लखनऊ , (नोएडा खबर)
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने बिजली के निजीकरण के विरोध में आगामी 9 जुलाई को देशभर के 27 लाख बिजली कर्मचारियों द्वारा एक दिन की सांकेतिक हड़ताल की घोषणा की है। इससे पहले 2 जुलाई को निजीकरण के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स ने केंद्रीय विद्युत मंत्री को नोटिस भेजकर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के 42 जनपदों में निजीकरण के विरोध में यह कदम उठाने की जानकारी दी है। नोटिस की प्रति सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी भेजी गई है।
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि 2 और 9 जुलाई के आंदोलन की तैयारी के लिए केंद्रीय पदाधिकारी सोमवार से जनपदों और परियोजनाओं का दौरा शुरू करेंगे। 30 जून को झांसी और परीक्षा ताप बिजली घर में, जबकि 1 जुलाई को कानपुर, केस्को और पनकी ताप बिजली घर में आम सभाएं होंगी। 2 जुलाई को सभी जनपदों और परियोजनाओं में व्यापक विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।
संघर्ष समिति ने पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन द्वारा ऊर्जा निगमों में आपातकाल जैसे हालात पैदा करने की कड़ी निंदा की है।
समिति ने आरोप लगाया कि मनमाने स्थानांतरण, शीर्ष पदाधिकारियों जितेंद्र सिंह गुर्जर, जयप्रकाश और चंद्रभूषण उपाध्याय के खिलाफ स्टेट विजिलेंस द्वारा दर्ज एफआईआर और डराने-धमकाने की कार्रवाइयों से निजीकरण के विरोध को दबाने की कोशिश की जा रही है। समिति ने चेतावनी दी कि यदि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों का निजीकरण टेंडर हुआ, तो सभी जनपदों और परियोजनाओं में सामूहिक जेल भरो अभियान शुरू होगा, जिसकी जिम्मेदारी पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन और चेयरमैन की होगी।
सोमवार से शुरू होने वाले सप्ताह में बिजली कर्मचारी सभी जनपदों और परियोजनाओं में विरोध सभाएं आयोजित करेंगे और निजीकरण के खिलाफ जेल भरो अभियान के लिए टीमें गठित करेंगे। समिति ने कहा कि चेयरमैन की कार्रवाइयों से ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति और टकराव का माहौल बन रहा है।