गौतम बुद्ध नगर, 11 मई।
किसान संघर्ष मोर्चा के तत्वावधान में चल रहे संयुक्त किसान आंदोलन के अंतर्गत रविवार को जैतपुर स्थित किसान सभा जिला कार्यालय में बैठक आयोजित की गई। साथ ही, किसान सभा, भारतीय किसान परिषद और किसान एकता संघ ने अपने-अपने दफ्तरों पर बैठकें कर आपस में बातचीत व समन्वय के बाद निर्णय लिया कि 19 मई को प्रस्तावित आंदोलन को स्थगित कर अब 29 मई 2025 को संयुक्त आंदोलन आयोजित किया जाएगा।
बैठक की शुरुआत में किसान सभा के कार्यालय पर पहलगांव की घटना में मारे गए निर्दोष लोगों एवं युद्ध में शहीद हुए वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई तथा दो मिनट का मौन रखकर शोक प्रकट किया गया।
गौरतलब है कि यह आंदोलन किसानों पर दर्ज मुकदमों की वापसी, 10% आबादी प्लॉट का अधिकार, नई भूमि नीति को लागू करने, सर्किल रेट में बढ़ोतरी, रोजगार नीति बनाने और भूमिहीनों को दुकान आवंटित करने जैसी प्रमुख माँगों को लेकर आयोजित किया जा रहा है।
तीनों संगठनों द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों में इसकी व्यापक तैयारी की जा रही थी। युद्ध जैसी स्थिति को देखते हुए आंदोलन की कार्यक्रम समीक्षा की गई और सभी संगठनों ने सामूहिक रूप से 29 मई की नई तिथि घोषित की।
बैठक में नितिन चौहान, देशराज राणा, डॉ. ओमप्रकाश, धर्मेंद्र एडवोकेट, निशांत रावल, भोजराज रावल, सुधीर रावल, गवरी मुखिया, सुरेश यादव, गुरप्रीत एडवोकेट, विनय चौहान, पप्पू शर्मा, ओमदत्त पंडित, भूल सिंह, राहुल नागर, मुकुल चौहान, रोबिन भाटी, मनोज चौहान, नरेश नागर, करतार नागर, प्रशांत भाटी, सचिन एडवोकेट, सुमित एडवोकेट, सतीश कनार्सी, दुर्गेश शर्मा और उदल आर्य, जयप्रकाश आर्य सहित तीनों संगठनों के अनेक पदाधिकारी उपस्थित रहे।
किसान सभा की केंद्रीय कमेटी के सदस्य पुष्पेंद्र त्यागी ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि परिस्थिति चाहे जैसी भी हो, हमें किसानों के मुद्दों पर निर्णायक आंदोलन करना ही होगा।
सोरन प्रधान ने कहा कि आंदोलन अब निर्णायक दौर में पहुंच चुका है और 29 मई को किसान शक्ति के साथ मैदान में उतरेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार यदि अब भी नहीं चेती तो यह आंदोलन और अधिक व्यापक रूप लेगा।
सुखबीर खलीफा ने कहा कि यह केवल तिथि परिवर्तन है, आंदोलन की भावना और तैयारी पहले से कहीं अधिक मजबूत है। सभी संगठनों के समन्वय से गांव-गांव जागरूकता अभियान चलाकर 29 मई को एकजुटता का प्रदर्शन किया जाएगा।
डॉ. रुपेश वर्मा, किसान सभा के जिला अध्यक्ष ने कहा कि किसानों की वर्षों पुरानी माँगें अभी तक अधूरी हैं। प्रशासन केवल झूठे वादों से काम चला रहा है। अब यह संघर्ष किसी भी कीमत पर निर्णायक मोड़ तक पहुँचेगा।