मिली जानकारी के अनुसार ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य 22 जून, 2023 को शुरू हुआ था और इसे 20 जून, 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि, केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय से बजट मंजूरी में देरी के कारण एलिवेटेड हिस्से का काम शुरू होने में विलंब हुआ है। वर्तमान में, इस एक्सप्रेसवे का लगभग 50 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है।
एक्सप्रेसवे का 8 किलोमीटर का हिस्सा, जो फरीदाबाद के सेक्टर-65 से नरहावली तक है, एलिवेटेड बनाया जा रहा है ताकि भविष्य में मास्टर प्लान-2031 के तहत विकसित होने वाले नए सेक्टरों की कनेक्टिविटी प्रभावित न हो। इस हिस्से के लिए पाइल टेस्टिंग का कार्य चल रहा है, और बजट मंजूरी मिलते ही पिलर निर्माण शुरू हो जाएगा।
कब तक शुरू होगा एक्सप्रेसवे?
हालांकि, परियोजना की मूल समयसीमा जून 2025 थी, लेकिन बजट मंजूरी में देरी और मोहना गांव में किसानों के आंदोलन के कारण इसमें कुछ विलंब हुआ है। अब उम्मीद है कि यह एक्सप्रेसवे 2025 के अंत तक या 2026 की शुरुआत में पूरी तरह चालू हो जाएगा। जेवर एयरपोर्ट के अप्रैल 2025 में व्यावसायिक उड़ानों के लिए शुरू होने के साथ, इस एक्सप्रेसवे के जल्द पूरा होने से यात्रियों को सीधी और तेज कनेक्टिविटी मिलेगी।
परियोजना की विशेषताएं
- लंबाई और चौड़ाई: 31.4 किलोमीटर लंबा, छह लेन (भविष्य में आठ लेन तक विस्तार योग्य)।
- कनेक्टिविटी: फरीदाबाद, पलवल, और गौतमबुद्ध नगर के 19 गांवों से होकर गुजरता हुआ दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे और केजीपी एक्सप्रेसवे से जुड़ेगा।
- इंटरचेंज: सेक्टर-65 और मोहना गांव में इंटरचेंज बनाए जा रहे हैं, जिसमें स्लिप रोड, अंडरपास, और एप्रोच रोड शामिल हैं।
- लागत: परियोजना की अनुमानित लागत 1660.50 करोड़ रुपये है।
लाभ और प्रभाव
यह एक्सप्रेसवे न केवल फरीदाबाद और बल्लभगढ़ से जेवर एयरपोर्ट तक की यात्रा को 20 मिनट में संभव बनाएगा, बल्कि दिल्ली-एनसीआर के अन्य शहरों जैसे नोएडा, गाजियाबाद, और गुरुग्राम को भी बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। इसके अलावा, यह परियोजना क्षेत्र के 20 गांवों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को बेहतर बनाएगी, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार और विकास के नए अवसर पैदा होंगे।
आगे की राह
एनएचएआई ने निर्माण के लिए मशीनरी और श्रमिकों की व्यवस्था कर ली है, और बजट मंजूरी के बाद कार्य में और तेजी आएगी। इस एक्सप्रेसवे के पूरा होने से नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जो एशिया का सबसे बड़ा हवाई अड्डा बनने जा रहा है, तक पहुंच आसान हो जाएगी, जिससे दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में यातायात और व्यापार को नया आयाम मिलेगा।