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गौतमबुद्धनगर/बुलंदशहर, 9 फरवरी।

आप यह जानकर हैरान होंगे कि गुलावठी से मात्र छह किलोमीटर दूर स्थित जाट बहुल गांव कुरली भटौना पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह के पैतृक गांव से जाना जाता है। इस गांव में चौधरी साहब के पूर्वज रहते थे। इसी वजह से चौधरी साहब दो-तीन बार गांव में आ चुके हैं। पूरे गांव को इस बात का गर्व है कि यह गांव उनका पैतृक गांव रहा है। इसके बाद उनका परिवार नूरपुर में शिफ्ट हो गया था। यह पहले मेरठ जिले का हिस्सा था, अब यह गाजियाबाद जिले में आता है। शुक्रवार को जब चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा हुई तब उनके पैतृक गांव की चर्चा चल पड़ी।

आपको बता दें कि कुरली भटौना में चौधरी चरण सिंह के पितामह बादाम सिंह थे, जिन्होंने तेवतिया जाटों द्वारा काफी पहले बसाए गए गांव भटौना में आकर शरण ली। तेवतिया का एक पर्याय भटौनिया हो गया। बादाम सिंह के पांच संतानें थी। आयु क्रम के अनुसार लखपत सिंह, बूटा सिंह, गोपाल सिंह, रघुवीर सिंह व छोटे भाई मीर सिंह थे। परिवार बड़ा था और आजीविका के साधन कम थे। इसलिए नए सिरे से फिर कृषि योग्य भूमि तलाशने का कार्य शुरू किया। परिवार के कुछ लोग पास के ही गांव क्यामपुर में बस गए। चौधरी चरण सिंह मीर सिंह के पुत्र थे।

सिकंदराबाद में 1968 में चौधरी बिहारी सिंह ने की थी मुख्यमंत्री चौधरी चरण सिंह की जनसभा

किसान नेता चौधरी बिहारी सिंह भी चौधरी चरण सिंह के किसान पुत्र होने से प्रभावित थे। उन्होंने 1968 में सिकंदराबाद में एक जनसभा की थी। तब उन्होंने बाकायदा पोस्टर छपवाकर आसपास में लगवाए थे। चौधरी बिहारी सिंह के छोटे बेटे यतेंद्र कसाना जो आरएलडी के प्रवक्ता हैं उन्होंने बताया कि चौधरी बिहारी सिंह ने खुलकर चौधरी चरण सिंह का समर्थन किया था।

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