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श्रीराम मित्र मंडल रामलीला: किष्किंधा कांड में सुग्रीव से मित्रता, बाली वध की लीला का मंचन

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नोएडा, 22 अक्टूबर।

श्रीराम मित्र मण्डल नोएडा रामलीला समिति द्वारा सेक्टर-62 के रामलीला मैदान में आयोजित श्रीरामलीला मंचन के सप्तम दिन मुख्य अतिथि उत्तरप्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम, कांवर सेवा समिति के अध्यक्ष सतीश अग्रवाल, आर आर एस नगर कार्यवाह अनिल चौहान,नोएडा लोकमंच के महासचिव महेश सक्सेना, समाजसेवी विपिन गुप्ता, विष्णु प्रसाद गोयल, अपना घर संचालक नानूराम जिंदल, सी ए डी के सिंघल,रतन हवेलिया द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर रामलीला का शुभारंभ किया गया।

श्रीराम मित्र मंडल नोएडा रामलीला समिति के चेयरमैन उमाशंकर गर्ग, अध्यक्ष धर्मपाल गोयल एवं महासचिव मुन्ना कुमार शर्मा द्वारा मुख्य अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर और अंगवस्त्र ओढ़ाकर स्वागत किया गया। शबरी से भेंट के उपरांत शबरी ने उन्‍हें दक्षिण दिशा का मार्ग बतलाया. श्रीराम ने कबन्‍ध का भी उद्धार किया था, जिन्‍होंने उन्‍हें वानरराज सुग्रीव से मित्रता करने का सुझाव दिया था।

सुग्रीव का निवास-स्‍थल खोजते हुए राम-लक्ष्‍मण जब ऋष्यमूक पर्वत के पास पहुंचे तो उन्‍हें देखकर वानरदल को उन पर संदेह हुआ.तब उन्होंने हनुमान से आग्रह किया की पता लगाया जाए कि वे दोनों दिव्य पुरुष कोन हैं तब हनुमान ने साधु का रूप धारण कर राम और लक्ष्मण से मुलाकात की।सुग्रीव से मित्रता होती है और सुग्रीव बाली की दुष्टता के बारे में बताता है। सुग्रीव और बाली का युद्ध होता हैं और भगवान राम बाली का वध कर देते हैं । भगवान राम कहते हैं अनुज वधू भगिनी सुतनारी । सुनु सठ कन्या ए समचारी । इन्हहि कुदृष्टि विलोकइ जोई । ताहि बधे कछु पाप ना होई’। इस प्रकार प्रभु श्रीराम बाली को अपने परम धाम पहुंचा देते है । बाली वध के उपरांत सुग्रीव का राजतिलक होता है । कुछ समय व्यतीत होने के बाद सीता की खोज के लिए सुग्रीव कोई प्रयास नहीं करते हैं । इससे श्रीराम व लक्ष्मण सुग्रीव पर क्रोधित होते हैं । सीता की खोज के लिए अंगद, नील, जाम्वन्त, हनुमान को दक्षिण दिशा में भेजा जाता है । खोजते खोजते उनकी भेंट सम्पाती से होती है जो कि जटायु का भाई है । उसने बताया कि सीता लंका में है और जो सौ योजन समुंद्र को लांघ सकता हो वहीं वहां जा सकता है । समुंद्र तट पर जाम्वन्त ने हनुमान जी को उनका बल याद दिलाया । इसके बाद हनुमान जी भगवान श्रीराम का नाम सुमिर कर लंका की ओर प्रस्थान करते हैं । रास्ते में उन्हें सुरसा मिलती है । सुरसा अपना बदन सोलह योजन तक फैलाती है हनुमान जी 32 योजन तक अपना बदन फैलाते हैं । जब सुरसा समझ जाती है तो हनुमान सर नवाकर आगे चलते है । हनुमान जी अशोक वाटिका पहुंचकर जहां सीता बैठी हुई हैं उस पेड़ पर छुप जाते हैं और रामनाम की अंगूठी ऊपर से डालते हैं जिसे देखकर सीता के मन में विषमय होता है । इसके बाद सीताजी से आज्ञा पाकर हनुमान वाटिका से फल खाने लगते हैं और पेड़ तोडने लगते है । जब बाग के रखवालों ने रावण को बताया तो उसने अक्षय कुमार को भेजा जिसका हनुमान जी वध कर देते है ।मेघनाथ द्वारा हनुमान को पकड़कर रावण के दरबार मे लाया जाता है जहाँ हनुमान रावण से कहते हैं कि अब भी समय है अपने कुकर्मो के लिए श्रीराम से क्षमा मांग लो वह दया की मूर्ति हैं निसंदेह तुमको क्षमा कर देंगे परन्तु रावण अपने अहंकार मे क्षमा मांगने से मना कर देता है वहीं रावण दरबार में सभी कहते है कि हनुमान को मार दिया जाये लेकिन विभीषण के समझाने पर रावण ने कहा कि इसकी पूछ पर आग लगा दो । आग लगाने के बाद हनुमान जी एक महल से दूसरे महल पर जाते है और इस तरह पूरी लंका को जला देते हैं।
22 अक्टूबर को रावण द्वारा विभीषण का त्याग, रामेश्वरम की स्थापना, रावण अंगद संवाद, लक्ष्मण मेघनाथ युद्ध, लक्ष्मण मूर्छा, हनुमान का संजीवनी लाना, मूर्छा भंग होना आदि प्रसंगों का मंचन किया जायेगा। इस अवसर पर समिति के कोषाध्यक्ष राजेन्द्र गर्ग, सलाहकार मनोज शर्मा, सह-कोषाध्यक्ष अनिल गोयल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सतनारायण गोयल, राजकुमार गर्ग, चौधरी रविन्द्र सिंह, तरुणराज, पवन गोयल,मुकेश गोयल, बजरंग लाल गुप्ता, एस एम गुप्ता, अजीत चाहर, गौरव मेहरोत्रा, आत्माराम अग्रवाल, मुकेश अग्रवाल, मीडिया प्रभारी मुकेश गुप्ता, गिरिराज बहेडिया, शांतनु मित्तल, सुधीर पोरवाल, मोतीराम गुप्ता, अर्जुन अरोड़ा, आर के उप्रेती सहित श्रीराम मित्र मंडल नोएडा रामलीला समिति के सदस्यगण व शहर के गणमान्य व्यक्ति उपस्तिथ रहे।

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