नोएडा के एमिटी यूनिवर्सिटी में सम्पन्न हुआ एनसीआईआईपीसी-एआईसीटीई पेंटाथान-2024 का ग्रेंड फिनाले
1 min readनोएडा, 4 अप्रैल।
भारत के पहले राष्ट्रीय भेद्यता मूल्यांकन और प्रवेश परीक्षण (वीएपीटी) एनसीआईआईपीसी-एआईसीटीई पेंटाथॉन 2024 के तहत साइबर सुरक्षा की 48 घंटे की नॉन-स्टॉप प्रतियोगिता का ग्रैंड फिनाले गुरुवार को एमिटी विश्वविद्यालय नोएडा में संपन्न हुआ। प्रतियोगिता में पूरे भारत से 27 टीमों ने भाग लिया, जिसमें देश के प्रसिद्ध संस्थानों से 61 व्यक्तिगत प्रतिभागी शामिल थे।
समापन भाषण देते हुए, भारत सरकार के नेशनल क्रिटिकल इंफॉर्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर (एनसीआईआईपीसी) के महानिदेशक डॉ. नवीन कुमार सिंह, (आईपीएस) ने कहा, मैं उन सभी को बधाई देना चाहता हूं जिन्होंने समस्याओं का समाधान खोजने के लिए लगातार 48 घंटे तक कड़ी मेहनत की है। इस पेंटाथॉन के माध्यम से, हम देश के साइबर स्पेस को सुरक्षित करने में मदद करने के लिए देश के संसाधनों को एकत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं और चाहते हैं कि यह आयोजन अब बड़े पैमाने पर एक वार्षिक आयोजन हो। असफलताएँ ही सफलता का मार्ग हैं और जो लोग नहीं जीत पाए, उन्हें निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि भागीदारी की भावना जीत से अधिक महत्वपूर्ण है।
विजेताओं को पुरस्कार प्रदान करते हुए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष डॉ. टी.जी. सीताराम ने इस विचार को तैयार करने और आगे बढ़ाने के लिए एनसीआईआईपीसी को धन्यवाद दिया और प्रतिभागियों को साइबर सुरक्षा चुनौतियों का समाधान खोजने में मदद करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने के लिए बधाई दी। उन्होनें कहा कि भारत ने एक बड़ी डिजिटल संरचना बनाई है, चाहे वह आयुष्मान भारत हो, आधार हो, कोविड के दौरान टीकाकरण प्रमाणपत्र आदि हो और आज साइबर स्पेस तेजी से बदल रहा है, इसलिए हैकिंग जैसे कमजोर क्षेत्रों का समाधान खोजने के लिए ये कौशल बहुत महत्वपूर्ण हैं। भारत में हर साल 15 लाख इंजीनियर विभिन्न स्ट्रीम में स्नातक हो रहे हैं, उनकी प्रतिभा को दिशा देने की जरूरत है और भारत साइबर सुरक्षा समस्याओं से निपटने के लिए एक बड़ा संसाधन बना सकता है। ऐसी प्रतियोगिताएँ नवाचार, संस्कृति को बढ़ावा देती हैं और परीक्षाओं से भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती हैं।
इस प्रतियोगिता में पुणे के विश्वकर्मा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, गुजरात की नेशनल फोरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी और वेल्लोर इंस्टीट्यूट की टीम ने टीम श्रेणी मे पुरस्कार जीते और व्यक्तिगत श्रेणी के पुरस्कारों में, प्रतिभागी श्री आदित्य कुमार श्री सिद्दार्थ भारद्वाज श्री वाएल शेख विजयी रहे।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि, राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक लेफ्टिनेंट जनरल एम.यू. नायर ने कहा कि साइबर स्पेस आज राष्ट्रीय सुरक्षा का एक अभिन्न अंग है जो न केवल निर्णय लेने को प्रभावित कर सकता है बल्कि सेवाओं में व्यावधान भी पैदा कर सकता है। भारत में डेटा की खपत सबसे अधिक है, इसलिए उपयोगकर्ताओं को खराब साइबर स्वच्छता के कारण आने वाली चुनौतियों के प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता है। उन्होंने प्रतिभागियों से साइबर परिदृश्य में इन चुनौतियों का समाधान खोजने, एआई चुनौतियों का समाधान खोजने, नए कौशल को उन्नत करके साइबर हमलों की पहचान करने और साइबर हैकिंग की सर्वाेत्तम प्रथाओं को नैतिक रूप से एकीकृत करने का आह्वान किया। उन्होंने छात्रों से नवप्रवर्तन और सहयोग करने का आग्रह किया क्योंकि साइबर सुरक्षा एक सामूहिक प्रयास है।
इस अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समापन समारोह में एमिटी विश्वविद्यालय के अधिकारी एंव शिक्षकगण उपस्थित थे।
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