नई दिल्ली। (नोएडा खबर डॉट कॉम)
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने आधार डेटाबेस की सटीकता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए मृत व्यक्तियों के आधार नंबर निष्क्रिय करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इस प्रक्रिया में धोखाधड़ी और पहचान के दुरुपयोग को रोकने का लक्ष्य है। यूआईडीएआई ने 1.55 करोड़ मृत व्यक्तियों के रिकॉर्ड खोजने और उनके आधार नंबर निष्क्रिय करने के लिए भारत के महापंजीयक (आरजीआई) के साथ सहयोग किया है।मुख्य बिंदु:
- मृत्यु रिकॉर्ड का सत्यापन: यूआईडीएआई ने 24 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (सीआरएस) के जरिए 1.55 करोड़ मृत्यु रिकॉर्ड प्राप्त किए। इनमें से 1.17 करोड़ आधार नंबरों को सत्यापन के बाद निष्क्रिय कर दिया गया है। शेष गैर-सीआरएस राज्यों से 6.7 लाख रिकॉर्ड प्राप्त हुए हैं, जिनके आधार निष्क्रिय करने की प्रक्रिया जारी है।
- माईआधार पोर्टल पर नई सेवा: 9 जून 2025 को यूआईडीएआई ने माईआधार पोर्टल पर “परिवार के सदस्य की मृत्यु की सूचना” सेवा शुरू की। यह सुविधा 24 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में उपलब्ध है। इसके जरिए लोग अपने मृत परिजन का आधार नंबर, मृत्यु पंजीकरण संख्या और अन्य विवरण दर्ज कर मृत्यु की सूचना दे सकते हैं। सत्यापन के बाद आधार नंबर निष्क्रिय किया जाता है। बाकी राज्यों को इस सेवा से जोड़ने का काम चल रहा है।
- अन्य स्रोतों से डेटा: यूआईडीएआई बैंकों और आधार से जुड़े अन्य संस्थानों से मृत्यु संबंधी जानकारी प्राप्त करने की संभावनाएं तलाश रहा है। साथ ही, 100 वर्ष से अधिक आयु के आधार धारकों की स्थिति सत्यापित करने के लिए राज्य सरकारों की मदद ली जा रही है। एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत ऐसे आधार धारकों का डेटा राज्यों को भेजा जा रहा है ताकि उनकी स्थिति (जीवित या मृत) की पुष्टि हो सके।
क्यों जरूरी है यह कदम?
आधार एक 12 अंकों की विशिष्ट डिजिटल पहचान है, जो किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद दोबारा किसी को नहीं दी जाती। मृतक के आधार नंबर को निष्क्रिय करना जरूरी है ताकि उसका दुरुपयोग रोका जा सके। यूआईडीएआई का यह प्रयास सुनिश्चित करता है कि आधार डेटाबेस सटीक और सुरक्षित रहे।
नागरिकों के लिए सलाह:
यूआईडीएआई ने सुझाव दिया है कि मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद लोग माईआधार पोर्टल पर अपने मृत परिजनों की सूचना दर्ज करें। इससे आधार नंबर के अनधिकृत उपयोग को रोका जा सके।