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नई दिल्ली, 28 मार्च।

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और मेनका गांधी के पुत्र  वरुण गांधी ने पीलीभीत के निवासियों को एक भावुक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने कहा है कि मेरा पीलीभीत के निवासियों से रिश्ता राजनीतिक गुणा भाग से ऊपर है और वह इस लोकसभा क्षेत्र से तब से जुड़े हैं जो 3 साल की उम्र में अपनी मां का हाथ पकड़कर आए थे।उन्होंने अपने पत्र में क्या लिखा हुआ हम आपके समक्ष  हूबहू प्रस्तुत कर रहे हैं। पढ़िए इस पत्र के राजनीतिक मायने क्या हैं। टिकट कटने के बाद वरुण गांधी का यह पहला पत्र है जिसे उन्होंने अपने “एक्स” हैंडल पर सार्वजनिक किया है। 26 फरवरी के बाद उनका यह पहला ट्वीट है।

पीलीभीत वासियों को मेरा प्रणाम !

आज जब मैं यह पत्र लिख रहा हूं, तो अनगिनत यादों ने मुझे भावुक कर दिया है। मुझे वो 3 साल का छोटा सा बच्चा याद आ रहा है जो अपनी मां की उँगली पकड़ कर 1983 में पहली बार पीलीभीत आया था, उसे कहां पता था एक दिन यह धरती उसकी कर्मभूमि और यहां के लोग उसका परिवार बन जाएंगे।

मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे वर्षों पीलीभीत की महान जनता की सेवा करने का मौका मिला। महज एक सांसद के तौर पर ही नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के तौर पर भी मेरी परवरिश और मेरे विकास में पीलीभीत से मिले आदर्श, सरलता और सहृदयता का बहुत बड़ा योगदान है। आपका प्रतिनिधि होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है और मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से आपके हितों के लिए आवाज उठाई।

एक सांसद के तौर पर मेरा कार्यकाल भले समाप्त हो रहा हो, पर पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता। सांसद के रूप में नहीं, तो बेटे के तौर पर सही, मैं आजीवन आपकी सेवा के लिए प्रतिबद्ध हूँ और मेरे दरवाजे आपके लिये हमेशा पहले जैसे ही खुले रहेंगे। मैं राजनीति में आम आदमी की आवाज उठाने आया था और आज आपसे यही आशीर्वाद मांगता हूँ कि सदैव यह कार्य करता रहूं, भले ही उसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े।

मेरा और पीलीभीत का रिश्ता प्रेम और विश्वास का है, जो किसी राजनीतिक गुणा- भाग से बहुत ऊपर है। मैं आपका था, हूं और रहूँगा।

वरुण गांधी

 

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