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नोएडा :एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन की मांग, इंडस्ट्रियल सेक्टर में ना हो पार्किंग वसूली

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नोएडा, 30 मई।

एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मांग की है कि नोएडा के औद्योगिक सेक्टरों में पार्किंग शुल्क वसूली न करने के सम्बंध में निर्देश जारी किए जाएं।

एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेन्द्र नाहटा ने पत्र में लिखा है कि नोएडा प्राधिकरण में क्लस्टर पार्किंग के नाम पर अनियमितताएं और धांधली बरती जा रही है। प्राधिकरण की तरफ से नए सिरे से पार्किंग के ठेके आवंटित करने की तैयारी की जा रही है। औद्योगिक सेक्टरों में पार्किंग शुल्क व्यवस्था का हम कड़ा विरोध करते हैं। पार्किंग शुल्क के नाम पर उद्यमियों और लाखों श्रमिकों की जेब पर बोझ नहीं डाला जाना चाहिए। उद्यमियों को जब भूखंड आवंटित किए गए तब सडक़ की चौड़ाई, फेसिंग और कॉर्नर प्लॉट के हिसाब से अलग-अलग लोकेशन शुल्क वसूला गया था। उद्यमी प्राधिकरण को लीज रेंट भी देते हैं। ऐसे में इकाई के आगे वाहन पार्किंग शुल्क वसूलने का अधिकार किसी को कैसे दिया जा सकता है। औद्योगिक सेक्टरों में भूखंड आवंटित करते समय लोकेशन चार्ज वसूलकर जो संपत्ति उद्यमियों के हवाले की गई उसे दोबारा से पार्किंग ठेकेदारों को बेचने का कोई औचित्य नहीं है।

उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को जानकारी दी है कि नोएडा की सडक़ों को पार्किंग ठेकेदारों के हवाले करके नोएडा प्राधिकरण बड़े घोटालों को अंजाम दे रहा है। पिछले दिनों मीडिया में ऐसी कई खबरें आईं, जिसमें प्राधिकरण अधिकारियों और पार्किंग माफिया गठजोड़ के संकेत मिले हैं। पार्किंग ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए टैंडर के नियमों में ही बदलाव किया गया। सवाल उठने पर टैंडर प्रक्रिया रोकते हुए तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित करने का दिखावा किया गया। अब फिर से सडक़ों को पाकिँग माफिया के हवाले करने की तैयारी प्राधिकरण कर रहा है।

इससे पहले पिछले वर्ष शहर में तीन क्लस्टरों में 58 सरफेस पार्किंग का संचालन किया जा रहा था। पार्किंग ठेकेदार जनता से पार्किंग शुल्क की वसूली कर वारे-न्यारे करते रहे और कोरोना काल का हवाला देकर प्राधिकरण का करोड़ों रुपया लाइसेंस शुल्क दबाकर बैठ गए। यह सब अधिकारियों की मिलीभगत से होता रहा।

उन्होंने कहा कि उद्यमी नोएडा प्राधिकरण की गलत नीतियों से पहले ही परेशान हैं। कचरा शुल्क वसूली के नाम पर उद्योगों पर आर्थिक बोझ पहले ही डाला जा चुका है। कभी जल-सीवर शुल्क के नाम पर मनमानी की जाती है। अब औद्योगिक सेक्टरों में पार्किंग शुल्क वसूली शुरू हुई तो यह उद्योगों पर दोहरी मार होगी और औद्योगिक विकास के प्रयास में जुटी प्रदेश सरकार की कोशिशों पर पानी फेरने वाला काम होगा। उन्होंने कहा है कि  क्लस्टर पार्किंग से औद्योगिक सेक्टरों को बाहर रखा जाए।

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