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यूपी : बिजली निजीकरण के खिलाफ 22 जून को लखनऊ में महापंचायत, किसान-उपभोक्ता संगठन होंगे शामिल

लखनऊ, 07 जून।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने बिजली निजीकरण के विरोध में 22 जून को लखनऊ में आयोजित होने वाली बिजली महापंचायत की घोषणा की है। समिति ने बताया कि इस महापंचायत में देश के प्रमुख किसान और उपभोक्ता संगठन हिस्सा लेंगे। महापंचायत के ऐलान के बाद कई संगठनों ने समिति से संपर्क साधा है।
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन से निजीकरण को लेकर पांच सवाल पूछे हैं और प्रत्येक शनिवार-रविवार को पांच-पांच सवाल पूछने की योजना बनाई है। आज पूछे गए सवालों में शामिल हैं:
  1. श्रेष्ठतम व्यवस्था, फिर निजीकरण क्यों? ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने 06 जून को चंडीगढ़ में कहा कि उत्तर प्रदेश की बिजली वितरण व्यवस्था देश में सर्वश्रेष्ठ है। यदि ऐसा है, तो पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण क्यों हो रहा है?
  2. मुनाफे में होने के बावजूद निजीकरण क्यों? चंडीगढ़ और दादरा नगर हवेली, दमन व दीव में बिजली विभाग मुनाफे में था और वहां AT&C हानियां क्रमशः 3% और 8% थीं। फिर भी इनका निजीकरण क्यों किया गया?
  3. पेंशन सरचार्ज कितना? दिल्ली में निजीकरण के 22 साल बाद भी उपभोक्ताओं से 7% पेंशन सरचार्ज वसूला जाता है। उत्तर प्रदेश में निजीकरण के बाद यह सरचार्ज कितना होगा?
  4. मनमाना बिल वसूली का अधिकार? आगरा में टोरेंट पावर ने 2 किलोवाट कनेक्शन के लिए उपभोक्ता से 9 लाख रुपये वसूले। क्या निजीकरण के बाद पूर्वांचल और दक्षिणांचल में भी गरीब उपभोक्ताओं से ऐसी वसूली होगी?
  5. गरीबों को सब्सिडी मिलेगी? निजीकरण के बाद पूर्वांचल और दक्षिणांचल में गरीब किसानों, बुनकरों और बीपीएल उपभोक्ताओं को सब्सिडी मिलेगी या नहीं? ग्रेटर नोएडा में 34 साल बाद भी किसानों को सब्सिडी नहीं मिलती, जबकि पूरे प्रदेश में मुफ्त बिजली दी जा रही है।
संघर्ष समिति ने कहा कि प्रत्येक शनिवार को उपभोक्ताओं और रविवार को कर्मचारियों से संबंधित सवाल पूछे जाएंगे। अवकाश के दिन भी बिजली कर्मचारियों ने लखनऊ सहित सभी जनपदों में बैठकें कर निजीकरण विरोधी आंदोलन को और तेज करने का निर्णय लिया।
संघर्ष समिति ने निजीकरण से उपभोक्ताओं और कर्मचारियों को होने वाली समस्याओं को उजागर करने का संकल्प लिया है।

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