अपहरण का खुलासा: 5 दिन की कसरत का नतीजा है गाजियाबाद से अपहत व्यापारी के बेटे की सकुशल बरामदगी, 4 करोड़ की फिरौती की थी योजना; पुलिस मुठभेड़ में 5 गिरफ्तार

ग्रेटर नोएडा,(नोएडा खबर डॉट कॉम)
एक सनसनीखेज अपहरण कांड में गौतम बुद्ध नगर पुलिस ने कमिश्नरेट के तहत थाना दनकौर, स्वाट टीम, थाना ईकोटेक-1 और थाना बीटा-2 की संयुक्त टीमों ने गाजियाबाद के एक पत्थर व्यापारी के बेटे शशांक गुप्ता को सकुशल बरामद कर लिया। अपहरणकर्ताओं ने 4 करोड़ रुपये की फिरौती की मांग की थी, लेकिन पुलिस की सतर्कता और तकनीकी निगरानी से योजना धरी रह गई। पुलिस मुठभेड़ में दो अपहरणकर्ता घायल हुए, जबकि तीन अन्य को गिरफ्तार किया गया। दो अन्य आरोपी अभी फरार हैं।
इस मामले का खुलासा प्रेस कॉन्फ्रेंस में डीसीपी ग्रेटर नोएडा साद मियां खान ने किया। उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन 45 सदस्यों वाली विशेष टीम ने अंजाम दिया, जो अपहरणकर्ताओं की एक कॉल का इंतजार कर रही थी। यह घटना गाजियाबाद के नेहरू मार्केट में टाइल्स व्यापारी मनीष गुप्ता के परिवार से जुड़ी है, जहां शशांक को निशाना बनाया गया था।
अपहरण की शुरुआत: दोस्ती का बहाना, कर्ज चुकाने की साजिश
घटना की जड़ें कर्ज के बोझ तले दबी साजिश में हैं। मुख्य आरोपी निमय शर्मा, जो नोएडा के सेक्टर 16सी में एक्जोटिका ड्रीम विला में रहता है और टूर एंड ट्रैवल्स का कारोबार करता है, पर भारी कर्ज था। उसके दोस्त आलोक यादव (कन्नौज के उदरनपुर गांव निवासी) की स्थिति भी ऐसी ही थी। निमय ने मनीष गुप्ता के टाइल्स शोरूम से दो बार सामान खरीदा था और वहां शशांक को देखा था, जो सीधा-सादा लगता था। तभी से अपहरण की योजना बनी, ताकि फिरौती से कर्ज चुकाया जा सके।निमय और आलोक ने अपनी दोस्त निशा उर्फ प्रीती (फरार) को योजना में शामिल किया। प्रीती ने शशांक को फोन कर दोस्ती का बहाना बनाया। 9 सितंबर 2025 को प्रीती ने शशांक को मिलने बुलाया। शशांक अपनी बलेनो कार (यूपी 14 डीसी 8484) से आया। प्रीती कार में बैठी, और पीछे से आलोक की एक्सयूवी 3XO कार में निमय, आलोक, मोहित गुप्ता, अंकित (फरार) और सुमित सवार थे। कुछ दूर जाने के बाद प्रीती ने बातचीत का बहाना बनाकर कार रुकवाई। तभी मोहित, अंकित और सुमित ने शशांक को काबू कर लिया और प्रीती उतर गई।अपहरणकर्ताओं ने शशांक को नोएडा-ग्रेटर नोएडा होते हुए यमुना एक्सप्रेसवे पर ले जाकर आलोक की कार में शिफ्ट कर दिया। शशांक की बलेनो कार वहीं लावारिस छोड़ दी गई। फिर शशांक को कन्नौज के छिबरामऊ थाना क्षेत्र के शास्त्री नगर में श्याम सुंदर (मोहित का मामा) के खाली मकान में बंद कर दिया गया। यहां मोहित, अंकित और श्याम सुंदर ने निगरानी रखी, जबकि निमय और आलोक आते-जाते रहे। चोरी के मोबाइल नंबरों से मनीष गुप्ता को जगह-जगह शिफ्ट करते हुए 4 करोड़ की फिरौती की मांग की गई।
फिरौती की डील और पुलिस की घेराबंदी
14 सितंबर को बातचीत के बाद डील 50 लाख रुपये पर तय हुई। अपहरणकर्ताओं ने जेवर थाना क्षेत्र के रामनेर रजवाहा के पास मनीष को पैसे लेकर बुलाया, जहां शशांक को छोड़ने की बात थी। लेकिन पुलिस की सर्विलांस टीम और तकनीकी संसाधनों ने लोकेशन ट्रैक कर ली। मोबाइल की लोकेशन रामनेर रजवाहा के पास आने पर सभी टीमों को अलर्ट किया गया।घेराबंदी के दौरान अपहरणकर्ताओं ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में दो आरोपी घायल हो गए:

  1. मोहित गुप्ता (फर्रुखाबाद के राजेपुर टप्पामंडल, जहांनगंज थाना) – पैर में गोली लगी।
  2. आलोक यादव (कन्नौज के उदरनपुर, छिबरामऊ थाना) – पैर में गोली लगी।

कॉम्बिंग के दौरान तीन अन्य गिरफ्तार हुए:

  1. निमय शर्मा (नोएडा, सेक्टर 16सी)।
  2. श्याम सुंदर (कन्नौज, शास्त्री नगर)।
  3. सुमित कुमार (फर्रुखाबाद के राजेपुर टप्पामंडल)।

शशांक को सकुशल बरामद कर लिया गया। पुलिस ने घटना में प्रयुक्त एक्सयूवी 3XO कार, दो तमंचे (.315 बोर) के साथ 3 जिंदा और 2 खोखा कारतूस, तथा फिरौती मांगने वाले मोबाइल फोन और सिम बरामद किए।फरार आरोपी और आगे की कार्रवाईदो आरोपी अभी फरार हैं:

  1. अंकित
  2. निशा उर्फ प्रीती

डीसीपी साद मियां खान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “यह सफलता हमारी संयुक्त टीम की मेहनत का नतीजा है। अपहरणकर्ताओं की योजना को हमने पूरी तरह विफल कर दिया। फरार आरोपियों को जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।” उन्होंने परिवार को आश्वासन दिया कि शशांक को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।मुकदमा थाना दनकौर में धारा 364 (अपहरण), 384 (व्यवधान), 506 (धमकी) और अन्य धाराओं के तहत दर्ज किया गया है। यह घटना क्षेत्र में अपहरण के गिरोहों के खिलाफ पुलिस की सख्ती को दर्शाती है, जहां तकनीक और मानवीय खुफिया जानकारी ने अहम भूमिका निभाई।

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