किसान महापंचायत से पहले यूपी में गन्ने के दाम पर प्रेशर पॉलिटिक्स, योगी जल्द घोषित कर सकते हैं नई दरें
1 min read-यूपी में गन्ने के दाम पर प्रेशर की राजनीति, पंजाब से ज्यादा हो सकती है गन्ने की कीमत
-दिल्ली में बैठे किसान आंदोलन की वजह से बढ़ रहा है प्रेशर
-किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह ने कहा, कम से कम 400 रूपये क्विंटल हो दाम
-प्रियंका गांधी ने पंजाब का रेट 360 रुपये प्रति क्विंटल बताकर बढ़ाया दबाव
-किसान महापंचायत में भी अहम होगा गन्ना
(नोएडा खबर डॉट कॉम न्यूज ब्यूरो )
विनोद शर्मा,
नई दिल्ली, 26 अगस्त।
यूपी में विधानसभा चुनाव के अब चंद महीने बचे हैं। गन्ने पर राजनीति फोकस हो गई है। गन्ने से निकली चीनी की मिठास मौजूदा योगी सरकार को मिलेगी या विपक्ष को यह वर्ष 2022 का चुनाव बताएगा। बुधवार को केंद्र सरकार ने गन्ना किसानों का एफआरपी रेट 290 रुपये घोषित कर दिया है। उधर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांंधी ने ट्वीट कर पंजाब के 360 रुपये प्रति क्विंटल का संकेत करके योगी सरकार को घेरते हुए कहा कि यह सरकार 400 रूपये का वादा करके सत्ता में आई थी और अब तीन साल से एक फूटी कौड़ी नहीं बढ़ाई है। इस मुद्दे पर किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह ने कहा है कि जिस तरह से हर साल महंगाई बढ़ी है और बिजली, खाद, डीजल के रेट में बढ़ोत्तरी हुई है उस हिसाब से यूपी में गन्ना का दाम 450 के करीब बैठता है। योगी सरकार ने भी वादा किया है कि वे जल्द गन्ना की कीमत बढाएंगे। वह कितनी होगी इस पर प्रदेश के किसानों की नजर है। देश मे गन्ना उत्पादन करने वाले किसान 5 करोड़ हैं ।
क्या है अभी तक गन्ने की कीमतों का गणित
दरअसल केंद्र सरकार एफआरपी हर साल घोषित करती है। इसे गन्ने का लाभकारी मूल्य कहा जाता है। यह दर एक अक्टूबर से 30 सितंबर तक हर वर्ष के सीजन के हिसाब से होती है। इस वर्ष गन्ने का एफआरपी मूल्य 290 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। इसका आकलन करते समय यह माना जाता है कि जिस गन्ने से प्रति क्विंटल दस किलो चीनी मिलेगी उसका दाम लाभकारी मूल्य के बराबर यानी 290 रुपये होगा यदि एक क्विंटल में 11 किलो चीनी मिली तो यह दाम दस प्रतिशत बढ़ कर 309 रुपये हो जाएगा। यह एफआरपी देश में सभी राज्यों पर लागू होना जरूरी नहीं है। इसके अलावा राज्य सरकार एसएपी ( राज्य परामर्शी मूल्य) तय करते हैं। यह भी सभी राज्यों में नहीं है। गन्ने के उत्पादन की स्थिति देखी जाए तो महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा व यूपी में इस समय सबसे ज्यादा गन्ने का उत्पादन हो रहा है।
पंजाब सरकार ने हाल ही में गन्ने का रेट किसानों के आक्रामक आंदोलन के बाद बढ़ाकर 360 किया है। अभी तक यह 310 या 315 के करीब था। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017-18 में योगी सरकार ने सत्ता संभालते ही गन्ने का दाम 315 से बढ़कर 325 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया था। इसके बाद पिछले तीन साल में गन्ने के दाम में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। अलबत्ता यह जरूर है कि गन्ने के बकाया रकम को चीनी मिलों से निकालकर किसानों की जेब में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। अब किसानों की मांग है कि गन्ने की कीमत यूपी में महंगाई दर को ध्यान में रखते हुए 450 होनी चाहिए।
किसान शक्ति संघ का तर्क
किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह ने नोएडा खबर डॉट कॉम से बातचीत करते हुए बताया कि यूपी में 2017-18 के बाद से गन्ने की कीमत ना बढ़ाना किसानों के साथ नाइंसाफी है। इसकी वजह यह है कि हर वर्ष छह प्रतिशत की दर से महंगाई बढ़ी है। डीजल के दाम आसमान पर है। बिजली की दरों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। ऐसे में किसान गन्ने का उत्पादन कर यदि देश को आत्मनिर्भर बना रहा है तो यूपी सरकार का भी फर्ज है कि वह किसानों को उसका वाजिब दाम दे। अगर हर साल का छह प्रतिशत के हिसाब से देखा जाए तो यह लगभग 400 रुपये प्रति क्विंटल पहुंचता है। उन्होंने बताया कि इस समय किसानों का लगभग 6200 करोड़ रुपये चीनी मिलों पर बकाया है। जबकि राज्य सरकार ने दावा किया था कि 14 दिन के अंदर किसानों का भुगतान उनके खाते में होगा। चौधरी पुष्पेंद्र सिंह ने माना कि भुगतान की स्थिति में सुधार किया है इसमें कोई दो राय नहीं है मगर गन्ना शोध संस्थान का मानना है कि लागत 300 रुपये है तो लागत का डेढ़ गुना 450 रुपये के करीब है तब अपना वादा राज्य सरकार को पूरा करना चाहिए।
प्रियंका गांधी के ट्वीट से गरमाई राजनीति
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव व यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी ने भी अपने ट्वीट के जरिए योगी सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि जो सरकार गन्ने का दाम 400 रुपये करने के दावे कर सत्ता में आई थी उसने तीन साल में गन्ने के दाम क्यों नहीं बढ़ाए। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर भारतीय किसान यूनियन के तेवर भी तीखे होंगे। वह पांच सितंबर को किसान महापंचायत गन्ने के दाम पर भी योगी सरकार को घेर सकती है। इससे पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार नई दरें घोषित कर सकती है।
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