नई दिल्ली, (नोएडा खबर डॉट कॉम)
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) ने केंद्रीय विद्युत मंत्रालय, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) और ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन पर ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण की साजिश रचने का गंभीर आरोप लगाया है। फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस साजिश से संबंधित दस्तावेज सार्वजनिक किए और राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन की चेतावनी दी।
शैलेंद्र दुबे ने खुलासा किया कि ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन, केंद्रीय विद्युत मंत्रालय और CEA की मिलीभगत से एक समानांतर सचिवालय चला रहा है, जो ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण की गुप्त योजना तैयार कर रहा है। उन्होंने बताया कि डिस्कॉम एसोसिएशन के डायरेक्टर जनरल आलोक कुमार ने 9 सितंबर को देश के सभी ऊर्जा निगमों के अध्यक्षों और प्रबंध निदेशकों को पत्र लिखकर डाटा मांगा, जैसे कि वह स्वयं विद्युत मंत्री हों।
दुबे ने कहा, “यह पत्र स्पष्ट करता है कि डिस्कॉम एसोसिएशन, CEA और विद्युत मंत्रालय की शह पर ऊर्जा निगमों के कार्यों में हस्तक्षेप कर रहा है। यह निजीकरण की साजिश का हिस्सा है, जिसमें डिस्कॉम एसोसिएशन सरकार और निजी घरानों के बीच बिचौलिया बनकर काम कर रही है।” उन्होंने बताया कि 8 सितंबर को CEA की एक बैठक में डिस्कॉम एसोसिएशन को विद्युत वितरण, ट्रांसमिशन और उत्पादन में लागत कटौती के लिए सुझाव देने को कहा गया। इसके आधार पर आलोक कुमार ने ऊर्जा निगमों से डाटा मांगा।
दुबे ने इसे सरकारी कार्यों में एक गैर-सरकारी संस्था की अभूतपूर्व दखलंदाजी करार दिया। AIPEF ने मांग की है कि डिस्कॉम एसोसिएशन की दखलंदाजी तत्काल बंद की जाए और इसके शीर्ष पदाधिकारियों, जो ऊर्जा निगमों के अध्यक्ष भी हैं, को हटाया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो देश के 27 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे।
दुबे ने यह भी बताया कि डिस्कॉम एसोसिएशन ने अप्रैल 2025 में केंद्रीय विद्युत मंत्रालय के सामने एक प्रेजेंटेशन दिया था, जो निजीकरण की रणनीति का हिस्सा था। उन्होंने महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के ऊर्जा निगमों के अध्यक्षों के डिस्कॉम एसोसिएशन में शीर्ष पदों पर होने को हितों का टकराव बताया। AIPEF और नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लॉइज एंड इंजीनियर्स जल्द ही इस मुद्दे को केंद्रीय विद्युत मंत्री मनोहर लाल खट्टर के सामने उठाएंगे।