नई दिल्ली/नोएडा, 30 अप्रैल।
सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल 2025 को दिल्ली-एनसीआर में बिल्डरों और बैंकों के बीच कथित सांठगांठ की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को निर्देश दिया। यह आदेश सुपरटेक लिमिटेड के प्रोजेक्ट्स से शुरूआत करते हुए, विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने और सात प्रारंभिक जांच (प्रिलिमिनरी इंक्वायरी) दर्ज करने के साथ आया। इस मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्या कांत और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की बेंच ने की।
क्यों दिए जांच के आदेश
हजारों होमबायर्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि सुपरटेक और अन्य बिल्डरों ने सबवेंशन स्कीम के तहत प्रोजेक्ट्स पूरे नहीं किए, फिर भी बैंक उनसे ईएमआई वसूल रहे हैं। लगभग 1,000 याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि उन्हें फ्लैट्स का पजेशन नहीं मिला, लेकिन बैंकों ने ₹5,000 करोड़ से अधिक के लोन के तहत ईएमआई की मांग की।
बिल्डर-बैंक नेक्सस
कोर्ट ने बिल्डरों और बैंकों के बीच “अपवित्र” (unholy) गठजोड़ का उल्लेख किया, जिसमें बैंकों ने प्रोजेक्ट्स पूरे होने से पहले ही बिल्डरों को 60-70% लोन राशि दे दी।
सुपरटेक के अलावा, एनसीआर (नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद, यमुना एक्सप्रेसवे), मुंबई, चंडीगढ़, मोहाली और कोलकाता के अन्य बिल्डरों की भी जांच होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी गठन का दिया आदेश
सीबीआई को उत्तर प्रदेश और हरियाणा के डीजीपी से डिप्टी एसपी, इंस्पेक्टर और कांस्टेबल की सूची मांगने को कहा गया है ताकि एक विशेष जांच दल बनाया जा सके। इस दल में सीबीआई अधिकारी, राज्य पुलिस और वित्त/रियल एस्टेट विशेषज्ञ शामिल होंगे।
सात प्रारंभिक जांच:
पहली जांच सुपरटेक पर केंद्रित होगी, जबकि अन्य जांच एनसीआर और अन्य शहरों के प्रोजेक्ट्स पर होगी।
अंतरिम रिपोर्ट: सीबीआई को अगली सुनवाई तक अंतरिम स्थिति रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट इस मामले की मासिक निगरानी करेगा।
नोडल अधिकारी: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) और संबंधित विकास प्राधिकरणों से नोडल अधिकारी नियुक्त करने को कहा गया है।
जांच की क्यों है जरूरत
नवंबर 2024 में, कोर्ट ने बिल्डरों, बैंकों और होमबायर्स से प्रोजेक्ट्स की स्थिति, ईएमआई वसूली, और अन्य विवरणों के साथ अनुपालन हलफनामा दाखिल करने को कहा था। हालांकि, 70 में से केवल 9 बैंकों और 5 बिल्डरों ने जवाब दिया, जिसे कोर्ट ने संभावित सांठगांठ का संकेत माना।
मार्च 2025 में, कोर्ट ने सीबीआई से जांच के लिए एक रोडमैप मांगा था, जिसके बाद यह आदेश आया। होमबायर्स ने पहले दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन वहां से राहत नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
एनसीआर में हालात खराब
पिछले एक दशक में एनसीआर में रियल एस्टेट घोटालों ने बाजार को हिलाकर रख दिया। बिल्डरों ने अनियंत्रित विस्तार और फंड डायवर्जन के जरिए सैकड़ों प्रोजेक्ट्स को अटका दिया। सुपरटेक पहले से ही कई उल्लंघनों के लिए जांच के दायरे में है, इस जांच का प्राथमिक लक्ष्य है। यह जांच न केवल सुपरटेक और आठ बैंकों के बीच कथित सांठगांठ की गहराई तक जाएगी, बल्कि एनसीआर और अन्य शहरों में रियल एस्टेट क्षेत्र की व्यापक समस्याओं को भी उजागर कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और सीबीआई की सक्रियता से होमबायर्स को न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ी है।