जनसंख्या समाधान फाउंडेशन : छठ के कारण अनशन की तिथि बदली , अब देश भर में कार्यकर्ता 21 नवम्बर को करेंगे अनशन
1 min readगाजियाबाद, 16 नवम्बर।
छठ पर्व के कारण जनसंख्या समाधान फाउंडेशन के आह्वान पर 20 की बजाय अब 21 नवंबर मंगलवार को देशभर के जिला मुख्यालयों पर एक दिवसीय अनशन, धरना-प्रदर्शन आयोजित होगा। सभी जगह से प्रधानमंत्री, भारत सरकार के नाम ज्ञापन दिया जाएगा।
जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग को लेकर जारी अनिल चौधरी के आमरण अनशन के 19 वें दिन यति राजसिंहानंद गिरी सहित अनेक संगठनों ने समर्थन दिया। अनिल चौधरी शुक्रवार रात्रि 8 बजे अनिल चौधरी फेसबुक पेज लाईव के माध्यम से संगठन की रणनीति की घोषणा करेंगे।
अनिल चौधरी के आमरण अनशन के 19 वें दिन पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के कार्यकर्ताओं के छठ पर्व को देखते हुए तिथि बदलने के अनुरोध के कारण 20 की बजाय अब 21 नवंबर, मंगलवार को देशभर के जिला मुख्यालयों पर एक दिवसीय अनशन, धरना-प्रदर्शन और प्रधानमंत्री, भारत सरकार के नाम ज्ञापन कार्यक्रम होगा।
जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग को लेकर जारी अनिल चौधरी के आमरण अनशन के 19 वें दिन यति राजसिंहानंद गिरी जी, राष्ट्रीय किसान यूनियन अन्नदाता के अध्यक्ष दिनेश मीणा सहित अनेक संगठनों का समर्थन मिला।
अनशन के 19 वें दिन भी जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग के समर्थन में क्षेत्र में पैदल रैली का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।
लाजपत नगर के सामुदायिक भवन में जारी जनसंख्या समाधान फाउन्डेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल चौधरी के आमरण अनशन के 19 वें दिन देशभर के अनेक राज्यों के लोग धरना स्थल पहुँचकर अनशन को समर्थन दे रहे हैं।
अपने अनशन के 19 वें दिन शारीरिक कमजोरी के बावजूद संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल चौधरी ने दृढता से कहा कि जिस देश का विभाजन ही 76 वर्ष पूर्व धार्मिक आधार पर हुआ हो, उसमें जनसंख्या का वर्गीय असंतुलन भविष्य में एक और विभाजन को जन्म दे सकता है। इसलिए जनसंख्या नियंत्रण कानून बनना देश, काल, वातावरण और परिस्थतियों की मांग समझते हुए अविलंब जनसंख्या नियंत्रण कानून बनना राष्ट्र की प्रथम आवश्यकता है। इसके लिए हमारी जान की कीमत भी कुछ नही है।
अनिल चौधरी ने बताया कि 1881 से 2011 तक की जनगणना, विभिन्न सर्वे तथा हजारों गावों के अपने प्रवास के अनुभवों के आधार पर जनसांख्यिकीय असंतुलन संबंधित पुस्तिका संगठन द्वारा तैयार की गई है जिसे पढकर विषय की गंभीरता को समझा जा सकता है।
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