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नोएडा : एमिटी विश्विद्यालय में सामाजिक विज्ञान पर अंतराष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीएसएस-2024) का आयोजन

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नोएडा, 5 मार्च।

छात्रों को सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में आ रही चुनौतियों की जानकारी प्रदान करने और उसके निवारण हेतु समाधान खोजने के लिए प्रेरित करने हेतु एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ सोशियल सांइसेस द्वारा इंडियन सोशल साइंस एसोसिएशन और एसोसिएशन ऑफ प्रोफेशनल सोशल वर्कर्स इन उत्तर प्रदेश एंव कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फांउडेशन के सहयोग से समाजिक विज्ञान पर अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीएसएस 2024) का आयोजन किया गया। ‘‘दिक्चालन समाजिक परिदृश्य – समाजिक विज्ञान में समसामयिक मुद्दों की खोज’’ विषय पर आधारित इस दो दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की निदेशक डा रंजना कुमारी, डब्लूटीओ के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर जनरल डा हर्षवर्धन सिंह, समाजिक कार्यकर्ता एंव प्रख्यात अधिवक्ता श्री भुवन रिभु, एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ सोशल सांइसेस की निदेशक डा निरूपमा प्रकाश और आईसीएसएस 2024 के संयोजक डा प्रशांत चौहान द्वारा किया गया।

सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की निदेशक डा रंजना कुमारी ने कहा कि वर्तमान समय में सम्मेलन पर आधारित विषय बेहद महत्वपूर्ण है। सामाजिक विज्ञान हमें समाज में हो रहे परिवर्तन, संबधों और स्थिति को समझने में सहायता करता है। उन्होनें कहा कि सामाजिक परिदृश्य में कुछ मुद्दों को समझना अत्यधिक जरूरी है जिसमें प्रथम जिस तरह तकनीकी विशेषकर सोशल मिडिया हावी हो रहा है, सब कुछ केवल सोशल मिडिया तक सिमट गया है। डीफ फेक और एआई का उपयोग गलत सूचनाओं और तथ्यों को फैलाने में भी हो रहा है और काफी लोग गलत एवं सही के अंतर को समझ नही पा रहे। द्वितीय लैगिंक समानता का मुद्दा केवल महिला और पुरूषों के समान अधिकार तक नही है बल्कि यही समाज के समाजिक रिश्तो ंसे भी जुड़ा है। तृतीय परिवार मे आ रहे परिवर्तन, जिसमें लोग स्वयं तक सीमित हो गये है, आपसी संवाद लगभग समाप्ति पर है और चतुर्थ समाज में बढ रही असमानता जिसमें व्यक्ति या परिवार की गरिमा को बनाये रखना आवश्यक है। डा कुमारी ने छात्रों से कहा कि आपको भविष्य की चुनौतियों के निवारण हेतु अभी से तैयार होना होगा। आपके विचार केवल समाजिक विज्ञान को समझने तक ना रहे बल्कि उससे समाज में परिवर्तन भी आये।

डब्लूटीओ के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर जनरल डा हर्षवर्धन सिंह ने कहा कि समाजिक विज्ञान एक बहुत बड़ा कैनवास है जिसमें बहुत सारे रंग है सबसे महत्वपूर्ण उनको जमा करके समान मुद्दों पर विचार करना है। इस सम्मेलन में प्रस्तुत किये गये पेपरों में से समान थीम पर शोध करें और सकारात्मकता से विचार करें। डा सिंह ने कहा कि सरकार के विकसित भारत मिशन में कौन से समाजिक मुददे चुनौतियां बन रहे है जिसका निवारण आवश्यक है इस पर कार्य करें। उन्होनें छात्रों से कहा कि यह सम्मेलन आपके लिए जानकारी प्राप्त करने का बेहतरीन मंच है इसका लाभ उठाये।

सामाजिक कार्यकर्ता एंव प्रख्यात अधिवक्ता श्री भुवन रिभु ने संबोधित करते हुए कहा कि इस सम्मेलन के माध्यम से हम मिलकर सामूहिक सहयोग से समाजिक विज्ञान की चुनौतियों के समाधान को प्राप्त करें। समाजिक न्याय, राजनैतिक न्याय और अधिकारो के न्याय के साथ आगे बढ़गें। वर्तमान में दो प्रमुख चुनौतियां है प्रथम यह कि मूल विचारों या आईडिया को कैसे प्राप्त करें और द्वितीय इसका उपयोग समाज हित में कैसे करें। शोध से ज्ञान प्राप्त करना ही पर्याप्त नही है बल्कि उसका उपयोग समाजिक चेतना या कानून निर्माण में भी होना आवश्यक है। सूचना को ज्ञान में परिवर्तित करके उसे समर्थन के लिए नीति निर्माण में उपयोग करना होगा। समाजिक विज्ञान में मुख्य मुदद्ों पर अनुसंधान आवश्यक है। जितना डाटा स्न 2000 तक मिलकर हमारे पास था आज हर तीन दिन में उतना डाटा उत्पन्न हो रहा है। यह ज्ञान नही सूचना या आवाज है इसमें से ज्ञान को तलाशना होगा। अगर फोन या कंप्यूटर की जानकारी का उपयोग समाज के लिए नही हो रहा तो वह व्यर्थ समय गंवाना है।

एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ सोशियल सांइसेस की निदेशक डा निरूपमा प्रकाश ने कहा कि विद्वानों, शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं को एक साथ लाने के लिए इस सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसका उददेश्य समाजिक घटनाओं के जटिल व लगातार बदलते क्षेत्रों का गहराई से पता लगाना है जो आपस मे जुड़ी दुनिया को आकार देते है। लगातार बदलते वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए समाजिक विज्ञान की चुनौतियों को समझने और प्रभावी ढंग से चर्चा करने की आवश्यकता बढ़ी है।

आईसीएसएस 2024 के संयोजक डा प्रशांत चौहान ने सम्मेलन में अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस सम्मेलन में समाजिक विज्ञान के विभिन्न विषयों जैसे राजनैतिक विज्ञान, इतिहास, भूगोल, मिडिया स्टडी, पत्रकारिता आदि धाराओं पर विद्वानों एवं विशेषज्ञों द्वारा पेपर प्रस्तुत किये जा रहे है। समाजिक विज्ञान में जमीन आधारित मुद्दों पर अनुसंधान आवश्यक है। एमिटी मे ंहम छात्रों को नये मुद्दें पर विचार करने और शोध करने में सहायता प्रदान करते है।

इस दो दिवसीय सम्मेलन में कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फांउडेशन के सहयोग से ‘‘बाल विवाह’’, सेंटर फॉर सोशियल रिसर्च के सहयोग से ‘‘ डिजिटल युग में महिला एंव बाल सशक्तिकरण’’ पर, ग्लोबल सोशियल डेवलपमेंट एंव यूथ पर, गतिशील युग में समाजिक कार्य – विकसित भारत का मार्ग प्रशस्त करना, भारतीय ज्ञान प्रणाली – अमृत काल में भारत का पुनरावलोकन आदि विषयों पर चर्चा सहित महिला उद्यमिता पर परिचर्चा सत्र और एनजीओं फोरम का आयोजन किया जायेगा।

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