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नोएडा प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में किसानों की जमीन के मुद्दे को बोर्ड ने शासन को संदर्भित किया, आवासीय भवन की ओटीएस स्कीम आई

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नोएडा, 2 नवम्बर।

उत्तर प्रदेश के अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त व नोएडा प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार को नौएडा प्राधिकरण की 212वीं बोर्ड बैठक संपन्न हुई। इसमे श्री अनिल कुमार सागर प्रमुख सचिव, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग (ऑनलाईन), श्री लोकेश एम. मुख्य कार्यपालक अधिकारी नौएडा, श्री अरूण वीर सिंह, मुख्य कार्यपालक अधिकारी यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक प्राधिकरण, श्री बलराम सिंह, अपर जिलाधिकारी एल०ए० के साथ प्राधिकरण की ओर से श्री संजय खत्री, अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्रीमती वन्दना त्रिपाठी, अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री सतीश पाल सिंह, अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी एवं अन्य सदस्य उपस्थित रहे।

नोएडा प्राधिकरण द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार बैठक में किसानों को 10 प्रतिशत जमीन आवंटित करने या उसके समकक्ष भूखण्ड की कीमत धनराशि देने की मांग पर चर्चा हुई सुर इस पर सकारात्मक रुख दिखाते हुए इसे शासन को संदर्भित करने का फैसला लिया गया। इसके अलावा आवासीय भवनों के लिए ओटीएस स्कीम लाई गई है। औद्योगिक भूखण्डों के आवंटन की प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया। फैसले के अनुसार

1. प्राधिकरण बोर्ड की 211वीं बैठक में आगामी योजनाओं हेतु समस्त आकार के औद्योगिक भूखण्डों के आवंटन हेतु ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया निर्धारित किया गया था। उक्त बैठक के निर्देशों के अनुपालन में निर्धारित ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया को सम्मिलित करते हुए संशोधित योजना विवरणिका प्राधिकरण बोर्ड की 212वीं बैठक में प्रस्तुत की गई। संचालक मण्डल द्वारा प्रस्तुत की गई योजना विवरणिका का अनुमोदन प्रदान करने के साथ प्रदेश में अधिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन की दृ ष्टि से उ०प्र० निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 में विख्यापित सनराइज सेक्टर एवं फोकस सेक्टर से सम्बन्धित परियोजनाओं के लिये वरीयता प्रदान किये जाने का भी निर्णय लिया गया।

2. नौएडा परिक्षेत्र के किसान संगठनों द्वारा धरनारत रहते हुए नौएडा द्वारा अर्जित भूमि के सापेक्ष समस्त किसानों को 10 प्रतिशत आबादी भूखण्ड अथवा उसके समतुल्य धनराशि प्रदान किये जाने सम्बन्धी माँग की गई थी। किसान संगठनों द्वारा की गई माँग पर नौएडा प्राधिकरण द्वारा सकरात्मक विचार करते हुए प्रस्ताव को प्राधिकरण बोर्ड के समक्ष रखा गया। प्राधिकरण बोर्ड द्वारा किसानों की उक्त माँग को शासन को सन्दर्भित किये जाने का निर्णय लिया गया है।

3. 80 क्यूसेक गंगाजल परियोजना स्थलीय निरीक्षण कर गठित समिति द्वारा पूर्व में – डाली गयी 500 एम0एम0 800 एम0एम0 एवं 900 एम0एम0 व्यास GRP पाईप लाईन में जल प्रवाह के माध्यम से टेस्टिंग का कार्य किया गया। समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर संचालक मण्डल द्वारा क्षतिग्रस्त पाईप लाईन की मरम्मत हेतु रू0 4.95 करोड़ का व्यय निर्धारित किया गया। उक्त पाईप लाईनों की मरम्मत कराये जाने के पश्चात् कुल 35.00 किमी0 से अधिक मुख्य पाईप

लाईन क्रियाशील की जा सकेगी और नौएडा की 75 प्रतिशत आबादी को उच्च गुणवत्ता के साथ मिश्रित गंगाजल की आपूर्ति उपलब्ध किया जाना सम्भव हो सकेगा तथा 700 एमएम व्यास की लगभग 20 किमी0 पूर्व में डाली गयी पाईप

लाईन का परीक्षण उपलब्ध जल प्रवाह के द्वारा ही भविष्य में सम्भव हो सकेगा।

4. नौएडा प्राधिकरण के आवासीय भवन विभाग में ओ०टी०एस० (एक मुश्त समाधान ) योजना के संबंध में ऐसे भवन आवंटी जो कतिपय कारणों से पूर्व की ओ०टी०एस०

योजनाओं का लाभ प्राप्त करने में असमर्थ रहे हैं, के द्वारा लगातार ओ०टी०एस० योजना के पुनः प्रकाशन की मांग की जा रही है। संचालक मण्डल द्वारा निम्नलिखित शर्तों / संशोधनों के साथ ओ०टी०एस० योजना प्रकाशित किये जाने का निर्णय लिया गया :-

8. ऐसे आवंटी जिनके भवनों का निरस्तीकरण भवनों के पट्टा प्रलेख का निष्पादन न कराने, भवन की अतिदेय धनराशि जैसे किस्त / किस्तों पर ब्याज, भू-भाटक / भू-भाटक पर ब्याज का भुगतान न करने के कारण किया गया है, को उक्त योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु सर्वप्रथम भवन विभाग की नीति के अनुसार भवनों का पुर्नस्थापन कराना अनिवार्य होगा । पुर्नस्थापना शुल्क प्रचलित सेक्टर दर का 10 प्रतिशत प्रति वर्ग मीटर है। b. यदि आवंटियों द्वारा बिन्दु सं० 1 का अनुपालन करते हुये ओ०टी०एस० योजना का लाभ प्राप्त किया जाता है तो ओ०टी०एस० योजना की नियम एवं शर्तों के अनुसार भवन की अतिदेय धनराशि का भुगतान करते हुये 30 दिन के अन्दर भवन का पट्टा प्रलेख निष्पादित कराना अनिवार्य होगा।

c. ऐसे आवटी जिनके भवन का निरस्तीकरण किया गया है तथा निरस्तीकरण आदेश के विरुद्ध मा० न्यायालय में वाद दायर किया गया है, को इस योजना में आवेदन करने हेतु इस आशय का शपथ पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा कि उनके द्वारा दायर वाद / याचिका मा० न्यायालय से वापस ले ली जायेगी। यदि उपरोक्त शर्त का अनुपालन नहीं किया जाता है तो इन आवंटियों को ओ०टी०एस० योजना का लाभ नहीं दिया जायेगा।

इस ओ०टी०एस० योजना की अवधि 03 माह होगी ओ०टी०एस० योजना वित्तीय वर्ष 2016-17 तक या उससे पूर्व की योजनाओं में से केवल उन प्रकरणों पर लागू होगी जोकि वर्तमान में किसी भी मद के डिफाल्टर है। सरकारी संस्थाओं को आवंटित परिसम्पत्तियों पर भी ओ०टी०एस० योजना लागू होगी, जिसके अंतर्गत केन्द्र सरकार, प्रदेश सरकार व सरकारी उपक्रमों को आवंटित परिसम्पत्तियां भी सम्मिलित होंगी भविष्य की देयता पर यह योजना लागू नहीं होगी।

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