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नौगांव: 181 वर्ष पुराना ऐसा शहर जिसकी प्लानिंग लुटियंस के पिता ने 1840 में की, आप जरूर देखें

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दिल्ली लुटियंस जोन से बडा और सुन्दर है एडविन लुटियंस के स्व पिताजी द्धारा भारत में आजादी के 100 साल पहले का सीनियर लुटियंस नौगाँव ।

मानों या ना मानों ।

बडे भाई का त्याग ।

लुटियंस या लुटोयंस

*नौगाँव की आत्मकथा* ।

*कृप्या तिथियां ध्यान रखिये बडी रोचक है* ।

आज दुनिया मे भर मे भारत का दबदबा है । दुनिया की सबसे ताकतवर शक्सियत देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी जहाँ से देश और विदेश के लिये निर्णय लेते है । विश्व की सबसे शक्तिशाली सेना के मुख्यालय है । भारी भरकम केन्द्रीय मंत्रियों के एकड़ों मे फैले बंगले है ।
इस अद्धितीय सौन्दर्य से परिपूर्ण क्षेत्र को लुटियंस की दिल्ली के नाम से जाता जाता है क्योंकि लुटियंस की दिल्ली की कहानी 1911 मे जार्ज 5th उनकी रानी के भारत दौरे से हुई थी ।
*1912 में भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरण की प्रक्रिया हुई* ।

लगभग 20 वर्षों मे ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस और हर्वट बेकर ने अपने कार्य को पूरे मनोयोग से तैयार किया जिसमें राष्ट्रपति भवन , संसद भवन , इडिया गेट , नार्थ ब्लॉक , साऊथ ब्लॉक , कनाँट प्लेस , जनपथ पर ईस्ट कोर्ट , वैस्ट कोर्ट , तीन मूर्ती भवन , एकडों में फैले जम्बो साइज बंगलों का निर्माण हुआ ।

10 फरवरी 1931 को तथाकथित लुटियंस के नाम पर इस का नाम लुटियंस जोन कहा गया जो आज भी सत्ता , उधोगपतियों , मीडिया का शक्तिशाली क्षेत्र है ।

यहाँ निजी बंगले जिनमें अनुष्का सिंह ( DLF के मालिक केपी सिंह की पोती ) कीमत 470 करोड , रेणुका तलवार ( DLF के मालिक की बेटी ) कीमत 435 करोड. , विश्व के तीसरे सबसे बडे उधोगपति श्री गौतम अदानी जी का बंगला कीमत – 400 करोड , विजय शेखर शर्मा CEO Paytm बंगला कीमत – 82 करोड , राजीव रत्न ( इडिया बुल्स ) बंगला – 220 करोड , नवीन जिन्दल ( जिन्दल स्टील ) बंगला कीमत – 120 करोड , लक्ष्मी नारायण मित्तल ( आर्सेलर मित्तल ) कीमत 31 करोड है । सनद रहे यह वह कीमत है जो नं. 1 मे दिखाई गई है ।

सर एडविन लुटियंस के भारत आने के लगभग 60 साल पहले 1840 में ब्रिटेन में उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्र मे एक नगर बसाने की परिकल्पना की और सर एडविन लुटियंस के पिता को इस कार्य की जिम्मेदारी दी गई ताकि उत्तर भारत की रियासतों पर ब्रिटिश नियंत्रण प्रभाव शाली ढंग से किया जा सके । एक सुन्दर और स्मार्ट शहर बसाने के लिये जमीनों का अधिग्रहण किया गया ।

36 रियासतों के राजाओं के लिये 36 जम्बो साइज बंगले और हर बंगले मे 5 – 7 एकड एकड भूमि पर बाग बगीचे तैयार हुए ,राजाओं को नियंत्रित करने के लिये एक सबसे बड़ा बंगला तैयार हुआ जो पोलीटिकल ऐजेंट को आबंटित हुआ ।

1860 – 1900 तक यहाँ हवाई जहाज उतरते रहे यह ब्रिटिश सैनिक छावनी के रूप मे उपयोग होता था ।

देश की सबसे पुरानी डिस्टलरी काँक्स एन्ड किंग्स ब्रिटिश सरकार ने यहाँ लगवाई ।

इस शहर मे 128 चौराहे ( Round about ) है , ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार भारत में लगभग 150 साल बाद चण्डीगढ़ और नोयडा , ग्रेटर नोयडा का निर्माण हुआ ।

पोलीटिकल ऐजेंट सीधे वायसराय को रिपोर्ट करता था ।

भारत आजाद हुआ और सरदार पटेल के निर्देश पर रियासतों का बिलय हुआ ।

36 राजाओं ने देश हित मे अपनी अपनी रियासतों का बुन्देलखण्ड राज्य मे विलय कर दिया और बुन्देलखण्ड राज्य की राजधानी इसी स्मार्ट शहर को बनाया गया । बुन्देलखण्ड राज्य के मुख्यमंत्री श्री कामता प्रसाद सक्सेना जी को बनाया गया । बिन्ध्यप्रदेश की राजधानी भी इसी खूबसूरत शहर को बनाया गया ।

इसके बाद बिन्ध्यप्रदेश का विलय एक नये राज्य मे यानि मध्यप्रदेश के रूप मे कर दिया गया और नई राजधानी के रूप मे भोपाल का राजतिलक किया गया ।

वह खूबसूरत शहर जिसे सर एडविन लुटियंस के पिताजी ने बडी सिद्दत से , पूरे मनोयोग से डिजाइन किया था , वर्तमान लुटियंस दिल्ली से लगभग 60 साल उम्र मे बडी थी और कहा जाय 1840 की स्मार्ट सिटी सिटी थी ।
एक बहुत बडे राज्य की राजधानी रहे उस खूबसूरत शहर को तहसील बना कर छोड दिया ।

यह खूबसूरत स्मार्ट सिटी नौगाँव है जो मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले मे मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर है ।

यह देश का पहला शहर है जिसका जन्मदिन इस शहर की जनता प्रतिवर्ष मनाती है और इस शहर से उम्र मे छोटी लुटियंस दिल्ली , चण्डीगढ़ , नोयडा , ग्रेटर नोयडा और दर्जनों स्मार्ट सिटी के खूबसूरत , हरित , प्रदूषण रहित , स्वच्छता से परिपूर्ण भाई चारे से ओतप्रोत रहने की कामना करती है ।

11 जनवरी को इस नौगाँव स्मार्ट सिटी का 181 वाँ स्थापना दिवस गौरवपूर्ण रूप से मनाया गया जिसकी पूरे देश मे प्रसंशा हुई है ।

आदरणीय श्रदेय प्रधानमंत्री जी आप छोटी लुटियंस दिल्ली में बैठते है । यदि बडी लुटियंस नौगाँव पर आपका आशीर्वाद मिले तो इतिहास याद करेगा ।

जननी , जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ।

– प्रवीण नायक ( गार्वेज क्लीनिक )
लेखक भारत के पहले गार्वेजोलोजिस्ट है ।
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