नई दिल्ली, (नोएडा खबर डॉट कॉम)
केंद्र सरकार द्वारा बिजली वितरण निगमों के निजीकरण को लेकर राज्यों पर बनाए जा रहे दबाव के खिलाफ ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने कड़ा विरोध जताया है।
फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बताया कि 16 सितंबर को हुई ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक में राज्यों को बिजली वितरण निगमों के संचालन के लिए तीन विकल्प दिए गए हैं। इन विकल्पों को न मानने वाले राज्यों की केंद्र सरकार से मिलने वाली ग्रांट बंद करने का निर्णय लिया गया है, जिसे बिजली कर्मचारी ‘ब्लैकमेल’ करार दे रहे हैं।
तीन विकल्पों का प्रस्ताव
51% हिस्सेदारी बेचकर पीपीपी मॉडल:
राज्य सरकारें विद्युत वितरण निगमों की 51% हिस्सेदारी बेचकर सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल अपनाएं।
26% हिस्सेदारी बेचकर प्रबंधन सौंपना:
वितरण कंपनियों की 26% हिस्सेदारी बेचकर प्रबंधन निजी कंपनी को सौंपा जाए।
सेबी और स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग:
जो राज्य निजीकरण नहीं चाहते, वे अपनी वितरण कंपनियों को सेबी और स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्टर कर लिस्ट करें।
शैलेंद्र दुबे ने कहा कि इन शर्तों को न मानने वाले राज्यों की केंद्र से मिलने वाली आर्थिक मदद बंद करने का निर्णय संविधान की समवर्ती सूची (कॉन्करेंट लिस्ट) के तहत बिजली पर केंद्र और राज्यों के समान अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने सवाल उठाया कि सात राज्यों (उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु) की राय लेकर निजीकरण का फैसला पूरे देश पर कैसे थोपा जा सकता है?
इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 का विरोध
दुबे ने बताया कि उक्त बैठक में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 के मसौदे को अंतिम रूप दिया गया, जिसे 9 अक्टूबर को विद्युत मंत्रालय ने जारी किया। फेडरेशन ने इस बिल का कड़ा विरोध करते हुए इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है। मुंबई में बैठक और राष्ट्रव्यापी आंदोलन की तैयारी
4-5 नवंबर को मुंबई में होने वाली डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी मीट 2025 का मुख्य एजेंडा ‘पीपीपी मॉडल के जरिए वितरण निगमों की सस्टेनेबिलिटी’ है, जिसे फेडरेशन ने निजीकरण की दिशा में कदम बताया। साथ ही, 3 नवंबर को मुंबई में नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लॉइज एंड इंजीनियर्स की बैठक में राष्ट्रव्यापी आंदोलन का खाका तैयार किया जाएगा। देश के 27 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर इस आंदोलन में एकजुट होंगे।
ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन पर सवाल
दुबे ने ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन को ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक में शामिल करने पर आपत्ति जताई और इसे सरकार और निजी घरानों के बीच ‘बिचौलिया’ की भूमिका निभाने वाला बताया।
उत्तर प्रदेश में विरोध तेज
उत्तर प्रदेश में निजीकरण के खिलाफ पिछले 11 महीनों से बिजली कर्मचारी आंदोलनरत हैं। दुबे ने कहा कि केंद्र की नीतियां राज्यों पर अनुचित दबाव डाल रही हैं, जिसके खिलाफ देशभर में व्यापक विरोध होगा।फेडरेशन ने केंद्र सरकार से मांग की है कि निजीकरण की नीति को तत्काल वापस लिया जाए और बिजली कर्मचारियों की चिंताओं को सुना जाए।