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नोएडा : विश्व यकृत दिवस पर एमिटी विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित

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नोएडा, 19 अप्रैल।

छात्रों को यकृत से संबंधित रोगों के प्रति जागरूक करने के लिए एमिटी विश्वविद्यालय में विश्व यकृत दिवस पर ‘‘ स्वंय के यकृत को स्वस्थ एवं रोगमुक्त रखें’’ विषय पर एक दिवसीय अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है।

एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ मॉलेक्यूलर र्मेिडसिन एंड स्टेम सेल रिसर्च द्वारा आयोजित इस एक दिवसीय सम्मेलन में नई दिल्ली के आईएलबीएस के हेपाटोलॉजी एंड लिवर ट्रांसप्लांट ग्रुप के डा अशोक चौधरी, जर्मनी के डीकेएफजेड जर्मन कैंसर रिसर्च सेंटर के डा आशीष गोयल, यूएसए के न्यूयार्क स्थित रोसवेल पार्क कॉम्प्रिहेंसिव कैंसर सेंटर बफेलो के प्रो ध्यान चंद्रा, एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ मॉलेक्यूलर र्मेिडसिन एंड स्टेम सेल रिसर्च के चेयरमैन डा बी सी दास ने अपने विचार रखे। एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ मॉलेक्यूलर र्मेिडसिन एंड स्टेम सेल रिसर्च के निदेशक डा शुभ्रजीत विश्वास ने अतिथियों का स्वागत किया।

नई दिल्ली के आईएलबीएस के हेपाटोलॉजी एंड लीवर ट्रांसप्लांट ग्रुप के डा अशोक चौधरी ने कहा कि यह वर्ष निवारक एंव स्वास्थय प्रोत्साहन से जुड़ा है। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यो में लक्ष्य नं 3, अच्छा स्वास्थय एवं कल्याण का है जिसकों यकृत के स्वस्थता के बिना हासिल करना संभव नही है। डा चौधरी ने कहा कि फैटी लिवर, हेपेटाइटिस, सिरोसिस, मोटापा, मधुमेह और शराब आदि लिवर रोगों के के मुख्य कारण है। यकृत रोगो के वर्णक्रम को बताते हुए कहा कि समान्य से फ्राइबोसिस और उसके उपरांत सिरोसिस होता है। शोध ने बताया है कि मोटापे ने यकृत कैंसर के जोखिम को बढ़ाया है जिससे यकृत कैंसर से मृत्यु के मामले बढ़े है। कई बार हम अपने स्वास्थय को नजरअंदाज कर देते है छोटे रोग बड़ी बीमारियों का कारण बन जाते है। यकृत रोगों से बचने के लिए स्वस्थ जीवनशैली विकसित करना, अच्छा आहार लेना और नियमित व्यायाम करना आवश्यक है।

जर्मनी के डीकेएफजेड जर्मन कैंसर रिसर्च सेंटर के डा आशीष गोयल ने कहा कि हर साल लिवर के रोगों के कारण होने वाली मृत्यु की संख्या में बढ़ोत्तरी चिंताजनक है। विश्व यकृत दिवस, एक स्वस्थय जीवनशैली, आहार, प्रर्याप्त नींद लेने, तनाव कम करने के लिए सचेत रहने, शराब एवं तंबाकू के कुप्रभावों को जानने का दिन है जिससे हम अपने लिवर व शरीर को स्वस्थ रख सकते है। एपिजेनेटिक्स थेरेपी इंडयूस्ड एंटीजन के संर्दभ में जानकारी देते हुए कहा कि डीएसी उपचार पर समान्य उतकों में अभिव्यक्ति और रोगी के नमूने में टी – नियोपेप्टाइन प्रेरण की पुष्टि करने के लिए विवो और पूर्व विवो टयूमर उपचार को समझना आवश्यक है। उन्होनें कहा कि इस प्रकार के सम्मेलन शोधाथियों के लिए लाभप्रद होगें।

यूएसए के न्यूयार्क स्थित रोसवेल पार्क कॉम्प्रिहेंसिव कैंसर सेंटर बफेलो के प्रो ध्यान चंद्रा ने कहा कि हाल के अध्ययनों के अनुसार, दुनिया भर में हर साल लगभग 20 लाख लोग लिवर की बीमारियों के कारण मर जाते हैं – 2030 तक यह संख्या 35 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है। लिवर के कार्यों में पित्त का उत्पादन और पदार्थों का उत्सर्जन के साथ बिलीरुबिन, कोलेस्ट्रॉल, हार्माेन और वसा, प्रोटीन और कार्बाेहाइड्रेट का चयापचय आदि शामिल है। कई मामलों में, रोगी प्रारंभिक चरण में बीमार नहीं दिखते या कमज़ोर महसूस नहीं करते हैं और एक बार जब लक्षण दिखाई देने लगते हैं, तो उचित उपचार के लिए बहुत देर हो चुकी होती है। इसलिए, लिवर की बीमारियों के मामले में समय पर निदान और उपचार महत्वपूर्ण है।

एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ मॉलेक्यूलर र्मेिडसिन एंड स्टेम सेल रिसर्च के चेयरमैन डा बी सी दास ने कहा कि इस अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का उद्देश्य लिवर या यकृत रोगों के बारे में जानकारी साझा करके लिवर रोगों और हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। बहुत से लोग छिपे हुए यकृत रोगों या हेपेटाइटिस के साथ जी रहे होंगे और इसलिए, वे स्वास्थ्य जटिलताओं के गंभीर जोखिम में हैं जो घातक हो सकती हैं। यह सब हेपेटाइटिस के बारे में जानकारी की कमी और अनभिज्ञता तथा देश भर में व्यापक रूप से उपलब्ध परीक्षण और टीकाकरण के प्रति अनिच्छा के कारण है।

विश्व यकृत दिवस पर आयोजित इस अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन के सत्र में एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ मॉलेक्यूलर र्मेिडसिन एंड स्टेम सेल रिसच के शोधार्थियों द्वारा प्रस्तुती दी गई जिसके अंर्तगत सुश्री बॉर्निका रॉय ने ‘‘लीवर लिटमस टेस्ट ऑफ लाइफस्टाइल’’ पर, श्री बासुधारा दास ने ‘‘ लाइसिल ऑक्सीडेंज – द मैट्रिक्स रिवोल्युशन’’ पर, श्री जयदेव पटेल ने ‘‘द पजल ऑफ लीवर कैसर स्टेम सेल’’ सहित सुश्री प्राची शर्मा, सुश्री भारती राखेचा, सुश्री शिवानी जैसवाल ने भी प्रस्तुती दी।

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