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गौतमबुद्धनगर सांसद डॉ महेश शर्मा बोले, अंतरिम बजट से भारतीय अर्थव्यवस्था में दिखेगा सकारात्मक परिवर्तन

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नोएडा, 4 फरवरी।

गौतमबुद्धनगर लोकसभा के सांसद डॉ महेश शर्मा ने कहा है कि वर्ष 2024 के अंतरिम बजट से भारतीय अर्थव्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन दिखाई दे रहा है। अब सरकार 2014 से अब तक की उपलब्धियां और उससे पहले की स्थिति पर जल्द श्वेतपत्र जारी करेगी।

डॉ महेश शर्मा ने रविवार को सेक्टर 27 में आयोजित पत्रकार वार्ता में बजट की उपलब्धियों पर चर्चा की। इस दौरान उनके साथ बीजेपी महानगर नोएडा के अध्यक्ष मनोज गुप्ता और मीडिया प्रभारी तन्मय शंकर भी मौजूद थे। डॉ महेश शर्मा ने कहा कि यह अंतरिम बजट प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के विकसित भारत (2047 के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाता है और अगले 23 वर्षों के लिए दिशा निर्धारित करता है, जब भारत स्वतंत्रता की एक शताब्दी मनाएगा। यह बजट पिछले वर्ष के आधार पर बनाया गया है, जो मोदी सरकार के “सबका साथ, सबका विकास” के आदर्श वाक्य के अनुरूप, गरीब, युवा, अन्नदाता और नारी (GYAN) को शामिल करता है। उन्होंने कहा कि इस बजट में भारत के जी-20 की अध्यक्षता के वर्ष के दौरान मोदी सरकार द्वारा किए गए कार्यों को रेखांकित किया गया, जिसमें प्रकृति, आधुनिक आधारभूत संरचना एवं सभी के लिए समान अवसरों के साथ समृद्ध भारत के दृष्टिकोण को प्राप्त करते हुए, भारत को दुनिया भर में विश्वगुरु के रूप में पेश किया गया।

डॉ महेश शर्मा ने बताया कि सतत आर्थिक विकास और राजकोषीय मजबूतीः उच्च गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों और निराशाजनक कॉर्पोरेट क्षेत्र के साथ एक टूटी हुई अर्थव्यवस्था विरासत में मिलने के बावजूद, मोदी सरकार ने सार्वजनिक निवेश को प्रोत्साहित करने, धीरे-धीरे पूंजीगत व्यय परिव्यय में वृद्धि और लक्षित सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने की लक्षित त्रि-आयामी नीति के माध्यम से सकारात्मक राजकोषीय समेकन हासिल किया है। इन सक्रिय उपायों के परिणामस्वरूप, राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 5.1% तक कम रहने का अनुमान है, जो पिछले वित्तीय वर्ष में 5.9% था। इसने देश को वित्त वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय समेकन पूरा करने की स्थिति में ला दिया है, राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 4.5% से कम होने की उम्मीद है। भारत को 2014 से पहले की नाजुक अर्थव्यवस्था से आर्थिक प्रबंधन में विश्व नेता बनाने के मोदी सरकार के प्रयासों को रेखांकित करने के लिए, सरकार कुप्रबंधन के पिछले दौर से सबक लेने के लिए संसद के समक्ष एक श्वेत पत्र रखेगी।

पूर्व केंद्रीय मंत्री के अनुसार प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के निरंतर और दीर्घकालिक विकास के दृष्टिकोण के अनुरूप, वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर खर्च का बजट बढ़ाकर ₹ 11,11,111 करोड़ कर दिया गया है जो देश के सकल घरेलु उत्पाद का 3.4% है। यह यू.पी.ए सरकार के समय वित्तीय वर्ष 2013-14 में खर्च के लिए आवंटित ₹2,57,641 करोड़ की तुलना में एक महत्वपूर्ण वृद्धि है, जो सकल घरेलु उत्पाद का केवल 2.8% था। इसका तात्पर्य है कि महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर खर्च चार गुना बढ़ाया गया है, और इस वृद्धि से आधारभूत संरचना और सामाजिक विकास सहित अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों पर लगभग 2.45 गुना सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।

बुनियादी ढांचे का विकासः

डॉ शर्मा ने बताया कि मोदी सरकार ने देश की आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर मजबूत बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है। इस प्रयास का एक उल्लेखनीय उदाहरण हवाई अड्डों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि है, जो अब 149 तक पहुंच गई है। यह आंकड़ा 2014 तक मौजूद हवाई अड्डों की संख्या की तुलना में दोगुनी वृद्धि दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई उड़ान योजना ने हवाई यात्रा को सबके लिए सुलभ बना दिया, जिससे टियर-II और टियर-III शहरों के मध्यम वर्ग के नागरिकों को अपनी विमानन अकांक्षाओं को पूरा करने में सक्षम बनाया गया। यह अंतरिम बजट भी उसी राह पर है और उड़ान योजना के अंतर्गत नए हवाई अड्डों के निर्माण और यात्री ट्रेनों को सुरक्षित बनाते हुए रेलवे प्रणाली में भीड़भाड़ कम करने पर बहुत बल देता है। ऐसे में, मध्यम वर्ग के भारतीयों के लिए सुरक्षा और सुविधा बढ़ाने के लिए 40,000 सामान्य रेल बोगियों को वंदे भारत रेलगाड़ी के मानकों के हिसाब से परिवर्तित किया जाएगा। इसके अलावा, बजट में नमो इंडिया के तत्वावधान में शहरी परिवर्तन के प्रमुख इंजन के रूप में मेट्रो रेल की कल्पना की गई है, जबकि लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार और लॉजिस्टिक्स की लागत को कम करने के लिए प्रधानमंत्री-गति शक्ति के अंतर्गत तीन प्रमुख रेलवे कॉरिडोर भी प्रस्तावित किए गए हैं।

सामाजिक न्याय के माध्यम से अमृत काल का बोधः

सांसद डॉ महेश शर्मा ने बताया कि मोदी सरकार को ज्ञात है कि भारत का “अमृत काल”, उसका “कर्तव्य काल” भी है, जिसके दौरान गरीब, अन्नदाता, युवा और नारी सहित समाज के सभी वर्गों को राष्ट्र की सफलता की कहानी में योगदान देना होगा। इस प्रकार, सरकार ने ‘प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण’ के माध्यम से सार्वजनिक सेवाओं की पारदर्शी और बिना किसी भ्रष्टाचार के डिलीवरी सुनिश्चित करने की दिशा में अंतहीन काम किया है, जिसके माध्यम से ₹34 लाख करोड़ के सामाजिक कल्याण लाभ सीधे प्रधानमंत्री-जन धन खातों में स्थानांतरित किए गए है, जिसके कारण सरकार को ₹2.7 लाख करोड़ की बचत हुई है। इस परिवर्तनकारी दृष्टिकोण ने 25 करोड़ भारतीयों को बहुआयामी गरीबी से बाहर निकाला है, जो पिछले प्रशासन के बिल्कुल विपरीत है, जहां एक रुपये में से केवल 15 पैसे ही कल्याणकारी योजनाओं के लक्षित लाभार्थियों तक पहुंचते थे। व्यापक सामाजिक परिवर्तन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को जारी रखते हुए, बजट में अगले पांच वर्षों में पीएमएवाई-जी के तहत अतिरिक्त 2 करोड़ घरों के निर्माण की परिकल्पना की गई है। मध्यम वर्ग की आवास आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, उनके स्वयं के घरों की खरीद या निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए एक नई योजना शुरू की जाएगी। यह दूरदर्शी पहल समावेशी विकास और अपने नागरिकों की विविध आवश्यकताओं को संबोधित करने के प्रति सरकार के समर्पण को दर्शाती है।

भारत की सफलता की कहानी के शीर्ष पर नारी शक्तिः

मोदी सरकार ने अपने पूरे कार्यकाल में महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास पर काफी जोर दिया है, जिसे सामाजिक स्वायत्तता, वित्तीय समावेशन और महिलाओं के अधिक राजनीतिक प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के उपायों से मदद मिली है। उदाहरण के लिए, पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के तहत, 2.4 करोड़ घरों में से 26.6% पूरी तरह से महिलाओं के नाम पर हैं, और लगभग 70% संयुक्त रूप से पत्नी और पति के नाम पर है। इसी तरह, नौ करोड़ महिलाओं के साथ 83 लाख एसएचजी सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता के साथ ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को बदल रहे हैं। उनकी सफलता ने लगभग एक करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनने में मदद की है। इस प्रकार, अंतरिम बजट में लखपति दीदी का लक्ष्य 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ कर दिया है। मोदी सरकार 9 से 14 वर्ष की लड़कियों के लिए सर्वाइकल कैंसर टीकाकरण को बढ़ावा देकर भारतीय महिलाओं को और सशक्त बनाने के लिए कदम उठाएगी। बेहतर पोषण वितरण, प्रारंभिक बचपन में देखभाल और विकास के लिए सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 में और तेजी लाई जाएगी। इसके अलावा, आयुष्मान भारत का लाभ अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए, इस योजना को सभी आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों तक बढ़ाया जाएगा।

अन्नदाता का सर्व समावेशी विकास और कल्याणः

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने बताया कि मोदी सरकार के पिछले एक दशक के कार्यकाल में, निरंतर यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए गए हैं कि किसान देश के विकास के केंद्र बिंदु पर बने रहें। इस दिशा में छोटे और सीमांत किसानों सहित 11.8 करोड़ किसानों को प्रधानमंत्री-किसान जैसी योजनाओं के अंतर्गत प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण प्राप्त हुआ है। इसके अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार द्वारा 1,361 मंडियों को एकीकृत किया गया है और 1.8 करोड़ किसानों को ₹३ लाख करोड़ व्यपार क्षमताओं के साथ सेवाएं प्रदान कर रहा है। इसलिए, किसान कल्याण की भावना के साथ मोदी सरकार पूरे देश में नैनो-डी.ए.पी के अनुप्रयोग को प्रोत्साहित करेगी। आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए, तिलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर तिलहन अभियान लाया जाएगा। इसके अलावा, डेयरी विकास के लिए एक नए व्यापक कार्यक्रम के माध्यम से राष्ट्रीय गोकुल मिशन को सफल बनाया जाएगा। दुधारू पशुओं की उत्पादकता में सुधार के द्वारा दुध उत्पादन में नंबर एक के रूप में भारत की स्थिति को बढ़ावा मिलेगा। मत्स्य पालन के लिए मोदी सरकार के द्वारा एक पृथक विभाग का निर्माण किया गया। वर्ष 2023-24 में आवंटित ₹2,025 करोड़ की तुलना में इस क्षेत्र को वर्ष 2024-25 में ₹2,352 करोड़ की अधिक राशि का आवंटन नील क्रांति 2.0 को सफल बनाया जाएगा। इसके अतिरिक्त 5 समेकित एक्वा पार्क की स्थापना की जाएगी।

पंचामृत लक्ष्यों को पूरा करने की ओर अग्रसरः

सांसद डॉ शर्मा ने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 2021 में कॉप-26 शिखर सम्मेलन में “पंचामृत” का लक्ष्य रखा था। उन्होंने भारत के लिए पांच सतत विकास और पर्यावरण लक्ष्यों को प्राप्त करने की कल्पना की थी और मोदी सरकार ने उन्हें प्राप्त करने की दिशा में लगातार काम किया है। भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के द्वारा 50% स्थापित ऊर्जा क्षमता को प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया था जिसमें से वर्तमान में 43.9% लक्ष्य प्राप्त किया जा चुका है। पंचामृत के दृष्टिकोण को लागू करते हुए, अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा सूर्योदय योजना की शुरुआत की गई, जिसके अंतर्गत प्रति माह 300 यूनिट निशुल्क बिजली प्राप्ति के लक्ष्य हेतु 1 करोड़ घरों को छत आधारित सोलर पैनल प्रदान किए जाएंगे। इससे प्रति वर्ष प्रत्येक घर को ₹12 से ₹18 हजार की बचत होगी।

अमृत पीढ़ी के लिए रोजगार सुनिश्चित करनाः

वर्ष 2014 से औसत वास्तविक आय में 50% की वृद्धि हुई है जो ‘सबका साथ, सबका विकास के उद्देश्य को साकार करने के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को साबित करता है जिसने नागरिकों के जीवन को बदल दिया है। उदाहरण के लिए, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने युवाओं की उद्यमशीलता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए के लिए 43 करोड़ ऋण स्वीकृत किए हैं, जिनकी कुल राशि ₹22.5 लाख करोड़ है। इसके अतिरिक्त, फंड ऑफ फंड्स, स्टार्ट-अप इंडिया और स्टार्ट अप क्रेडिट गारंटी योजनाओं ने भी युवाओं की सहायता की है, जो अब रोजगारदाता है। इसलिए, देश की अमृत पीढ़ी को प्रगति के पथ पर सुनिश्चित बनाए रखने के लिए, संप्रभु धन या पेंशन फंड द्वारा स्टार्टअप निवेशों के टैक्स लाभों को 31-3-2025 तक बढ़ाया जा रहा है जो कि 2024 में ही समाप्त होने वाले थे। इसके अलावा, निजी क्षेत्र को अनुसंधान और नवाचार बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए 50 साल की व्याज मुक्त ऋण अवधि के साथ 1 लाख करोड़ का कोष स्थापित किया जाएगा।

प्रभावी शासन के मूल में पारदर्शिता लानाः

उन्होंने कहा कि पारदर्शिता हमेशा मोदी सरकार के ‘सुशासन मॉडल का एक प्रमुख पहलू रही है जो न्यूनतम सरकारी हस्तक्षेप, और अधिकतम शासन के मार्ग पर कार्य करती है। सुशासन का यह मॉडल मूल रूप से हर चीज के केंद्र में आम नागरिक को रखता है। इस मॉडल के आधार पर, करदाता अब फेसलेस मूल्यांकन की सेवा का आनंद ले रहा है। इसके अतिरिक्त वर्ष 2013-2014 में जहां रिफंड प्राप्त करने का औसतसमय 93 दिन हुआ करता था, अब यह घटकर पिछले वित्तीय वर्ष में मात्र 10 दिन का हो गया है। वित्तीय वर्ष 2010 तक तत्काल प्रभाव से, मोदी सरकार ₹25,000 तक की बकाया कर मांगों और वित्तीय वर्ष 2011-2015 के लिए ₹10,000 तक की छूट प्रदान की है। इस पहल के माध्यम से एक करोड़ करदाताओं को लाभ मिलने की उम्मीद है।

सहकारी संघवाद की भावना को सुदृढ़ बनानाः

मोदी सरकार ने राज्यों के विकास के लिए आकांक्षी जिला कार्यक्रम जैसे कार्यक्रमों को लागू करने का आग्रह करके लगातार संघवाद का समर्थन किया है। इसके अतिरिक्त जी.एस.टी. के लागू किए जाने के बाद वर्ष 2017-18 से लेकर 2022-23 तक की अवधि में, राज्यों के मुआवजे के साथ-साथ, राज्यों के एस.जी.एस.टी. से राजस्व में, 1.22 की महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है। जबकि जी.एस.टी के लागू होने से पहले यह केवल 0.72 थी। इसके अतिरिक्त सरकार ने “पूर्वोदय” पहल के माध्यम से उत्तर-पूर्वी राज्यों में स्थायी शांति और विकास लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्तमान अंतरिम बजट विकास को बढ़ावा देने के लिए राज्यों को कुल ₹1.30 लाख करोड़ के दीर्घकालिक ब्याज मुक्त ऋण प्रदान करके संघवाद के प्रति सरकार के समर्पण को मजबूत करता है। इसके अतिरिक्त, यह बजट राज्य सरकारों को नए लक्ष्यों से जुड़े सुधारों को लागू करने में समर्थन प्रदान करने के लिए 50-वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण के रूप में ₹75,000 करोड़ आवंटित करता है। राज्य सरकारों को आध्यात्मिक पर्यटन सुविधाएं विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा और लक्षद्वीप जैसे द्वीप पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पहल की जाएगी।

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