श्रीमद्भागवत कथा में राजेंद्रानन्द सरस्वती ने सुनाई श्रीकृष्ण जन्म की कथा
1 min readनोएडा, 19 अप्रैल।
श्री गौरी शंकर वैदिक धर्मार्थ ट्रस्ट के तत्वाधान में नोएडा सेक्टर-134 जेपी विश्टाउन क्लासिक में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन कथा व्यास महंत श्री राजेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज ने बताया कि किस तरह देवकी के गर्भ से आठवीं संतान के पैदा होने के बाद वासुदेव जी महाराज भगवान कृष्ण को बदलकर उनकी जगह पर योग माया को लेकर आए।
भगवान कृष्ण को गोकुल में यशोदा मैया की गोद में देकर आ गए। यशोदा मैया की गोद में तो कन्या पैदा हुई थी। भगवान की लीला हुई। वासुदेव जी को आकाशवाणी से हुक्म हुआ कि लाला को नंद बाबा के घर यशोदा मैया के पास छोड़कर कन्या को लेकर वापस कंस की जेल में आना है।
ट्रस्ट के राष्ट्रीय महासचिव और प्रभारी भानू प्रताप लवानिया ने बताया कि पंचम दिवस की कथा में कृष्ण लीला का वर्णन करते हुए महाराज जी ने कई कथाएं सुनाई कि नंदलाल के पैदा होने की खुशी में नंद बाबा के यहां उत्सव शुरू हो गया। उसमें बधाई देने वालों का तांता लग गया।
इधर कंस को जब पता चला कि देवकी के आठवां बच्चा पैदा हो गया है। उन्होंने बच्ची को मारने की जब कोशिश की। वह योगमाया का रूप लेकर आकाश में चली गई। वहां उन्होंने भविष्यवाणी की कि तेरे मारने वाला तो गोकुल में पैदा हो चुका है, कंस ने सभी नए जन्मे बच्चों को मारने के लिए पूरी कोशिश की परंतु वह किसी भी तरह भगवान कृष्ण का बाल भी बांका नहीं कर पाए। इस तरह से बहुत सारे अत्याचार किए परंतु भगवान अपने बाल रूप में अनेक लीलाएं करते आगे बढ़ते गए।
उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण के पैदा होने के बाद कंस उसको मौत के घाट उतारने के लिए अपनी राज्य की सर्वाधिक बलवान राक्षसी पूतना को भेजता है। पूतना वेश बदलकर भगवान श्रीकृष्ण को अपने स्तन से जहरीला दूध पिलाने का प्रयास करती है। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण उसको मौत के घाट उतार देते हैं।
उसके बाद कार्तिक माह में ब्रजवासी भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन का कार्यक्रम करने की तैयारी करते हैं। भगवान कृष्ण द्वारा उनको भगवान इंद्र की पूजन करने से मना करते हुए गोवर्धन महाराज की पूजन करने की बात कहते हैं। इंद्र भगवान उन बातों को सुनकर क्रोधित हो जाते हैं। वह अपने क्रोध से भारी वर्षा करते हैं। जिसको देखकर समस्त ब्रजवासी परेशान हो जाते हैं। भारी वर्षा को देख भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर पूरे नगरवासियों को पर्वत को नीचे बुला लेते हैं। जिससे हार कर इंद्र एक सप्ताह के बाद वर्षा को बंद कर देते हैं। जिसके बाद ब्रज में भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन महाराज के जयकारे लगाने लगते हैं।
कथा सुन रहे सभी लोगों ने भजन पर मंतर मुग्ध होकर डांस किया। अंत मैं गोवर्धन महाराज की झांकी की लोगो ने पूजा अर्चन कर आरती करी ओर कभी कथा प्रेमियों को प्रसाद वितरण किया गया।
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