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लखनऊ, 21 फरवरी।

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन हो गया है। राहुल गांधी की यात्रा में अखिलेश यादव की भागीदारी की वजह से कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडेय ने गठबंधन के तहत 17 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए सहमति दे दी है।

राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को 17 लोकसभा सीट देने का प्रस्ताव किया है पहले अखिलेश यादव ने 11 सीट देने का प्रस्ताव किया था इन 17 लोकसभा सीटों में गौतम बुद्ध नगर लोकसभा क्षेत्र पर अब समाजवादी पार्टी के पास रहेगी। कांग्रेस सपा के लिये मुरादाबाद सीट छोड़ने को तैयार हो गई।

उल्लेखनीय की समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर गठजोड़ होना है 80 लोकसभा क्षेत्र में से समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को 17 लोकसभा क्षेत्र लड़ने का प्रस्ताव किया है। इनमें कांग्रेस को अमेठी रायबरेली बाराबंकी सीतापुर केसरगंज अमरोहा गाजियाबाद बुलंदशहर फतेहपुर सिकरी कानपुर हाथरस झांसी महाराजगंज और बागपत सीट दी है। इन 17 सीटों में पहले वाराणसी की सीट भी थी मगर सपा ने वाराणसी में अपना प्रत्याशी उतार दिया है। अब 17 वी सीट कौन सी होगी यह फाइनल समझौते में ही सामने आ सकेगा।

सपा की स्थिति

गौतमबुद्ध नगर लोकसभा चुनाव में सपा के सबसे मजबूत नेता नरेंद्र भाटी को बीजेपी पहले ही अपनी पार्टी में शामिल कर चुकी है। वैसे कई अन्य नेता सपा से टिकट मांग रहे थे। इनमे ज्यादातर ऐसे दावेदार हैं जो कांग्रेस से ही सपा में आये थे। इनमे महेंद्र नागर और जगदीश शर्मा के नाम प्रमुख रूप से चल रहे हैं वैसे बसपा से सपा में आये गजराज नागर भी दावेदारों में है। समाजवादी पार्टी ने 2009 और 2014 में नरेंद्र भाटी को चुनाव मैदान में उतारा था। 2019 में सपा-बसपा गठबंधन के तहत यह सीट बसपा के हिस्से में आई थी। तब बसपा को 35 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले थे तब बीजेपी के डॉ महेश शर्मा को 59 प्रतिशत वोट मिले थे। अब गौतमबुद्ध नगर में सपा मुकाबले में आएगी या बसपा यह समय बताएगा। फिलहाल दोनो अलग अलग लड़ रही हैं।

कांग्रेस मुकाबले में कहीं नही

वर्ष 2009 में भी रमेश चंद तोमर चुनाव लड़े थे । 2014 में कांग्रेस के टिकट पर प्रोफेसर रमेश चंद तोमर ने फिर नामांकन किया था। मतदान से पहले तोमर इंदिरापुरम के निकट एक जनसभा में बीजेपी में शामिल हो गए। कांग्रेस नेतृत्व देखता ही रह गया।

2019 के लोकसभा चुनाव में स्थानीय नेता को उतारने की मांग स्थानीय नेताओं ने की थी मगर तत्कालीन कांग्रेस के यूपी प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यहां से अलीगढ़ के बीजेपी नेता जयबीर ठाकुर के बेटे अरविंद सिंह को टिकट दे दिया। तब चुनाव से 5 दिन पहले अरविंद के पिता ठाकुर जयवीर सिंह के साथ राजनाथ सिंह की एक जनसभा जेवर में हुई। उसके बाद मतदान से दो दिन पहले ही अरविंद सिंह ने मैदान छोड़ दिया। अब 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस किसे अपना प्रत्याशी बनायेगी यह देखना दिलचस्प होगा।

अंतिम क्षण तक रहेगा इंतज़ार

वैसे राजनीतिक क्षेत्र में अंतिम क्षण तक इंतज़ार करना होता है। इस बार मायावती ने अपनी रणनीति पिछले चुनावों की अपेक्षा बदली है। उन्होंने फरवरी तक कोई प्रत्याशी घोषित नही किया। पहले वे अपने जन्म दिन पर या एक साल पहले प्रत्याशी घोषित कर देती थी मगर इस बार इंतज़ार हो रहा है। राजनीतिक क्षेत्रों में यहां तक चर्चा है कि बसपा सुप्रीमो मायावती 15 मार्च को कांशीराम की जयंती पर यूपी में कोई बड़ा फैसला ले सकती है।

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