राजनीति : यूपी में वरुण गांधी और मेनका गांधी की चुप्पी के मायने !
1 min readविनोद शर्मा
नई दिल्ली, 27 मार्च।
यूपी में बीजेपी ने 80 लोकसभा सीट जीतने का लक्ष्य रखकर पार्टी की रणनीति तैयार की है। इसे सफल बनाने के लिए पार्टी हर लोकसभा सीट पर फूंक फूंक कर कदम रख रही है। इस बीच बीजेपी ने मेनका गांधी को तो सुल्तानपुर से टिकट दे दिया मगर पीलीभीत से वरुण गांधी का टिकट काट कर पूर्व कांग्रेसी रहे बीजेपी नेता जितिन प्रसाद को अपना प्रत्याशी बनाया है।
यूपी की राजनीति में गांधी परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पंडित नेहरू से लेकर वरुण गांधी तक संसद में यूपी से ही चुने जाते रहे हैं। पीलीभीत 1989 से अब तक (1991 को छोड़कर) गांधी परिवार के पास ही रही है। यह सीट मेनका गांधी ने जनता दल, निर्दलीय व बीजेपी में रहकर जीती।
ताजा घटनाक्रम पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से वरुण गांधी का टिकट कटने के बाद तेजी से घुमा है। मेनका गांधी को टिकट सुल्तानपुर से मिला है। इस फैसले के बाद भी मेनका गांधी ने सोशल मीडिया पर पार्टी हाई कमान के प्रति कोई धन्यवाद या आभार वाला ट्वीट तक नही किया। सोशल मीडिया पर मां-बेटे ने पिछले एक महीने से चुप्पी साध रखी है। वरुण गांधी ने 26 फरवरी को और मेनका गांधी ने 4 मार्च को आखिरी बार ट्वीट किया है। इससे इस बात की पूरी आशंका है कि मेनका गांधी अपने बेटे वरुण के समर्थन में बीजेपी को टिकट वापस कर सकती है।
कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन ने वरुण गांधी को कांग्रेस से टिकट का ऑफर किया है। इसके लिए प्रियंका गांधी खुद वरुण गांधी से सम्पर्क कर उन्हें कांग्रेस से जोड़ने में जुटी है। सूत्रों का कहना है कि मेनका गांधी कांग्रेस से जुड़ने को सहमत नही है। उधर यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह ने भी बयान जारी किया है कि वरुण गांधी बीजेपी में ही हैं। उनके लिए पार्टी ने कुछ और सोचा है। पार्टी सूत्रों की मानें दोनो मां बेटे निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं विपक्ष उन्हें बाहर से समर्थन दे सकता है। अगर ऐसा है तो बीजेपी का 80 सीट जीतने का सपना शायद ही पूरा हो। इन सबके बावजूद बीजेपी हाई कमान मेनका व वरुण गांधी के अगले कदम पर नजर रखे हुए है।
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