नई दिल्ली/गाजियाबाद(नोएडा खबर डॉट कॉम)
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू ने घोषणा की है कि उत्तर प्रदेश के जेवर में निर्माणाधीन नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (जेवर एयरपोर्ट) का उद्घाटन 30 अक्टूबर, 2025 को होगा। यह महत्वपूर्ण घोषणा उन्होंने हिंडन एयरपोर्ट पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान की।
मंत्री ने बताया कि हवाई अड्डे के शुभारंभ के 45 दिनों के भीतर, यानी दिसंबर 2025 तक, इस हवाई अड्डे से व्यावसायिक उड़ानें शुरू हो जाएंगी। पहले चरण में, जेवर एयरपोर्ट से बेंगलुरु और हैदराबाद के लिए उड़ानें संचालित की जाएंगी।
जेवर एयरपोर्ट: एक महत्वपूर्ण परियोजना
जेवर एयरपोर्ट, जिसे नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में भी जाना जाता है, भारत के सबसे बड़े और आधुनिक हवाई अड्डों में से एक होने की उम्मीद है। यह हवाई अड्डा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में कनेक्टिविटी को बढ़ाने और दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बढ़ते दबाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह परियोजना उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के सहयोग से विकसित की जा रही है, और इसका निर्माण स्विस कंपनी ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी द्वारा किया जा रहा है।
उद्घाटन और उड़ान संचालन का विवरण
राममोहन नायडू ने अपने संबोधन में बताया कि जेवर एयरपोर्ट का उद्घाटन 30 अक्टूबर, 2025 को एक भव्य समारोह के साथ किया जाएगा। इस समारोह में कई गणमान्य व्यक्तियों, सरकारी अधिकारियों और विमानन क्षेत्र के विशेषज्ञों के शामिल होने की उम्मीद है। उद्घाटन के बाद, हवाई अड्डे से उड़ान संचालन शुरू करने की प्रक्रिया तेजी से पूरी की जाएगी। पहले चरण में, जेवर एयरपोर्ट से दो प्रमुख शहरों—बेंगलुरु और हैदराबाद—के लिए उड़ानें शुरू होंगी। ये दोनों शहर भारत के प्रमुख तकनीकी और व्यापारिक केंद्र हैं, और इन गंतव्यों के चयन से जेवर एयरपोर्ट की रणनीतिक महत्वाकांक्षा स्पष्ट होती है। मंत्री ने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में अन्य घरेलू और अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों को भी उड़ान नेटवर्क में शामिल किया जाएगा।
जेवर एयरपोर्ट की विशेषताएं
जेवर एयरपोर्ट को एक ग्रीनफील्ड परियोजना के रूप में विकसित किया जा रहा है, जो पर्यावरण के अनुकूल और अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा। इस हवाई अड्डे की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- क्षमता: पहले चरण में, हवाई अड्डा प्रति वर्ष 1.2 करोड़ यात्रियों को संभालने में सक्षम होगा। पूरी तरह से विकसित होने पर यह क्षमता 7 करोड़ यात्रियों प्रति वर्ष तक बढ़ जाएगी।
- आधुनिक सुविधाएं: हवाई अड्डे में विश्वस्तरीय टर्मिनल, मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी (रेल, मेट्रो, और सड़क), और अत्याधुनिक सुरक्षा प्रणालियां होंगी।
- पर्यावरणीय स्थिरता: यह हवाई अड्डा नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य के साथ बनाया जा रहा है, जो इसे भारत का पहला कार्बन-न्यूट्रल हवाई अड्डा बनाएगा।
- कनेक्टिविटी: जेवर एयरपोर्ट यमुना एक्सप्रेसवे और प्रस्तावित दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से अच्छी तरह जुड़ा होगा, जिससे एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में यात्रियों के लिए पहुंच आसान होगी।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
जेवर एयरपोर्ट के शुरू होने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश और एनसीआर क्षेत्र में आर्थिक विकास को गति मिलने की उम्मीद है। इस परियोजना से न केवल विमानन क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि पर्यटन, व्यापार, और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। स्थानीय स्तर पर हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे, जिससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
भविष्य की योजनाएं
मंत्री राममोहन नायडू ने अपने संबोधन में यह भी बताया कि जेवर एयरपोर्ट के विकास के अगले चरणों में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को शामिल करने की योजना है। इसके अलावा, हवाई अड्डे को एक विमानन हब के रूप में विकसित करने की दिशा में भी काम किया जा रहा है, जिसमें कार्गो सुविधाएं और मेंटेनेंस, रिपेयर, और ओवरहॉल (MRO) सुविधाएं शामिल होंगी।