नोएडा : एमिटी विश्वविद्यालय में “खेल के माध्यम से समावेशन” पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
1 min readनोएडा, 8 अप्रैल।
एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ रिहैबिलिटेशन साइंसेस द्वारा स्पेशल ओलंपिक भारत और भारतीय पुनर्वास परिषद के सहयोग से ‘‘ खेल के माध्यम से समावेशन’’ पर दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।
इस सम्मेलन का शुभारंभ भारतीय पुनर्वास परिषद की अध्यक्ष डा शरणजीत कौर, शिक्षा मंत्रालय की आर्थिक सलाहकार सुश्री ए श्रीजा, स्पेशल ओलंपिक भारत की उपाध्यक्ष सुश्री चित्रा शाह, एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला, स्पेशल ओलंपिक भारत के एशिया पैसफिक के रिजनल प्रेसीडेंट और एमडी श्री दीपक नताली, एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ रिहैबिलिटेशन साइंसेस के मार्गदर्शक डा एस के श्रीवास्तव और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ रिहैबिलिटेशन साइंसेस की निदेशक डा जयंती पुजारी द्वारा किया गया।
सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए भारतीय पुनर्वास परिषद की अध्यक्ष डा शरणजीत कौर ने जिंदगी के अनुभवों को साझा किया और कहा कि उनके अपने जीवन के 30 वर्ष से अधिक का समय इन विशेष बच्चों के साथ गुजारा है। उन्होने विशेष शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि जब आप यहां से बाहर क्षेत्र में कार्य करने के लिए जाये तो आपके मस्तिष्क में रोजगार पाने की बजाय कुछ सकरात्मक और रचनात्मक कार्य करने की इच्छा होनी चाहिए। आज लोगों को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है, समावेश उपर से नही होगा बल्कि यह हर स्तर में धरातल से होगा। हमें समावेशन माहौल के लिए प्रावधान करने पड़ेगे अभी तक हम केवल बच्चों के लिए रैंप और लिफ्ट बनाकर कर कार्य कर चुके है किंतु यदि हमे आखरी व्यक्ति तक पहुंचना है तो साइन लैग्वेंज दुभाषिया हर संस्थान में होना ही चाहिए। खेल के समावेशन हेतु हर छात्रों को लगभग 40 मिनट के लिए मैदान में जाना और किसी भी खेल में हिस्सा लनेे के लिए अनिवार्य करना होगा। तनाव मुक्त व्यक्ति या छात्र बेहतर परिणाम दे सकता है इसके अतिरिक्त उसके अंदर नेतृत्व के गुण, आपसी सामजंस्य के गुण विकसित होते है।
स्पेशल ओलंपिक के प्रतियोगिताओं में विजयी छात्रों को सम्मेलन में बुलाये और उनकी उपलब्धियों को बतायें। भारतीय पुनर्वास परिषद का उददेश्य दिव्यांग जनों के पुर्नवास के क्षेत्र में प्रशिक्षण नीतियों और कार्यक्रमों का विनियमन करना है। हम अपने देश को तब तक विकसित नही मानूंगी जब तक विशेष बच्चे भी मुख्य धारा से नही जुड़ जाते है। हम विश्व गुरू थे, है और होगें किंतु क्या हम इस क्षेत्र में भी विश्व गुरू बनेगें। क्या कभी उन माता पिता की चिंता कम होगी कि जब हम नही होगें तो हमारे दिव्यांग बच्चों का क्या होगा। जब उसका हल निकल कर आयेगा तो इस प्रकार के सम्मेलनों, संस्थानों और विशेष शिक्षकों का अर्थ सही मायने में सार्थक होगा। डा कौर ने कहा हर बच्चे का विकास को जीवन का मकसद बनाये और विशेष शिक्षको की जिम्मेदारी बहुत बडी है, े और आप बहुत भाग्यशाली है जिन्हे इस क्षेत्र में कार्य करने का अवसर मिला।
शिक्षा मंत्रालय की आर्थिक सलाहकार सुश्री ए श्रीजा ने सबोधित करते हुए कहा कि नई शिक्षा निती में 2020 में समावेशिता पर एक अलग अध्याय है। विशेष बच्चों की समावेशिता के लिए सरकार द्वारा बहुत सारे कार्य किए गए हैं, उदाहरण के लिए, छात्रों को परिवहन सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। सरकार द्वारा डिजिटल शिक्षण और शिक्षण मॉड्यूल के रूप में डिजिटल कार्य भी किए गए हैं। हालाँकि, केवल 22 लाख विकलांग बच्चों की पहचान की गई है, और खेल, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के तीनों सरकारी विभागों को विकलांग छात्रों के लिए बेहतर सुविधाएं, योजनाएं और कार्यक्रम सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है। उच्च शिक्षा संस्थानों को आगे आना चाहिए और विशेष छात्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सक्रिय रूप से काम करना चाहिए।
स्पेशल ओलंपिक भारत की उपाध्यक्ष सुश्री चित्रा शाह ने कहा कि खेल, समावेश का एक बेहतरीन माध्यम है और आज स्पेशल ओलंपिक भारत की छात्र वैश्विक स्तर में बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे है। विभिन्न पैराओलंपिक खेलों में विजयी छात्र, बच्चों के नये रोल मॉडल बन रहे है। खेल एक ताकतवर उपकरण है जो विशेष बच्चों को नया उत्साह प्रदान कर रहा है।
एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला ने संबोधित करते हुए कहा कि एमिटी विश्वविद्यालय का दृष्टिकोण विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण के अनुरूप है और इसके लिए पहली और सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता लोगों को सशक्त बनाना है। एमिटी विश्वविद्यालय विकलांग व्यक्तियों सहित समाज के सभी वर्गों को शामिल करने पर जोर देती है और खेल शिक्षा शुरू से ही उच्च शिक्षा का एक हिस्सा रही है। एमिटी विश्वविद्यालय, स्पेशल ओलंपिक्स भारत के साथ बड़े पैमाने पर जुड़ी हुई है और विकलांग व्यक्तियों को खेलों में शामिल करने के लिए उनके साथ मिलकर काम कर रही है। विश्वविद्यालय विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए दिवाली मेला, क्लब और सांस्कृतिक गतिविधियों जैसी विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करता है क्योंकि सामुदायिक सहभागिता पाठ्यक्रम का एक हिस्सा है। खेल, 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और हम सभी को उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सामूहिक रूप से काम करना होगा।
स्पेशल ओलंपिक भारत के एशिया पैसफिक के रिजनल प्रेसीडेंट और एमडी श्री दीपक नताली ने कहा कि “लगभग 50 प्रतिशत विकलांग लोगों के स्कूल तक पहुँचने की संभावना कम होतीं है। समावेशी माहौल बनाने के लिए हमें मैदान पर खेलना शुरू करना होगा। यदि हम खेल का सही तरीके से उपयोग करने में सक्षम हैं, तो यह वास्तव में स्वीकृति और परिवर्तन के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर सकता है और एक मूल्य-आधारित समाज बना सकता है जहां हर कोई योगदान दे सकता है।
एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ रिहैबिलिटेशन साइंसेस की निदेशक डा जयंती पुजारी ने स्वागत करते हुए कहा कि इस सम्मेलन का उददेश्य समावेशन के माध्यम से खेल को बढ़ावा देने की दिशा में ज्ञान और विशेषज्ञता को साझा करने के लिए मंच प्रदान करना है जिससे दिव्यांगो का सशक्तिकरण हो सके। इस सम्मेलन में उत्तर भारत से कुल क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, विशेष शिक्षक, फिजिकल एजुकेशन शिक्षक आदि 85 प्रतिभागीयों ने हिस्सा लिया है।
सम्मेलन के प्रथम दिन सत्रों के अंर्तगत समाजिक समावेशन के लिए प्रभावी साझेदारी का विकास पर परिचर्चा सत्र का आयोजन किया गया। इसके अतिरिक्त खेल गतिविधियों के माध्यम से समाजिक समावेशन को मजबूत करनें पर गतिविधि आधारित सत्र का आयोजन भी किया गया। कार्यक्रम में विशेष छात्रों द्वारा संास्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के शुभारंभ समारोह में एमिटी गु्रप वाइस चांसलर डा गुरिंदर सिंह, एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती और एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमैन डा डी के बंधोपाध्याय भी उपस्थित थे।
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