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जेवर विधायक धीरेन्द्र की पैरवी रंग लाई, प्रदेश के औद्योगिक प्राधिकरणों में तकनीकी गुणवत्ता की जांच को बनी टीएसी

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-जनपद के औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के तकनीकी विभाग में नहीं चल पाएगी अब मनमानी

-प्राधिकरण की स्थापना के बाद से लिया गया सबसे अहम फैसला

-निर्माण कार्यों में गुणवत्ता से खिलवाड़ करने वाले अधिकारियों पर अब हो सकेगी सख्त कार्रवाई

-शासन स्तर से लिया गया निर्णय राज्य स्तर पर एसआईटी का गठन

-जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह की मांग पर शासन ने लिया फैसला

-प्राधिकरण में अब नहीं चलेगी मनमानी राज्य स्तर पर शासन ने किया टीएसी गठन का प्रावधान

जेवर, 15 अक्टूबर।

उत्तर प्रदेश के सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरण में गुणवत्ता पूर्वक कार्य कराने के लिए एक टीएसी यानी निगरानी समिति गठित की गई है इसमें ज्यादातर सदस्य आईआईटी के विशेषज्ञ हैं। अब अधिकारी गुणवत्ता के मामले में किसी विकास कार्य में कोई मनमानी नहीं कर पाएंगे। उत्तर प्रदेश सरकार ने यह फैसला जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह की मांग पर किया है।

जैसा कि सभी जानते हैं कि औद्योगिक विकास प्राधिकरण एक स्वायत्तशासी संस्था होती है, जिसके अपने नियम होते हैं, लेकिन विगत कई वर्षों से देखने में आ रहा था कि प्राधिकरणों द्वारा निर्माण कार्यों में गुणवत्ताविहीन कार्य किए जाने की निरंतर शिकायतें आ रही थी, लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत थी कि जांच भी उन्हीं अधिकारियों द्वारा की जाती थी, जो इसके निर्माण कार्य के लिए जिम्मेदार होते थे। इस विसंगति को देखते हुए जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह ने विधानसभा से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय और औद्योगिक विकास विभाग में निरंतर 04 साल पैरवी करते हुए, उन लोगों पर लगाम लगाए जाने के लिए, एक अहम निर्णय कराए जाने में सफलता हासिल की है, जिससे अब लालफीताशाही के दिन लद जाएंगे। अगर प्राधिकरण द्वारा निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार और गुणवत्ता से खिलवाड़ किया जाएगा तो उसके लिए अब राज्य स्तर से अन्य विभागों की भांति एसआईटी टीम द्वारा जांच किए जाने का प्रावधान एक शासनादेश के माध्यम से कर दिया गया है।
जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह ने बताया कि यद्यपि प्राधिकरण की स्थापना कई वर्ष पूर्व हुई थी, लेकिन मनमानी और लालफीताशाही के चलते अधिकारियों का एक बड़ा समूह ऐसा नहीं चाहता था कि उनके प्राधिकरण में कोई राज्यस्तरीय हस्तक्षेप हो, लेकिन निरंतर जनता की शिकायतें और गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ की शिकायतों के मद्देनजर इसकी पैरवी की गई और आज मुझे प्रसन्नता है कि मेरे प्रस्ताव को सरकार और शासन ने मानते हुए, उन भ्रष्ट अधिकारियों पर लगाम लगाई है, जो निरंतर निर्माण कार्यों में गुणवत्ता से खिलवाड़ तो कर रहे थे, लेकिन उनके ऊपर राज्य स्तर से कोई लगाम नहीं थी।
जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह ने आगे बताया कि सर्वप्रथम वर्ष 2018 में एक सवाल के माध्यम से विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया गया था, उसके बाद कई स्तर पर पत्राचार करते हुए, दिनांक 27 अगस्त 2020 को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को अवगत कराया गया, जहां से शासन को इस संबंध में पत्रावली पर आख्या उपलब्ध कराए जाने के लिए कहा गया, लेकिन लंबे समय के बाद कोई कार्यवाही नहीं होने के पश्चात जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह ने विभाग के अपर मुख्य सचिव से इस विषय में नाराजगी जाहिर करते हुए 20 जुलाई सन 2022 को एक पत्र देते हुए, कार्रवाई किए जाने की मांग की थी, जिस पर शासन द्वारा शासनादेश के माध्यम से कानपुर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के सिविल अभियांत्रिकी विभाग के संकाय सदस्यों की एक टीएसी टीम का गठन किया गया है, जो भ्रष्टाचार की शिकायतों पर जनपद व प्रदेश के सभी प्राधिकरण में गुणवत्ता की जांच करेगी।

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