्यम से नोएडा में हुए घोटालों को भी एक बार फिर उजागर किया है।
उन्होंने बताया कि इससे पहले नोएडा प्राधिकरण और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में इन बड़े घोटालों की जाँच में तेज़ी आने चाहिए होटल भूखंड घोटाला,लीज रेंट घोटाला,नोएडा से ग्रेटर नोएडा तक बनी 130 मीटर चौड़ी सड़क निर्माण घोटाला,गौतमबुद्ध विवि में निर्माण घोटाला,फार्म हाउस आवंटन घोटाला,अंडर ग्राउंड केबलिंग घोटाला,नोएडा क्रिकेट स्टेडियम पवैलियन निर्माण घोटाला, लीजबैक घोटाला, स्पोर्ट्स सिटी घोटाला, मल्टीलेबल कार पार्किंग और ऐलीवेटेड रोड में अतिरिक्त भुगतान घोटाला हुआ। जिलाध्यक्ष ने पत्र के माध्यम से आरोप लगाया कि पूर्व में भ्रष्टाचार करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह ने मुख्यमंत्री से पत्र के माध्यम से सभी जाँचें में तेज़ी लाने की माँग की है और दोषियों को कड़ी सजा दिलाने की माँग को दोहराया है। जिलाध्यक्ष ने पत्र में आरोप लगाया कि लम्बे समय से जो अधिकारी नोएडा प्राधिकरण और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में तैनात है वह भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं उनकी संपत्तियों की जाँच होनी चाहिए और लम्बे समय से जमे अधिकारियों का तबादला कर देना चाहिए।
प्राधिकरणों में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए योगी सरकार ने सत्ता में आते ही नोएडा प्राधिकरण व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में वर्षों से जमे अधिकारियों के तबादले का फैसला किया। इसके लिए प्रदेश के सभी औद्योगिक प्राधिकरणों का केंद्रीयकरण कर यहां से अधिकारी यूपी सीडा, गोरखपुर, कानपुर व लखनऊ विकास प्राधिकरण में भेजे गए। जिलाध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह का आरोप है कि कुछ ही दिन बाद अधिकांश अधिकारी लौट कर वापस नोएडा प्राधिकरण ,ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में आ गए। जिससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना नामुमकिन है सभी तबादलों की जाँच होनी चाहिए।
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