लखनऊ ( नोएडा खबर)
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर शुक्रवार को प्रदेश भर में बिजली कर्मियों ने पावर कारपोरेशन में लागू कथित आपातकाल और उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों के खिलाफ चेतावनी दिवस मनाया। लखनऊ सहित सभी जनपदों, परियोजनाओं और बिजली इकाइयों में आयोजित सभाओं में कर्मियों ने निजीकरण के खिलाफ सामूहिक जेल भरो आंदोलन का संकल्प लिया।
संघर्ष समिति ने पावर कारपोरेशन के चेयरमैन डॉ. आशीष गोयल पर कर्मचारियों के उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए उनकी संपत्तियों की निष्पक्ष विजिलेंस जांच की मांग की। समिति का कहना है कि चेयरमैन ने मनमाने स्थानांतरण, संविदा कर्मियों की छंटनी, और सेवा नियमावली में अलोकतांत्रिक संशोधन कर कर्मचारियों को डराने की कोशिश की है। हाल ही में स्टेट विजिलेंस के जरिए शीर्ष पदाधिकारियों के खिलाफ कथित तौर पर मनगढ़ंत एफआईआर दर्ज कराने से कर्मचारियों में आक्रोश और बढ़ गया है।
संघर्ष समिति के पदाधिकारी संजय सिंह चौहान, जितेंद्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय सहित अन्य ने बताया कि चेयरमैन पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के लिए उत्पीड़न का सहारा ले रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की कि चेयरमैन की जयपुर, रानीखेत, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और मथुरा में संपत्तियों की विजिलेंस जांच कराई जाए।
22 जून को हुई बिजली महापंचायत के बाद प्रबंधन और कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से स्टेट विजिलेंस के जरिए दर्ज एफआईआर को कर्मचारियों ने निजीकरण की साजिश का हिस्सा बताया। समिति का दावा है कि ये एफआईआर झूठे और मनगढ़ंत आंकड़ों पर आधारित हैं, जिनमें जोड़-घटाव की गलतियां साफ दिखती हैं।
वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, झांसी, नोएडा, गाजियाबाद सहित तमाम जिलों में चेतावनी सभाओं में कर्मचारियों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। समिति ने स्पष्ट किया कि निजीकरण की साजिश को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा और कर्मचारी हर स्तर पर इसका विरोध करेंगे।