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उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने यूपी सौर योजना 2022 को मंजूरी दी, अयोध्या और नोएडा बनेंगे मॉडल सोलर सिटी,

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लखनऊ,  16 नवम्बर।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इनमे उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति 2022 को स्वीकृति दी गई है। नोएडा को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने की तैयारी की गई है।

उ0प्र0 सौर ऊर्जा नीति-2022
मंत्रिपरिषद ने ‘उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति-2022’ के प्रख्यापन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह नीति जारी होने की तिथि से प्रभावी होगी तथा 05 वर्ष की अवधि तक अथवा राज्य सरकार द्वारा नई नीति अधिसूचित करने की अवधि से, जो भी पूर्व हो, तक लागू रहेगी। मंत्रिपरिषद ने इस नीति के सफल क्रियान्वयन हेतु आवश्यक संशोधन के लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है।
इसके अतिरिक्त, मंत्रिपरिषद ने निजी आवासों पर नेट मीटरिंग व्यवस्था के साथ ग्रिड संयोजित सोलर सिस्टम की स्थापना पर भारत सरकार से उपलब्ध केन्द्रीय वित्तीय सहायता के अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा 15,000 रुपये प्रति किलोवॉट, अधिकतम 30,000 रुपये प्रति उपभोक्ता के राज्य अनुदान की अनुमन्यता को भी स्वीकृति दी है। नीति काल अवधि में प्रत्येक वर्ष 800 करोड़ रुपये अनुदान तथा 05 वर्षाें में 4,000 करोड़ रुपये का अनुदान स्वीकृत किया गया है। सरकारी संस्थानों एवं प्रदेश के समस्त शिक्षण संस्थानों के भवनों पर नेट मीटरिंग के साथ सोलर रूफटॉप अनुमन्य किया गया है।
मंत्रिपरिषद ने (कुसुम सी-2) पृथक कृषि फीडर के सौरकरण हेतु 2,000 मेगावॉट क्षमता संयंत्रों की स्थापना पर 50 लाख रुपये प्रति मेगावॉट की दर से राज्य वी0जी0एफ0 एवं (कुसुम सी-1) निजी ऑन ग्रिड पम्प के सोलराइजेशन पर राज्य सरकार द्वारा मुसहर, वनटांगिया, अनुसूचित जनजाति के कृषकों को 70 प्रतिशत सब्सिडी एवं अन्य कृषकों को 60 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान करने एवं नीति काल अवधि में 05 वर्षाें में कुल 1,000 करोड़ रुपये के अनुदान की स्वीकृति दी है। पी0पी0ए0 के साथ 05 मेगावॉट से अधिक क्षमता वाले 04 घण्टे के स्टोरेज सिस्टम के साथ स्थापित यूटिलिटी स्केल सौर ऊर्जा परियोजनाओं एवं स्टैण्ड एलोन बैट्री स्टोरेज सिस्टम (केवल सौर ऊर्जा से ऊर्जीकृत) पर 2.5 करोड़ प्रति मेगावॉट की दर से पूंजीगत उपादान 250 मेगावॉट हेतु अनुमोदित की है।
इसके अतिरिक्त मंत्रिपरिषद ने ग्राम पंचायत/राजस्व भूमि को सरकारी उपक्रमों को सोलर पावर पार्क/सोलर परियोजनाओं की स्थापना हेतु 30 वर्ष के लिए 01 रुपये प्रति एकड़ प्रतिवर्ष पर उपलब्ध कराये जाने एवं निजी क्षेत्र में सोलर पार्क की स्थापना हेतु ग्राम पंचायत/राजस्व की भूमि 15,000 रुपये प्रति एकड़ प्रतिवर्ष 30 वर्ष की अवधि के लिए पट्टे पर उपलब्ध कराये जाने की स्वीकृति दी है। साथ ही, सोलर पावर पार्क/सोलर परियोजनाओं की स्थापना हेतु क्रय भूमि का एग्रीकल्चर से नॉन-एग्रीकल्चर हेतु भू-उपयोग परिवर्तन की डीम्ड घोषणा तथा सोलर पावर पार्क/सोलर परियोजनाओं की स्थापना हेतु क्रय भूमि की सीलिंग के अन्तर्गत डीम्ड अनुमति दी गयी है।
मंत्रिपरिषद ने सम्पूर्ण प्रदेश में सौर ऊर्जा स्रोतों की इकाइयों की स्थापना हेतु क्रय अथवा लीज पर प्राप्त भूमि के प्रभार्य स्टाम्प शुल्क में 100 प्रतिशत छूट प्रदान किये जाने तथा सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन हेतु स्थापित प्लाण्ट्स को इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी से 10 वर्ष की अवधि के लिए छूट प्रदान किये जाने की अनुमति दी है। साथ ही, समस्त सौर विद्युत उत्पादन परियोजनाओं को पर्यावरण अनापत्ति प्राप्त करने से छूट प्रदान किये जाने, ग्रिड संयोजित सोलर पी0वी0 परियोजनाओं को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रदूषण नियंत्रण नियम के तहत स्थापना और संचालन की सहमति/एन0ओ0सी0 प्राप्त करने से छूट प्रदान की गयी है। इसके अतिरिक्त, नीति के कार्यान्वयन हेतु 05 वर्ष की संचालन अवधि में प्रति जनपद (नगर निगम मुख्यालय) 02 लाख रुपये तथा प्रति जनपद (नगर पालिका परिषद मुख्यालय) 01 लाख रुपये का फण्ड प्रचार-प्रसार हेतु उपलब्ध कराये जाने का निर्णय लिया गया है।
‘उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति-2022’ के तहत उत्तर प्रदेश में आगामी 05 वर्षाे में सौर ऊर्जा परियोजनाओं से 22,000 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता का लक्ष्य रखा गया है। इसमें सोलर पार्क की स्थापना से 14,000 मेगावॉट, सोलर रूफटॉप (आवासीय क्षेत्र) से 4,500 मेगावॉट, सोलर रूफटॉप (गैर-आवासीय संस्थान) से 1,500 मेगावॉट तथा पी0एम0 कुसुम योजना घटक सी-1 एवं सी-2 से 2,000 मेगावॉट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य सम्मिलित है। नीति के क्रियान्वयन के लिए उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (यूपीनेडा) को नोडल एजेंसी नामित किया गया है।
गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत से विद्युत उत्पादन आज की आवश्यकता है। पर्यावरण में कार्बन इमीशन को कम करने के उद्देश्य से गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोतों से विद्युत उत्पादन को बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति-2022 प्रख्यापित की गयी है।
05 मेगावाट अथवा उससे अधिक क्षमता के सोलर पार्क की स्थापना
05 मेगावाट अथवा उससे अधिक क्षमता के स्टोरेज सिस्टम के साथ स्थापित सोलर पार्कों को 2.5 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट की दर पूँजीगत उपादान उपलब्ध कराया जायेगा। इससे सौर ऊर्जा को स्टोर करके पीक लोड के समय विद्युत आपूर्ति की जा सकेगी। स्टोरेज सिस्टम के साथ सोलर पार्कों की स्थापना को प्रोत्साहित करने वाला उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्य बनेगा।
सोलर रूफटॉप अनावासीय
प्रदेश में अनावासीय भवनों जैसे कि सरकारी भवन तथा सभी प्रकार के सरकारी अथवा गैर सरकारी शिक्षण संस्थानों की छतों पर सोलर रूफटॉप सिस्टम की स्थापना करके 1500 मेगावाट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
इस श्रेणी के अनावासीय भवनों की छतों पर स्थापित सोलर रूफटॉप सिस्टम पर भी नेटमीटरिंग की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है।
अन्य श्रेणी के अनावासीय भवनों की छतों पर स्थापित सोलर रूफटॉप सिस्टम पर भी उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के निदेशों के अधीन नेट बिलिंग की सुविधा भी शीघ्र अनुमन्य होगी।
पी0एम0 कुसुम योजना घटक सी-1
पी0एम0 कुसुम योजना घटक सी-1 में किसानों को उनके अपने स्थापित नलकूपों पर सोलर ऊर्जीकरण करने पर केन्द्र सरकार द्वारा 30 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। इस योजना को प्रदेश में प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए उत्तर प्रदेश में आवासित मुसहर, वनटांगिया तथा अनुसूचित जनजाति के कृषकों को केन्द्र सरकार द्वारा अनुमन्य अनुदान के अतिरिक्त 70 प्रतिशत और अनुदान दिया जायेगा। इस प्रकार इस श्रेणी के किसानों के नलकूपों को निःशुल्क सौर ऊर्जीकृत किया जायेगा।
अन्य कृषकों को केन्द्र सरकार द्वारा अनुमन्य अनुदान के अतिरिक्त 60 प्रतिशत और अनुदान दिया जायेगा। इस प्रकार अन्य श्रेणी के किसानों के नलकूपों को सौर ऊर्जीकृत करने के लिए 90 प्रतिशत राजकीय अनुदान प्राप्त हो जायेगा। उन्हें केवल मात्र 10 प्रतिशत अंशदान देना होगा जो कि अनुमानतः अधिकतम लगभग 55,000 रुपये होगा।
पी0एम0 कुसुम योजना घटक सी-2
पावर कारपोरेशन द्वारा एग्रीकल्चर फीडर अलग चिन्हांकित कर लिये हैं। इन फीडरों के सौर ऊर्जीकरण की यह योजना केन्द्र सरकार द्वारा संचालित हैं जिसमें केन्द्र सरकार द्वारा 1.05 करोड़ प्रति मेगावॉट की दर से अनुदान दिया जाता है। इस योजना को वाणिज्यिक रूप से वायबल बनाने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा अनुमन्य अनुदान के अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा 50 लाख रुपये प्रति मेगावाट की दर से वायबिलिटी गैप फन्डिंग के लिए अतिरिक्त अनुदान की व्यवस्था अनुमन्य की गयी है।
सोलर सिटी का विकास
अयोध्या शहर को मॉडल सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जायेगा। इसके अतिरिक्त, प्रदेश के 16 नगर निगमों तथा नोएडा को भी सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जायेगा।
सोलर सिटी के रूप में विकसित किये जाने का आशय यह होगा कि शहर की पारम्परिक ऊर्जा की अनुमानित कुल मांग की न्यूनतम 10 प्रतिशत ऊर्जा शहर क्षेत्र में स्थापित सौर ऊर्जा संयंत्रों से पूरी की जाये। इसके लिए नीति के अन्तर्गत वर्ष 2011 की नगर निगम क्षेत्र की जनगणना के अनुसार 100 रुपये प्रति व्यक्ति की दर से राज्य सरकार द्वारा नगर निगमों/नोएडा सिटी को सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जायेगी।
रोजगार सृजन
सौर ऊर्जा संयंत्रों की रख-रखाव के लिए अतिरिक्त जनशक्ति का सृजन किया जायेगा। इसके लिए 30,000 युवकों को सौर ऊर्जा संयंत्रों के अनुरक्षण का प्रशिक्षण दिया जायेगा और उन्हें ‘सूर्य मित्र’ का नाम दिया जायेगा। इस प्रकार इन ‘सूर्य मित्रों’ के लिए रोजगार सृजित होगा।
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उ0प्र0 पर्यटन नीति-2022 स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति-2018 को अवक्रमित करते हुए उसके स्थान पर प्रस्तावित उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति-2022 को स्वीकृति प्रदान कर दी है। प्रश्नगत प्रकरण/अन्य किसी नीतिगत निर्णय हेतु मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में समिति गठित की जाएगी, जिसकी संस्तुति पर अग्रतर आवश्यक निर्णय लिये जाने हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किये जाने का निर्णय भी मंत्रिपरिषद द्वारा लिया गया है।
उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति-2022 की प्रभावी अवधि नीति लागू होने की तिथि से 05 वर्षों तक होगी। 01 फरवरी, 2018 के बाद पंजीकृत, निर्माणाधीन, अर्द्धनिर्मित, निर्मित व असंचालित इकाइयां, जिन्होंने पर्यटन नीति-2018 के अन्तर्गत पंजीकरण कराया है, इस पर्यटन नीति के अन्तर्गत अनुमन्य लाभ प्राप्त करने हेतु अर्ह होंगी।
पर्यटन नीति में बजट होटल, हेरिटेज होटल, स्टार वर्गीकृत होटल्स, हेरिटेज होम स्टे, होम स्टे, ग्राम स्टे/फॉर्म स्टे, ईको टूरिज्म इकाइयां, कैरावेन यूनिट, कैरावेन पार्किंग स्थल, प्रदर्शनी/कॉन्फ्रेंस/सम्मेलन केन्द्र/प्रेक्षागृह/सांस्कृतिक केन्द्र/ सार्वजनिक म्यूजियम, यात्री सुविधा केन्द्र/यात्री निवास/टूरिस्ट स्थलों पर मल्टीलेवल पार्किंंग, रिजॉर्ट, वेलनेस रिजॉर्ट, ईको रिजॉर्ट, सर्वऋतु/अस्थायी मौसमी शिविर, स्थायी टेण्टेड/तम्बू आवास, जलाशय/झील/नदी क्रूज पर्यटन इकाई, आरोग्य पर्यटन इकाई, अन्तर्राष्ट्रीय योग ग्राम/प्राकृतिक योग चिकित्सा केन्द्र, साहसिक पर्यटन परियोजनाएं, थीम पार्क/शिल्प बाजार/शिल्प ग्राम/मनोरंजन पार्क/वाटर पार्क, ध्वनि और प्रकाश शो/लेजर शो, पर्यटन और आतिथ्य प्रशिक्षण संस्थान, मार्गीय (वे-साइड) सुविधाएं/आधुनिक ढाबा, फ्लोटिंग होटल/फ्लोटिंग रेस्टोरेंट, रिवॉल्विंग रेस्टोरेंट, शिकारा/बजरा, सार्वजनिक गोल्फ पर्यटन इकाइयां, पर्यटन सेवा प्रदाता, नई पर्यटन स्टार्टअप इकाइयांें को पर्यटन/सत्कार इकाइयों की श्रेणियों का दर्जा प्रदान होगा।
पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत वर्गीकृत होटल/सितारा होटल और अन्य पर्यटन इकाइयां भी इस नीति के तहत रियायतें और प्रोत्साहन प्राप्त करने की पात्र होंगी। केन्द्र/राज्य सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा समय-समय यथा अधिसूचित पर्यटन सम्बन्धी अन्य गतिविधियां भी इस नीति के अन्तर्गत रियायतें एवं प्रोत्साहन प्राप्त करने की पात्र होंगी।
उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति-2022 के तहत नये पर्यटन गंतव्यों-रामायण सर्किट, कृष्ण-ब्रज सर्किट, बुद्धिस्ट सर्किट, वाइल्ड लाइफ एवं ईको टूरिज्म सर्किट, बुन्देलखण्ड सर्किट, महाभारत सर्किट, शक्तिपीठ सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, सूफी-कबीर सर्किट, जैन सर्किट, क्रॉफ्ट सर्किट, स्वतंत्रता संग्राम सर्किट का विकास किया जाएगा। इन चिन्हित सर्किटों के अतिरिक्त प्रदेश के अन्य ऐसे पर्यटन स्थल जो कि पर्यटन सुविधाओं, आतिथ्य, सत्कार इकाइयों से असेवित गंतव्य हैं, वे भी नीति के अन्तर्गत सभी अनुमन्य लाभ नियमानुसार प्राप्त कर सकेंगे। ऐसे असेवित गंतव्य तथा उपरोक्त सर्किटों में शामिल किये जाने हेतु नवीन स्थलों/जनपदों की सूची विभाग द्वारा विभागीय वेबसाइट पर समय-समय पर प्रकाशित की जाएगी।
उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के साथ पंजीकृत सभी स्टार कटेगरी होटल/रिजॉर्ट व परिभाषित पात्र पर्यटन परियोजनाओं को आतिथ्य उद्योग का दर्जा देकर परियोजनाओं को प्रोत्साहन/सब्सिडी/छूट प्रदान की जाएंगी। पर्यटन विभाग में पंजीकृत/वर्गीकृत होटलों से विद्युत शुल्क व्यावसायिक दरों के स्थान पर औद्योगिक दरों पर लिये जाएंगे। पर्यटन नीति में वर्णित सभी वर्गाें/श्रेणियों के अन्तर्गत स्थापित होने वाली पर्यटन/सत्कार इकाइयों से नगर निगम व जल संस्थान के गृह कर, जल-मल कर उद्योग की भांति ही देय होंगे। राज्य सरकार द्वारा स्थापित एवं विकसित औद्योगिक क्षेत्रों एवं अन्य प्राधिकरणों के अन्तर्गत आवंटित औद्योगिक भूखण्डों पर होटल व रिजॉर्ट का निर्माण अनुमन्य किया जाएगा एवं इन्हंे उद्योग का दर्जा दिया जाएगा।
पर्यटन नीति-2022 में वर्गीकृत/श्रेणियों हेतु पूंजीगत अनुदान की व्यवस्था भी की गयी है। साथ ही, पर्यटन इकाइयों को ब्याज सब्सिडी, स्टाम्प ड्यूटी छूट, भू-उपयोग परिवर्तन और विकास शुल्क, रोजगार सृजन पर ई0पी0एफ0 सब्सिडी, नवाचार विशिष्ट प्रोत्साहन, विपणन एवं संवर्धन प्रोत्साहन, राज्य की दुर्लभ एवं लुप्तप्राय कला, संस्कृति और व्यंजनों का संरक्षण, संवर्धन, पुनर्जीवित किये जाने हेतु प्रोत्साहन आदि की व्यवस्था है। दिव्यांग अनुकूल इकाइयों के लिए विशेष प्रोत्साहन तथा उत्तरदायी पर्यटन एवं सूचना और संचार प्रौद्योगिकी सक्षमता के लिए विशिष्ट प्रोत्साहन की व्यवस्था की गयी है। पर्यटन नीति में राज्य पर्यटन पुरस्कारों एवं सिंगल विण्डो सिस्टम का प्राविधान भी है। हेरिटेज होटल के तहत पूंजी निवेश पर सब्सिडी, ब्याज सब्सिडी, स्टाम्प ड्यूटी छूट का प्राविधान है। पर्यटन नीति में वित्तीय प्रोत्साहनों हेतु प्राप्त आवेदनों पर विचार एवं स्वीकृति प्रक्रिया, राज्य स्तरीय नीति कार्यान्वयन समिति एवं जिला स्तरीय नीति कार्यान्वयन समिति का भी प्राविधान है। सभी प्रकार की पर्यटन इकाइयों की स्थापना और विकास के लिए भूमि उपलब्ध कराने में सहायता प्रदान करने की व्यवस्था भी नीति में की गयी है।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश में पर्यटन विभाग द्वारा प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों, नैसर्गिक स्थलों, आध्यात्मिक व पौराणिक केन्द्रों एवं धार्मिक स्थलों के भ्रमण पर आने वाले तीर्थ यात्रियों एवं देशी व विदेशी पर्यटकों के सुविधार्थ पर्यटन अवस्थापना सुविधाओं जैसे-आवासीय व्यवस्था, खान-पान, प्रसाधन सुविधाएं, प्रकाश एवं पेयजल व्यवस्था, गन्तव्य स्थल पर पहुँचने हेतु सम्पर्क मार्ग आदि हेतु केन्द्रीय, राज्य एवं जिला योजना के अन्तर्गत पर्यटन विकास की योजनाएं कार्यान्वित की जाती हैं।
विविध पर्यटन आकर्षणों के दृष्टि से उत्तर प्रदेश भारत का सबसे महत्वपूर्ण राज्य है। भारत में घरेलू पर्यटकों एवं विदेशी पर्यटकों के आगमन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का क्रमशः प्रथम एवं तृतीय स्थान है। अपनी गौरवशाली ऐतिहासिक एवं धार्मिक विरासतों तथा समृद्ध प्राकृतिक वन सम्पदा की दृष्टि से उत्तर प्रदेश में पर्यटन की असीम सम्भावनाएं विद्यमान हैं।
नई पर्यटन नीति-2022 पर्यटन के क्षेत्र में नए उभरते रुझानों, पर्यटन संस्थाओं, व्यापारिक एवं वाणिज्यिक संगठनों सहित विभिन्न हितधारकों द्वारा दिए गए अभ्यावेदनों और अन्य विभागों से प्राप्त सुझावों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। मुख्य रूप से प्रदेश के जिला पर्यटन व संस्कृति परिषदों और नीति कार्यान्वयन समितियों एवं अंतर-विभागीय समन्वय के माध्यम से त्वरित कार्यान्वयन और प्रदेश में पर्यटन उद्योग को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से नीति बनायी गयी है।
इस नीति से उत्तर प्रदेश में पर्यटन को उद्योग का दर्जा प्राप्त होगा तथा पर्यटन क्षेत्र के विविध आयामों का विकास सम्भव हो सकेगा। प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार का सृजन होगा तथा उत्तर प्रदेश की समेकित संस्कृति एवं परम्परा को बढ़ावा मिलेगा। पर्यटन क्षेत्र में आधारभूत सुविधाओं के विकास से घरेलू एवं विदेशी पर्यटन में वृद्धि होगी।
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उ0प्र0 सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी जनित सेवा नीति-2023’ स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने प्रस्तावित ‘उत्तर प्रदेश सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी जनित सेवा नीति-2023’ को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद ने ‘उत्तर प्रदेश सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी जनित सेवा नीति-2023’ के अन्तर्गत प्रस्तावित प्रोत्साहनों एवं रियायतों के फलस्वरूप राज्य सरकार पर निवेश के लक्ष्य का 16.5 प्रतिशत लगभग 828.25 करोड़ रुपये के वित्तीय उपाशय, जो 05 वर्षाें से अधिक की अवधि में अनुमानित हैं, (क्योंकि कई इकाइयों को वित्तीय प्रोत्साहन नीति की अवधि के बाद संवितरित किये जा सकेंगे) को भी स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद ने इस सम्बन्ध में कोई अन्य निर्णय लिए जाने हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है।
नीति के निर्माण में वित्तीय एवं गैर-वित्तीय प्रोत्साहनों जैसे-पूंजी उपादान, ब्याज उपादान, भूमि उपादान, स्टाम्प ड्यूटी से छूट विद्युत आपूर्ति आदि के सम्बन्ध में प्रदेश सरकार द्वारा अधिसूचित अन्य नीतियों में उपलब्ध प्राविधानों को ध्यान में रखा गया है।
‘उत्तर प्रदेश सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी जनित सेवा नीति-2023’ अधिसूचना की तिथि से प्रभावी होगी और 05 वर्ष की अवधि के लिए अथवा नई तिथि की उद्घोषणा होने तक प्रभावी रहेगी। नीति का कार्यान्वयन, शासन स्तर पर गठित नीति कार्यान्वयन इकाई की देखरेख में एक नोडल एजेंसी द्वारा कराया जाएगा।
नीति का उद्देश्य एक सुदृढ़ माहौल को सक्षम करके आई0टी0 सिटी, आई0टी0 पार्क्स तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉक चेन, बिग डाटा, क्लाउड कम्प्यूटिंग तथा इण्टरनेट ऑफ थिंग्स जैसी उदीयमान प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में उत्कृष्टता के केन्द्रों की स्थापना से राज्य में तकनीकी बदलाव की दिशा में सहयोग और समेकन को प्रोत्साहित करके, इस क्षेत्र के लिए सुदृढ़ ईको सिस्टम का निर्माण तथा सम्पूर्ण प्रदेश को सतत आर्थिक विकास की ओर अग्रसर किया जाना है।
नई नीति के तहत राज्य में घरेलू एवं अन्तर्राष्ट्रीय निवेश को आकर्षित किया जाएगा। स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रोत्साहन द्वारा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के राज्यव्यापी अवसर सृजित होंगे, जिससे जनसामान्य का सामाजिक, आर्थिक उत्थान होगा। नीति के अन्तर्गत नवाचार में तीव्रता लाने तथा नवाचार विशिष्ट वित्त पोषण के परिचालन के लिए सर्वाेत्तम वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप सुदृढ़ उद्योग अकादमिक सहयोग तथा सर्वाेत्तम श्रेणी के बुनियादी ढांचे सहित अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों तथा उत्कृष्टता केन्द्रों के द्वारा एक अनुकूल नियामक परिदृश्य को सक्षम किया जाना है।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश सरकार द्वारा ‘उ0प्र0 सूचना प्रौद्योगिकी एवं स्टार्टअप नीति-2017’ दिसम्बर, 2017 में प्रख्यापित की गई थी, जोकि अधिसूचना तिथि से 05 वर्ष के लिए वैध है। इस नीति में से उ0प्र0 स्टार्टअप नीति-2017 से सम्बन्धित अंश को प्रतिस्थापित करते हुए सभी क्षेत्रों के लिए उ0प्र0 स्टार्टअप नीति-2020 प्रख्यापित की गई है, जबकि उ0प्र0 सूचना प्रौद्योगिकी नीति-2017 के अंश वर्तमान में प्रभावी हैं।
उ0प्र0 सूचना प्रौद्योगिकी नीति 2017-22 के तहत, राज्य को लगभग 53,000 व्यक्तियों के रोजगार के साथ लगभग 6,300 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। प्रदेश में उ0प्र0 सूचना प्रौद्योगिकी नीति-2017 के अन्तर्गत मेसर्स टाटा कन्सल्टेन्सी सर्विसेज, मेसर्स माइक्रोसॉफ्ट इंडिया (आरएण्डडी) प्रा0लि0, मेसर्स एम0ए0क्यू0 इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स वन97 कम्यूनिकेशन्स लिमिटेड (पे-टीएम) आदि प्रतिष्ठित सूचना प्रौद्योगिकी कम्पनियों द्वारा निवेश किया गया/जा रहा है। उत्तर प्रदेश राज्य में आई0टी0 और आई0टी0ई0एस0 क्षेत्र में 12 लाख से अधिक व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त है।
प्रदेश सरकार द्वारा अपेक्षित 01 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से आगामी फरवरी, 2023 में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन परिकल्पित किया गया है। इसको दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश के सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग द्वारा प्रख्यापित विभिन्न नीतियों को अधिक युक्तिसंगत बनाने तथा निवेशकों को आकर्षित किये जाने हेतु नीतियों में संशोधन किये जाने की कार्यवाही प्रक्रिया में है।
चूंकि उ0प्र0 सूचना प्रौद्योगिकी नीति-2017 समाप्तप्राय है, अतः अन्य प्रदेशों की प्रचलित नीतियों के अध्ययन तथा प्रदेश सरकार द्वारा अधिसूचित अन्य नीतियों में उपलब्ध प्राविधानों को दृष्टिगत रखते हुए नई ‘उ0प्र0 सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी जनित सेवा नीति-2023’ प्रस्तावित है। पूर्व नीति में उपलब्ध अन्य प्रोत्साहनों की तुलना में नई नीति के अन्तर्गत ब्याज उपादान में वृद्धि के अतिरिक्त पूंजी उपादान, परिचालन व्यय उपादान तथा इकाइयों को उत्तर प्रदेश में घर से काम करने वाले/ऐसे अन्य परिसरों से काम करने वाले कर्मचारियों से सम्बन्धित रोजगार सृजन उपादान, भविष्य निधि की प्रतिपूर्ति तथा रोजगार से जुड़े अन्य हितलाभ के लिए अनुमन्यता के नवीन प्राविधान किये गये हैं।
नीति के अन्तर्गत न्यूनतम 05 करोड़ रुपये के स्थिर पूंजी निवेश पर 10 प्रतिशत की दर से पूंजी उपादान प्रदान किया जायेगा, जिसकी अधिकतम सीमा 50 करोड़ रुपये होगी। अधिसूचित बैंकों/वित्तीय संस्थानों से लिये गये सावधि ऋण पर 07 प्रतिशत अथवा वास्तविक भुगतान किया गया ब्याज, जो भी कम हो, वाणिज्यिक परिचालन आरम्भ होने के पश्चात 05 वर्ष की अवधि के लिए प्रदान किया जायेगा, जिसकी अधिकतम सीमा प्रति वर्ष प्रति इकाई 01 करोड़ रुपये होगी। पश्चिमांचल, मध्यांचल, पूर्वांचल/बुन्देलखण्ड क्षेत्रों हेतु न्यूनतम रोजगार मानदण्डों को पूरा करने के प्रतिबन्ध के साथ भूमि की लागत पर 25 प्रतिशत प्रतिपूर्ति प्रदान की जायेगी, जिसकी अधिकतम सीमा 50 करोड़ रुपये होगी। स्वीकृत पेटेन्ट पर वास्तविक फाइलिंग लागत के 100 प्रतिशत तक की प्रतिपूर्ति की जायेगी, जो घरेलू पेटेन्ट्स हेतु अधिकतम 5,00,000 रुपये तथा अन्तर्राष्ट्रीय पेटेन्ट्स हेतु 10,00,000 रुपये होगी।
प्रस्तावित नीति के अन्तर्गत प्रदेश में लगभग 5,000 करोड़ रुपये के निवेश का अनुमान है, जिससे लगभग 50,000 व्यक्तियों हेतु प्रत्यक्ष एवं लगभग 1,00,000 व्यक्तियों हेतु अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की सम्भावना है।
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उ0प्र0 इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति-2020’ में संशोधन का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने ‘उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति-2020’ में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस सम्बन्ध में कोई अन्य निर्णय लिये जाने हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2017 में अधिसूचित उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति को निवेश की दृष्टि से अपार सफलता प्राप्त हुई। इस नीति ने अधिसूचना तिथि के 03 वर्ष के अन्दर ही निवेश के लक्ष्यों को प्राप्त कर लिया गया था। इस नीति के तहत 20,000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश का लक्ष्य प्राप्त किया गया तथा लगभग 03 लाख रोजगार सृजित हुये।
उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति-2017 के निवेश लक्ष्यों को अर्जित कर लिये जाने के पश्चात् नई उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति-2020, 20 अगस्त, 2020 को अधिसूचित की गई है, जिसके अन्तर्गत राज्य में 40,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किये जाने का लक्ष्य रखा गया है।
प्रदेश सरकार द्वारा 01 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से फरवरी, 2023 में वैश्विक निवेशक सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इस परिप्रेक्ष्य में इस नीति के अन्तर्गत प्राविधानित विभिन्न प्रोत्साहनों की तुलना अन्य राज्यों की नीतियों से बेंच मार्किंग के तहत की गयी है तथा आई0टी0 एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग द्वारा नीति के लक्ष्यों को युक्तिसंगत बनाने और अधिकाधिक निवेशकों को आकर्षित करने के उद्देश्य से प्रोत्साहनों के पुनर्गठन द्वारा वर्तमान नीति में उपयुक्त संशोधन किये जाने का अभिमत स्थिर किया गया है।
संशोधित नीति के तहत राज्य में लघु एवं मध्यम इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण उद्योगों की वृद्धि हेतु 200 करोड़ रुपये तक के निवेश के लिए अधिकतम 10 करोड़ रुपये के पूंजीगत उपादान की सीमा के प्रतिबन्ध को समाप्त कर 1,000 करोड़ रुपये के निवेश तक फ्लैट 15 प्रतिशत पूंजी उपादान की अनुमन्यता होगी। एंकर इकाई के रूप में कार्य करने वाले तथा पूरक इकाइयों को साथ लाने की गारण्टी देने वाले निवेशकों तथा फोकस क्षेत्रों के तहत आवेदन करने वाले निवेशकों के लिए अतिरिक्त पूंजी उपादान की अनुमन्यता होगी।
200 करोड़ रुपये तक निवेश वाली इकाइयों हेतु लिये गये ऋण पर (ब्याज की दर पर) 05 वर्ष तक 05 प्रतिशत प्रतिवर्ष (01 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष अधिकतम 05 करोड़ रुपये प्रति इकाई) ब्याज उपादान की प्रतिपूर्ति की सीमा को बढ़ाकर 07 वर्ष अधिकतम 07 करोड़ रुपये किया जाना प्रस्तावित है।
निवेशकों को परियोजना के क्रियान्वयन के लिए अनुकूल समय देने के लिए लेटर ऑफ कम्फर्ट की तिथि से 200 करोड़ रुपये तक निवेश करने वाली इकाइयों को 05 वर्ष, 200 करोड़ रुपये से 1,000 करोड़ रुपये के बीच निवेश करने वाली इकाइयों को 06 वर्ष तथा 1,000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश करने वाली इकाइयों को 07 वर्ष का समय प्रदान किया जाना प्रस्तावित है।
संशोधनों के अन्तर्गत लॉजिस्टिक्स उपादान, महिला/अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/दिव्यांगजन एवं ट्रांसजेण्डर कर्मचारियों के भविष्य निधि की प्रतिपूर्ति तथा 200 करोड़ रुपये निवेश के लिए 05 वर्षों की अवधि के लिए लीज रेन्टल चार्ज पर 25 प्रतिशत प्रति इकाई अधिकतम 25 लाख रुपये प्रति वर्ष प्रतिपूर्ति के प्राविधान प्रस्तावित किये गये हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र के निवेशकों को सम्पूर्ण प्रदेश में निवेश हेतु आकर्षित किये जाने के लिये विद्युत शुल्क में छूट के स्लैब तथा विशेषकर पूर्वान्चल एवं बुन्देलखण्ड में अधिक विद्युत शुल्क प्रोत्साहनों की अनुमन्यता होगी। राज्य में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के पुनः निर्माण, मरम्मत अथवा नवीनीकरण के लिए इकाई स्थापित करने वाले निवेशक भी नीति के अन्तर्गत प्रदान किये जाने वाले सभी प्रोत्साहनों के लिए पात्र होंगे।
सेमीकण्डक्टर इकाइयों के आच्छादन को पुनः पारिभाषित करते हुए उनके लिए प्रोत्साहनों को भी पारिभाषित कर दिया गया है।
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राज्य विधान मण्डल के दोनों सदनों के आगामी सत्र के आह्वान के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने राज्य विधान मण्डल के दोनों सदनों का वर्ष 2022 का तृतीय सत्र सोमवार 05 दिसम्बर, 2022 को आहूत कर लिये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
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एच0आर0आई0टी0 विश्वविद्यालय, गाजियाबाद की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था को विभिन्न शर्तों के अधीन आशय-पत्र निर्गत किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने एच0आर0आई0टी0 विश्वविद्यालय, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था हरीश चन्द्र रामकली चैरिटेबल ट्रस्ट, गाजियाबाद को विभिन्न शर्तों के अधीन आशय-पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
इन शर्तों के अनुसार प्रस्तावित भूमि के मध्य स्थित शासकीय भूमियों के दृष्टिगत, प्रस्तावित भूमि की संलग्नता के विषय में किये गये प्राविधानों विषयक उच्च शिक्षा विभाग की 10 नवम्बर, 2020 की अधिसूचना का अनुपालन प्रायोजक संस्था द्वारा किया जाएगा। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण, गाजियाबाद के 18 अगस्त, 2021 के पत्र द्वारा निर्गत अनापत्ति के परिप्रेक्ष्य में विश्वविद्यालय संचालन से पूर्व प्रायोजक संस्था को अतिरिक्त निर्मित भवन/भू-खण्ड का मानचित्र प्राधिकरण से नियमानुसार स्वीकृत/शमन कराकर उसकी सूचना अनुपालन आख्या के साथ प्रस्तुत की जाएगी। प्रश्नगत प्रकरण मंे शासकीय भूमियों के विनिमय तथा बिना पूर्वानुमति के क्रय की गई 12.50 एकड़ से अधिक भूमि के विनियमितीकरण के सम्बन्ध में राजस्व विभाग, उत्तर प्रदेश शासन स्तर पर लिये गये निर्णय के अधीन होगी।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश में नये निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना करने, विद्यमान निजी विश्वविद्यालयों को निगमित करने तथा उनके कृत्यों को विनियमित करने के उद्देश्य से ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ प्रवर्तित किया गया है। इस अधिनियम की धारा-4 में नये विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने, धारा-5 में प्रस्ताव का मूल्यांकन किये जाने तथा धारा-6 में आशय-पत्र निर्गत किये जाने विषयक प्राविधान विहित किये गये हैं। ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ की धारा-58 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करके राज्यपाल जी द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य में निजी विश्वविद्यालय स्थापित किये जाने की प्रक्रिया को विनियमित करने की दृष्टि से उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना) नियमावली, 2021 का प्रख्यापन किया गया है।
इस नियमावली के नियम-14 के अन्तर्गत उच्च शिक्षा विभाग द्वारा मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय समिति के समक्ष मंतव्य एवं संस्तुति सहित प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने का प्राविधान है। 19 सितम्बर, 2022 को सम्पन्न उच्च स्तरीय समिति की बैठक में एच0आर0आई0टी0 विश्वविद्यालय, गाजियाबाद की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था हरीश चन्द्र रामकली चैरिटेबल ट्रस्ट, गाजियाबाद को आशय-पत्र निर्गत किये जाने की संस्तुति की गई। मंत्रिपरिषद द्वारा इस संस्तुति के सन्दर्भ में यह निर्णय लिया गया है।
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महावीर यूनिवर्सिटी, मेरठ की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था को शर्त के अधीन आशय-पत्र निर्गत किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने महावीर यूनिवर्सिटी, मेरठ, उत्तर प्रदेश की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था न्यू ट्यूपल्स एजुकेशनल सोसायटी, मेरठ को शर्त के अधीन आशय-पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद के निर्णय के अनुसार प्रस्तावित महावीर विश्वविद्यालय के सम्बन्ध में भविष्य में प्रश्नगत परिसर के अन्तर्गत विद्यमान निर्माण में कोई भी परिवर्तन अथवा कोई नया निर्माण प्रस्तावित किया जाता है, तो ऐसी दशा में प्रायोजक संस्था को मेरठ विकास प्राधिकरण से नियमानुसार मानचित्र स्वीकृत कराना होगा।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश में नये निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना करने, विद्यमान निजी विश्वविद्यालयों को निगमित करने तथा उनके कृत्यों को विनियमित करने के उद्देश्य से ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ प्रवर्तित किया गया है। इस अधिनियम की धारा-4 में नये विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने, धारा-5 में प्रस्ताव का मूल्यांकन किये जाने तथा धारा-6 में आशय-पत्र निर्गत किये जाने विषयक प्राविधान विहित किये गये हैं। ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ की धारा-58 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करके राज्यपाल जी द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य में निजी विश्वविद्यालय स्थापित किये जाने की प्रक्रिया को विनियमित करने की दृष्टि से उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना) नियमावली, 2021 का प्रख्यापन किया गया है।
इस नियमावली के नियम-14 के अन्तर्गत उच्च शिक्षा विभाग द्वारा मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय समिति के समक्ष मंतव्य एवं संस्तुति सहित प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने का प्राविधान है। 19 सितम्बर, 2022 को सम्पन्न उच्च स्तरीय समिति की बैठक में महावीर यूनिवर्सिटी, मेरठ की स्थापना हेतु उसकी प्रायोजक संस्था न्यू ट्यूपल्स एजुकेशनल सोसायटी, मेरठ को आशय-पत्र निर्गत किये जाने की संस्तुति की गई। मंत्रिपरिषद द्वारा इस संस्तुति के सन्दर्भ में यह निर्णय लिया गया है।

एस0जी0पी0जी0आई0, लखनऊ के क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विस्तारीकरण कार्य हेतु प्रायोजना की लागत तथा प्रायोजना में प्रस्तावित उच्च विशिष्टि का प्रस्ताव अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, (एस0जी0पी0जी0आई0एम0एस0) लखनऊ के क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में 12 अतिरिक्त बेड के विस्तारीकरण कार्य हेतु प्रायोजना की लागत 571.49 लाख रुपये के व्यय तथा प्रायोजना में प्रस्तावित उच्च विशिष्टि एपॉक्सी फ्लोरिंग (लागत 6.82 लाख रुपये) के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि एस0जी0पी0जी0आई0एम0एस0, लखनऊ प्रदेश का शीर्ष चिकित्सा संस्थान है, जहां परास्नातक एवं सुपर स्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों में शिक्षण-प्रशिक्षण के साथ-साथ गम्भीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को उच्च गुणवत्ता की टर्शियरी चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध करायी जाती है।
प्रदेश के समस्त जनपदों से गम्भीर मरीजों को समुचित उपचार हेतु एस0जी0पी0जी0आई0 के इमरजेंसी विभाग में सन्दर्भित किया जाता है, जहां उन्हें तत्काल क्रिटिकल केयर की आवश्यकता पड़ती है। वर्तमान में क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में मात्र 20 बेड क्रियाशील हैं, जिसके कारण मरीजों को भर्ती करने हेतु प्रतीक्षा सूची में रखना पड़ता है। इस समस्या के निराकरण हेतु संस्थान के क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग का विस्तारीकरण कराया जा रहा है।
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मा0 उच्च न्यायालय में सृजित 135 लॉ क्लर्क (ट्रेनी) का कार्यकाल 01 वर्ष के स्थान पर अधिकतम 02 वर्ष किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने मा0 उच्च न्यायालय में न्यायिक कार्यों के सुगम एवं सुचारु रूप से संचालन हेतु मा0 न्यायमूर्तिगण के सहायतार्थ सृजित 135 लॉ क्लर्क (ट्रेनी) के पदों के सापेक्ष कार्यरत लॉ क्लर्क (ट्रेनी) का कार्यकाल 01 वर्ष के स्थान पर अधिकतम 02 वर्ष किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर है।
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उ0प्र0 फायर एण्ड इमरजेन्सी सर्विसेज अध्यादेश-2022’ के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने भारत सरकार द्वारा प्रसारित मॉडल फायर एण्ड इमरजेंसी सर्विस बिल, 2019 को उत्तर प्रदेश में लागू किये जाने के सम्बन्ध में पुलिस महानिदेशक, फायर सर्विस, उत्तर प्रदेश द्वारा उपलब्ध कराये गये प्रस्ताव के अनुसार बिल के कुल 11 अध्याय सहित 69 धाराओं में से 54 धाराओं को यथावत स्वीकार किये जाने एवं 15 धाराओं में संशोधन करते हुए मॉडल फायर इमरजेंसी सर्विस बिल, 2019 को अंगीकृत किये जाने हेतु ‘उत्तर प्रदेश फायर एण्ड इमरजेंसी सर्विसेज अध्यादेश-2022’ के आलेख को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद ने आगामी राज्य विधान मण्डल सत्र में इसके प्रतिस्थानी विधेयक के आलेख को, विभागीय मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री जी के अनुमोदन से, पुरः स्थापित कराये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि सम्पूर्ण भारत में फायर सर्विस अधिनियम में एकरूपता लाये जाने हेतु भारत सरकार द्वारा मॉडल फायर सर्विस बिल 1958 एवं संशोधित मॉडल फायर एण्ड इमरजेन्सी सर्विस बिल, 2019 प्रदेश सरकारों को अंगीकृत करने हेतु प्रसारित किया गया है। इसके क्रम में भारत सरकार द्वारा प्रसारित मॉडल फायर एण्ड इमरजेन्सी सर्विस बिल, 2019 को अंगीकृत किये जाने हेतु ‘उत्तर प्रदेश फायर एण्ड इमरजेन्सी सर्विसेज अध्यादेश-2022’ लाया जाना प्रस्तावित है।
उत्तर प्रदेश अग्निशमन सेवा को अग्निकाण्डों से बचाव के साथ-साथ अन्य आपातकालीन आवश्यकताओं जैसे-बाढ़, भूकम्प, बिल्डिंग कोलैप्स, आण्विक एवं जैविक खतरों इत्यादि में रेस्क्यू/बचाव कार्य हेतु वैधानिक एवं ढांचागत रूप से सुसज्जित एवं प्रशिक्षित किये जाने की आवश्यकता है। मॉडल फायर एण्ड इमरजेन्सी सर्विस बिल, 2019 को अंगीकृत कर अध्यादेश लाये जाने से वैधानिक/राजकीय कर्तव्यों के प्रभावी निष्पादन हेतु अग्निशमन विभाग के कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व के बीच यथोचित संतुलन स्थापित होगा।

जनपद रामपुर में आतंकवाद निरोधक दस्ता के अन्तर्गत स्पॉट कमाण्डो हब स्थापित करने हेतु निःशुल्क भूमि आवंटित किये जाने के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने आतंकवाद निरोधक दस्ता (ए0टी0एस0) की विशेष आवश्यकता के दृष्टिगत जनपद रामपुर में स्पॉट कमाण्डो हब स्थापित करने हेतु जनपद रामपुर की तहसील सदर, ग्राम डुंगरपुर की कुल 6.651 हेक्टेयर भूमि/भवन सहित परियोजना से सम्बन्धित ऑडिटोरियम व उसके परिसर में उपलब्ध भूमि को नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम विभाग (नगर विकास विभाग) से गृह विभाग को निःशुल्क आवंटित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

जनपद सहारपुर में आतंकवाद निरोधक दस्ता के स्पॉट कमाण्डो ट्रेनिंग सेण्टर स्थापित करने हेतु निःशुल्क भूमि आवंटित किये जाने के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने जनपद सहारनपुर में आतंकवाद निरोधक दस्ता (ए0टी0एस0) का स्पॉट कमाण्डो ट्रेनिंग सेण्टर स्थापित किये जाने हेतु राजस्व ग्राम सुल्तानपुर तथा दतौली रांघड़ की कुल 28.095 एकड़ (11.371 हेक्टेयर) सिंचाई विभाग की भूमि गृह विभाग को निःशुल्क आवंटित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

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