गौतमबुद्ध नगर में पांच महीने में कुत्ते काटने के रिकॉर्ड:
गौतमबुद्ध नगर(नोएडा खबर) 22 जून।
उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले में आवारा और पालतू जानवरों, खासकर कुत्तों, के काटने के मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2025 से मई 2025 तक के पांच महीनों में जिले में कुल 74,550 जानवरों के काटने (एनिमल बाइट) के मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से अधिकांश मामले कुत्तों के काटने से संबंधित हैं, जिनकी संख्या लगभग 70,000 तक पहुंच गई है। यह स्थिति न केवल स्थानीय निवासियों के लिए डर का माहौल पैदा कर रही है, बल्कि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के लिए भी एक गंभीर चुनौती बन गई है।
आंकड़ों का विवरण
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी से मई 2025 तक गौतमबुद्ध नगर में दर्ज किए गए 74,550 एनिमल बाइट मामलों में से:
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आवारा कुत्तों के काटने: 52,714 मामले, जो कुल मामलों का लगभग 70% हिस्सा हैं।
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पालतू कुत्तों के काटने: 16,474 मामले, जो कुल मामलों का लगभग 22% हैं।
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कुल कुत्तों के काटने के मामले: 69,188, जो कुल एनिमल बाइट मामलों का 93% हिस्सा है।
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बंदरों के हमले: 3,833 मामले।
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बिल्लियों के काटने: 1,179 मामले।
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अन्य जानवरों के काटने: 350 मामले।
महीने-दर-महीने आंकड़े इस प्रकार हैं:
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जनवरी 2025: 13,559 मामले
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फरवरी 2025: 15,830 मामले
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मार्च 2025: 15,131 मामले
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अप्रैल 2025: 15,286 मामले
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मई 2025: 14,744 मामले
काटने की गंभीरता के आधार पर, स्वास्थ्य विभाग ने इन मामलों को निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया है:
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सीएटी-2 बाइट्स: 66,973 मामले (कम गंभीर, त्वचा पर हल्के घाव)
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सीएटी-3 बाइट्स: 7,577 मामले (गंभीर, गहरे घाव या रक्तस्राव)
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सीएटी-1 बाइट्स: कोई मामला दर्ज नहीं
स्थिति की गंभीरता
इन आंकड़ों ने गौतमबुद्ध नगर में आवारा और पालतू जानवरों के प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे शहरी क्षेत्रों में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनके हमलों ने स्थानीय निवासियों में भय का माहौल पैदा कर दिया है। विशेष रूप से, बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह स्थिति अधिक खतरनाक साबित हो रही है। बंदरों और बिल्लियों के हमले भी शहरी क्षेत्रों में असामान्य रूप से बढ़ रहे हैं, जो पहले धार्मिक स्थानों या ग्रामीण क्षेत्रों तक सीमित माने जाते थे।
नसबंदी और टीकाकरण अभियान पर सवाल
नोएडा प्राधिकरण और वन विभाग ने समय-समय पर आवारा कुत्तों की नसबंदी और रेबीज टीकाकरण के अभियान चलाए हैं। हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद आवारा कुत्तों की संख्या में कमी नहीं आई है, और काटने के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि नसबंदी अभियान की गति और प्रभावशीलता अपर्याप्त है। इसके अलावा, पालतू कुत्तों के मालिकों द्वारा उचित प्रशिक्षण और टीकाकरण की कमी भी इन मामलों को बढ़ाने में योगदान दे रही है।
प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया
स्वास्थ्य विभाग ने कुत्तों के काटने के मामलों में तुरंत उपचार के लिए जिला अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में रेबीज रोधी टीके (एंटी-रेबीज वैक्सीन) की उपलब्धता बढ़ाई है। सीएटी-3 श्रेणी के गंभीर मामलों में तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान की जा रही है। हालांकि, बढ़ते मामलों को देखते हुए अस्पतालों पर दबाव बढ़ रहा है।
जिला प्रशासन ने आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने की बात कही है:
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नसबंदी अभियान को तेज करना: अधिक प्रभावी और व्यापक नसबंदी कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे।
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जागरूकता अभियान: पालतू जानवरों के मालिकों को टीकाकरण और प्रशिक्षण के लिए प्रोत्साहित करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
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आवारा जानवरों का प्रबंधन: वन विभाग और नगर निगम के साथ मिलकर आवारा जानवरों को नियंत्रित करने के लिए विशेष योजनाएं बनाई जाएंगी।
विशेषज्ञों की राय
पशु कल्याण विशेषज्ञों का कहना है कि आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए दीर्घकालिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। इसमें न केवल नसबंदी और टीकाकरण, बल्कि सामुदायिक स्तर पर जागरूकता और पालतू जानवरों के मालिकों की जिम्मेदारी को बढ़ावा देना शामिल है। कुछ विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि आवारा कुत्तों के लिए पुनर्वास केंद्र स्थापित किए जाएं, जहां उनकी देखभाल और प्रशिक्षण किया जा सके।