योगी सरकार : उत्पीड़न रोकने को एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच के निर्देश
1 min readलखनऊ, 18 अगस्त।
उत्तर प्रदेश में विकास कार्यों को गति देने में कोई अवरोध ना हो।इसे ध्यान में रखते हुए एफआईआर दर्ज करने से पहले उत्पीड़न रोकने के लिए कुछ मामलों में प्रारंभिक जांच को लेकर दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।
उत्तर प्रदेश शासन द्वारा प्रदेश के विकास कार्यों को गति देने के लिये प्रदेश में ‘Ease of doing business’ की दिशा में किसी प्रकार का अवरोध न उत्पन्न हो तथा किसी भी उद्यमी, व्यापारी, शैक्षिक संस्था, चिकित्सालय, भवन निर्माताओं, होटल / रेस्टोरेंट इत्यादि से सम्बन्धित मालिक तथा प्रबन्धन स्तर के कर्मचारियों का किसी प्रकार से उत्पीड़न न होने पाये, इसके लिये शासन-प्रशासन दृढ़ संकल्पित है।
1. इस सम्बन्ध में मा० सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी रिट याचिका (किमिनल) संख्या: 68/2008 ललिता कुमारी बनाम उ0प्र0 राज्य में निर्देश दिये गये है कि ऐसे प्रकरण जो सिविल प्रकृति के हैं, व्यवसायिक विवाद से सम्बन्धित हैं, प्रतिष्ठान / संस्थान में आकस्मिक दुर्घटना से सम्बन्धित हैं, में प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीकृत करने से पूर्व प्रारम्भिक जाँच कराये जाने की एक औपचारिक प्रक्रिया निर्धारित की गयी है।
2. उक्त के क्रम में मुख्यालय स्तर से समय-समय पर जारी निर्देशों को समायोजित करते हुए पुनः निर्देशित किया गया है कि सभी महत्वपूर्ण संस्थानो / प्रतिष्ठानों जैसे- चिकित्सा, शिक्षा, विनिर्माण आदि में आकस्मिक दुर्घटनाओं में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने से पूर्व यह सुनिश्चित किया जायेगा कि प्रार्थना पत्र में नामित अभियुक्त का घटना से प्रत्यक्ष संबंध है कि नहीं, आरोपी को व्यवसायिक प्रतिद्वंदिता / विवाद / स्वेच्छाचारिता के कारण तो नामित नहीं किया जा रहा है या कहीं अनावश्यक दबाव / अनुचित लाभ के उद्देश्य से तो नामित नहीं किया गया है।
3. उपरोक्त निर्देशों को निर्गत करने का एक मात्र उद्देश्य यह है कि सिविल प्रकृति के विवादों को आपराधिक रंग देते हुए प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने की प्रवृत्ति को कम किया जा सके तथा न्यायिक प्रक्रिया का दुरूपयोग कर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने वाले अभ्यस्त शिकायतकर्ताओं पर नियंत्रण पाया जा सके। इससे निवेशकों हेतु प्रतिकूल वातारण होने से बचा जा सकेगा तथा अधिक निवेश राज्य को प्राप्त हो सकेगा।
4. यहाँ यह भी स्पष्ट करना आवश्यक है कि इन निर्देशों का यह उद्देश्य कदापि नहीं है कि संज्ञेय अपराध घटित होने के प्रत्येक प्रकरण में प्रारम्भिक जाँच करायी जायेगी। ऐसे प्रकरण जिनमें शिकायती प्रार्थना पत्र से संज्ञेय अपराध का होना स्पष्ट है, उन प्रकरणों में मा0 सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप तत्काल प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीकृत की जायेगी।
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