नोएडा : ट्विन टॉवर में 28 अगस्त को क्या होगा ? क्या 36 हजार टन मलबे की धूल का गुबार 3 घण्टे में थम जाएगा ?
1 min readऐमराल़्ड कोर्ट में 28 अगस्त को देश की सबसे ऊंची टावर गिरेंगी, देश भर के विशेषज्ञों की नजर
-एक टावर 29 फ्लोर और दूसरी 32 फ्लोर की है।
-इससे पहले कोच्चि व चेन्नई में गिराई गई हैं मगर वे 19 फ्लोर तक की हैं
-सबसे बडी चिंता मलबे को लेकर है, क्या वह धूल का गुबार दो घंटे में ठहर जाएगा
-36 हजार टन का निकलेगी मलबा, जो चार मंजिल तक के ढेर के बराबर होगा
-दुनिया के कई देशों में टावर गिराते समय आधी गिरी
विनोद शर्मा, नोएडा
आपकी नजर नोएडा शहर में 28 अगस्त को ट्विन टावर गिराने पर जरूर होगी। इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गिराने की तैयारी की जा रही है। इस मुद्दे पर नोएडा खबर डॉट काम ने यू ट्यूब पर विनोद शर्मा टॉक शो के दौरान चर्चा आयोजित की। इसमें
जाने माने आर्किटेक्ट डॉ हरीश त्रिपाठी ने ऐसे सवालों के जवाब दिए। सबसे बड़ा सवाल यह निकलकर आया है कि टावर गिराने के लगभग दो घंटे बाद लोग घर में लौट सकेंगे। एडिफिस ने दोपहर ढाई बजे गिराने के बाद शाम साढ़े चार बजे के बाद लोगों को अपने घरों में वापस लौटने की योजना तैयार की है।
डॉ हरीश त्रिपाठी के अनुसार योजना के अनुसार लगभग 36 हजार टन मलबा गिरेगा। यह मलबा लगभग चार मंजिल तक की स्टोरी के बराबर होगा। इसके धूल के गुबार को दो घंटे नहीं बल्कि ज्यादा समय लग सकता है। प्रशासन व प्राधिकरण ने आस पास के परिसर में रहने वाले लगभग छह हजार लोगों को सुबह सात बजे से शाम साढे़ चार बजे तक अपने-अपने घरों से बाहर रहने को कहा है। उन्होंने कहा कि जब यह टावर ध्वस्त हो जाएंगे तब सभी बिल्डिंगों के भी स्ट्रक्चरल ऑडिट करानी होगी ताकि टावर गिराने के बाद आस पास की बिल्डिंग के स्ट्रक्चर पर पडे असर के बारे में जानकारी की जा सके। उन्होंने बताया कि देश में अभी तक सिर्फ चेन्नई और कोच्चि में ही 12 से 19 मंजिल तक के टावर गिराए गए हैं। अब नोएडा में जो टावर गिराने जा रहे हैं वह आजादी के बाद से लेकर अभी तक की सबसे ऊंची बिल्डिंग होगी जिसे गिराया जा रहा है। इस पर निर्माण कार्य में लगी एजेंसी, आर्किटेक्ट, स्ट्रक्चरल इंजीनियरों की नजर हैं।
डॉ. हरीश त्रिपाठी के अनुसार टावर गिराते समय अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि टावर का मलबा निश्चित परिसर में ही गिरेगा। इससे पहले कई जगह परिसर के बाहर मलबा गिरा है। कई जगह टावर आधे ही गिरे। चेन्नई व कोच्चि में मलबे का इस्तेमाल कंक्रीट बॉक्स बनाने में किया। नोएडा में इसका इस्तेमाल क्या होगा यह तय नहीं है ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा इतना ज्यादा हुआ कि सड़कें खराब हो गई उन्हें फिर से सडकें बनानी पड़ी। नोएडा में भी इस मलबे को साफ करने में तीन महीने का समय मांगा गया है। वैसे इसमें ज्यादा समय लग सकता है। नोएडा के निकट श्रमिक कुंज की जर्जर हालत में है। इसके साथ ही फ्लाईओवर है। इसकी सुरक्षा को लेकर भी आशँका है।
आस पास की बिल्डिगों का बाद में भी कराना होगा स्ट्रक्चरल ऑडिट
डॉ. हरीश त्रिपाठी का कहना है कि टावर गिराने के बाद आस पास की बिल्डिगों में जो असर होगा उसके लिए स्ट्रक्चरल आडिट बाद में कराना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि जिस समय टावर गिराने का कार्य कराया जा रहा होगा उस समय बहुत संख्या में लोग हिस्सा लेंगे। उन्हें हैंडल कैसे करना है यह बडी चुनौती होगी। टावर गिराते समय दिल्ली व देश के दूसरे हिस्से से आने वाले लोगों को रोकेंगे। कोच्चि में ऐसी चुनौती आई थी। विस्तृत इंटरव्यू के लिए आप हमारे यू ट्यूब चैनल नोएडा खबर डॉट काम पर जाकर देख सकते हैं। इस चर्चा में डॉ. अतुल चौधरी ने मंच संचालक की भूमिका निभाई है।
(विनोद शर्मा नवभारत टाइम्स के वरिष्ठ पत्रकार रह चुके हैं।)
6,348 total views, 2 views today