मुंबई, (नोएडा खबर डॉट कॉम)
बिजली कर्मियों के आक्रोशिक विरोध के चलते मुंबई में 4-5 नवंबर को आयोजित डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी मीट 2025 पूरी तरह विफल साबित हुई। मुख्य एजेंडा विद्युत वितरण निगमों में पीपीए मॉडल के जरिए निजीकरण था, लेकिन गंभीर मतभेदों के कारण इस पर कोई चर्चा तक नहीं हो सकी। केंद्रीय विद्युत मंत्री मनोहर लाल खट्टर, राज्य मंत्री यशवंत नायक और मेजबान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित कोई बड़ा नेता मीट में नजर नहीं आया।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति (उत्तर प्रदेश) के केंद्रीय पदाधिकारियों ने बताया कि नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लॉयी एंड इंजीनियर्स ने एक माह पूर्व ही केंद्रीय विद्युत मंत्री को विरोध पत्र भेजकर चेतावनी दी थी। कर्मचारी संगठनों ने स्पष्ट कहा था कि निजीकरण के एजेंडा पर मीट स्वीकार्य नहीं है। पहले कर्मचारियों से वार्ता हो और एजेंडा हटाया जाए, अन्यथा विरोध प्रदर्शन होगा। इस चेतावनी का असर इतना गहरा रहा कि मीट के आयोजक और मेजबान महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण निगम (महावितरण) के सीएमडी लोकेश चंद्र आईएएस (जो ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं) भी अनुपस्थित रहे। महाराष्ट्र की प्रमुख सचिव (ऊर्जा) आभा शुक्ला आईएएस भी मीट से दूर रहीं।
संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण मुद्दे पर एसोसिएशन के अध्यक्ष लोकेश चंद्र और महामंत्री डॉ. आशीष गोयल (यूपीपीसीएल चेयरमैन) के बीच गहरे मतभेद उभर आए हैं। महावितरण के बड़े अधिकारियों ने भी पुष्टि की कि इसी विवाद के चलते मीट फ्लॉप हो गई। अधिकांश राज्यों के चेयरमैन और एमडी भी नहीं पहुंचे। मीट में सुधार के नाम पर निजीकरण को बढ़ावा देने की मंशा थी, लेकिन कर्मचारियों के दबाव में कोई प्रगति नहीं हुई।उत्तर प्रदेश में आंदोलन तेज
संघर्ष समिति ने चेतावनी दी कि यूपी पावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन ने एक साल पहले निजीकरण का ऐलान कर कर्मचारियों का गुस्सा भड़का दिया है। लगातार आंदोलन से कार्य वातावरण बिगड़ चुका है। प्रबंधन को निजीकरण रद्द कर वास्तविक सुधार पर कर्मचारियों से वार्ता करनी चाहिए। बिजली कर्मी सुधार के लिए प्रयत्नशील हैं और अच्छे परिणाम आ रहे हैं।
संघर्ष समिति के आह्वान पर पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण विरोधी आंदोलन के 343वें दिन बिजली कर्मियों ने प्रदेश के सभी जनपदों में व्यापक विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
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