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नोएडा : एमएसएमई जिलाध्यक्ष ने नोएडा में ट्रैफिक जाम का मुद्दा मुख्यमंत्री के सामने उठाया

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-शहर की सड़कों पर रोजाना झेलना पड़ रहा 3 से 4 घंटे जाम
नोएडा, 28 फरवरी।
पेट्रोल-डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं। ऐसी स्थिति में शहर की व्यस्त सड़कों पर हर रोज जाम में फंसकर लोग करोड़ों रुपये का ईंधन फूंक रहे हैं। इसका सीधा प्रभाव जिले के 25 हजार से ज्यादा उद्योगों पर सीधे तौर पर पड़ रहा है। लाखों की संख्या में श्रमिकों, उद्योग संचालकों और माल ढुलाई करने वाले हजारों वाहनों को हर दिन औसतन 3 से 4 घंटे नोएडा की सड़कों पर जाम का सामना करना पड़ता है। समय की बर्बादी के साथ-साथ ईंधन की बर्बादी से हर रोज भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है और पर्यावरण दूषित होता है। एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी,औद्योगिक अवस्थापना सचिव और नोएडा प्राधिकरण के सीईओ डॉ. लोकेश एम को पत्र लिखकर इस गंभीर समस्या से अवगत कराया है।

एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नाहटा का कहना है कि इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने के नाम पर जिस शहर में हर साल अरबों रुपया खर्च कर दिया जाता है, वहां नोएडा प्राधिकरण की लापरवाही आम जनता की जेब पर भारी पड़ रही है। गलत नीतियों का ही नतीजा है कि नियम तोडऩे वाले वाहनों की निगरानी तो हाईटेक तरीके से हो रही है लेकिन सड़कों पर वाहनों के बोझ से निपटने की कोई प्लानिंग नोएडा प्राधिकरण और यातायात पुलिस के पास नहीं है।

चिल्ला बॉर्डर के रास्ते दिल्ली को नोएडा से जोड़ने वाले मार्ग पर हर रोज सुबह-शाम चार से छह घंटे तक चार से पांच किलोमीटर लंबा जाम लग रहा है। गाजियाबाद से नोएडा के बीच आवाजाही करनी हो तो मॉडल टाउन पर रोजाना लंबा जाम लोगों को झेलना पड़ता है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट से नोएडा के बीच आवाजाही करने वालों को किसान चौक पर हर रोज भयंकर जाम का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा शहर के अंदरूनी मार्गों पर भी यातायात व्यवस्था पूरी तरह बदहाल हो चुकी है। उद्योग मार्ग, रजनीगंधा अंडरपास से सेक्टर-12/22/56 तिराहे को जोड़ने वाले मार्ग की बात हो या फिर सेक्टर-71 से सेक्टर-62 तक रोड नंबर छह, हर जगह वाहनों को रेंगते देखा जा सकता है।

किसी भी औद्योगिक शहर की कल्पना बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर के बिना नहीं की जा सकती। गौतमबुद्ध नगर में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए जेवर एयरपोर्ट, दिल्ली एयरपोर्ट से मेट्रो के जरिये कनेक्टिविटी, मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक हब जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। परंतु कई परियोजनाओं में देरी एनसीआर की आपस में कनेक्टिविटी की राह में बड़ी अड़चन बनी हुई है। इन परियोजनाओं में देरी का असर न केवल नोएडा-ग्रेटर नोएडा के उद्योगों बल्कि लाखों श्रमिकों पर पड़ रहा है। ऐसे ही कई प्रोजेक्ट पाइपलाइन में हैं, जिनको कारोबार की दृष्टि से जल्द पूरा करना बेहद जरूरी है। विश्वभर के निवेशकों की नजरें नोएडा-ग्रेटर नोएडा पर हैं। दिल्ली-एनसीआर के विकास और औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा तभी मिलेगा, जब इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती प्रदान की जाएगी। रोड नेटवर्क को और अधिक मजबूत किए जाने की जरूरत है।

इन योजनाओं पर जल्द कार्य हो

दादरी-सूरजपुर-छलैरा (डीएससी) मार्ग पर भंगेल एलिवेटेड रोड का निर्माण अगस्त 2020 में शुरू हुआ था। निर्माण कार्य अभी आधा ही हो पाया है। इस परियोजना के पूरा न होने से नोएडा के फेस-दो औद्योगिक क्षेत्र के अलावा नोएडा से ग्रेटर नोएडा, दादरी के बीच आवाजाही बाधित है। इसका बुरा असर आम जन मानस, व्यापार और उद्योगों पर पड़ रहा है।

– चिल्ला एलिवेटेड रोड परियोजना दिल्ली से नोएडा-ग्रेटर नोएडा ही नहीं बल्कि यमुना एक्सप्रेसवे के रास्ते दिल्ली से लखनऊ और आगरा के बीच आवाजाही करने वालों के लिए बेहद जरूरी है। रोजाना लाखों वाहन दिल्ली-नोएडा लिंक रोड के लंबे जाम में फंसते हैं। साल 2019 में परियोजना का शिलान्यास हुआ और कुछ समय बाद काम बंद हो गया। जो आज तक शुरू नहीं हो सका है।

— नोएडा को फरीदाबाद के रास्ते सोहना होते हुए गुरुग्राम से जोडऩे वाली परियोजना पर अब तक काम नहीं हुआ है। नोएडा व फरीदाबाद के बीच यमुना पर वर्षों से दो जगह पुल बनाए जाने प्रस्तावित हैं, लेकिन यूपी और हरियाणा के बीच अब तक सहमति नहीं बन पाई है।

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